- आखिर ब्लैक कांच वाली कार में क्या लोड और कौन बैठा था जिसे पुलिस नहीं रोका?
- ब्लैक कांच वाली संदिग्ध कार में पुलिस के जवान सवार होने की चर्चा क्यों?
- इस अति संवेदनशील मामले का पुलिस कब करेगी खुलासा?
- अजब-गजब कारनामे कर रही है एमसीबी पुलिस, आइए जानते हैं इनके नया एक और कारनामा
-रवि सिंह-
मनेन्द्रगढ़/चिरमिरी 06 जुलाई 2023 (घटती-घटना)। एमसीबी जिले में एक बहुत बड़े मामले की चर्चा हो रही है अब यह चर्चा कितनी सही है इसका तो पता नहीं पर चर्चा आम हो चली है, जिधर जाओ उधर ही इस बात की चर्चा है, इस चर्चा की सत्यता कितनी है यह तो पुलिस के लिए ही जांच का विषय है, अखबार इसकी पुष्टि नहीं करता पर इस चर्चा पर जो हमको बताने जा रहे हैं इस बात को बड़ी गंभीरता से सोचने व समझने की जरूरत है, क्योंकि यह मामला को छोटा नहीं बहुत बड़ा है यदि यह घटना ऐसी हुई है तो यह कैसे हुई और क्यों हुई यह एक बड़ा सवाल है?
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बीते दिवस एमसीबी पुलिस के आला अधिकारियों को मुखबिर से सूचना मिली की अमुक नंबर की गाड़ी पर अपराधी प्रवृत्ति के लोगों द्वारा कुछ मादक पदार्थों की बड़ी खेप लेकर उक्त स्थान से उक्त स्थान के लिए गाड़ी रवाना हुई है फिर क्या था पुलिस सभी थानों में सड़कों पर बेरीगेट लगाकर खड़ी हो गई, सघन चेकिंग की गई कुछ देर बाद ही उक्त नंबर की गाड़ी आई पुलिस ने बड़े ताबड़तोड़ ढंग से घेराबंदी कर उस गाड़ी को रोका रोकने पर पता लगा कि मामला तो कुछ और ही है उसमें पुलिस के 2 जवान मौजूद थे, ऐसा देख पुलिस वाले भी चकमक खा गए कि आखिर क्या जवाब देंगे बॉस को? कुछ ही समय बाद बॉस का फोन आया उपस्थित अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने उनको विस्तार से जानकारी दी उसके बाद मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है, हमारे सूत्रों ने यह जानकारी दी कि झींगा नामक ड्राइवर जो उस संदिग्ध कार को चला रहा था वह स्थानीय किसी कबाड़ी की बताई जाती है और उसमें जो पुलिसकर्मी मौजूद थे जो अभी खड़गावा थाना में पदस्थ हैं पूर्व में यह दोनों मठाधीश मनेन्द्रगढ़ में ही पदस्थ थे उक्त संदिग्ध कार चालक के बारे में यह भी जानकारी लगी है कि कुछ दिन पहले पुलिस के एक अधिकारी ने उसे पकड़ कर लंबी पूछताछ की थी उसने अपने काले कारोबार में इन दोनों सिपाहियों का भी नाम लिया था जो उस कार में मिले थे!
कोरिया और एमसीबी पुलिस के कई सिपाही इन दिनों हर एक थाने में मठाधीश बंन बैठे क्यों?
विदित हो कि कोरिया और एमसीबी पुलिस के कई सिपाही इन दिनों हर एक थाने में मठाधीश बंन करके बैठे हुए हैं जो अपराधियों से सीधे संबंध रखते हैं इनके फोन के यदि बारीकी से सभी डिटेल निकालकर के जांच की जाए तो पता चलेगा कि यह दिन भर में अधिक समय अपराधियों के अपराध को बेहतर क्रियान्वयन के लिए करते हैं संभागीय पुलिस के आला अधिकारी पुलिस महानिरीक्षक यदि वास्तव में एमसीबी पुलिस और उसके जवानों से बेहतर कार्य की उम्मीद करते हैं तो एक बार इन सभी सिपाहियों और अफसरों के फोन डिटेल को निकालकर स्वयं जांच करा लेवे ताकि स्पष्ट हो सके की अपराधियों के साथ अपराध घटित होने में इन पुलिस वालों की क्या भूमिका है? बीते दिवस झगड़ाखंड थाने में हुई इस कार्रवाई से कई सवाल उत्पन्न हो रहे हैं, पहला सवाल यह है कि पुलिस की मुखबिरी तंत्र पूरी तरह से फेल है जब उस गाड़ी में पुलिस के जवान मौजूद हैं तो बताने वाले व्यक्ति ने यह कैसे बता दिया कि उसमें मादक पदार्थों की तस्करी हो रही है, और जब पूरे मार्गों की पुलिस से बच बचाकर झगड़ाखाड पुलिस उसे पकड़ लेती है तो उसमें पुलिस के मनेंद्रगढ़ थाने में वर्षों से जमे मठाधीश मौजूद रहते हैं, क्या ये पुलिस वाले अपराधियों के साथ मादक पदार्थ की तस्करी में मौजूद थे? क्या इनके द्वारा ही या भरोसा दिला कर कि तुम गाड़ी लेकर के आओ और हम पूरे थाने निकलवा देंगे ऐसा करार किया गया था? जैसा कि पूर्व में भी कोरिया पुलिस में यही जवान करते आए हैं।
क्या पुलिस ही दे रही तस्करों साथ?
इस पूरे घटनाक्रम में पुलिस पर बड़े सवालिया निशान लग रहे हैं क्षेत्र में बड़ा चर्चा का विषय है सभी प्रबुद्ध जन अपनी सुरक्षा और जनता की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं आखिर इन दिनों थानों में हो क्या रहा है जिनके कंधे पर सुरक्षा और इन सभी मादक पदार्थों के नियंत्रण के लिए जिम्मेदारी सरकार ने दे रखी है वहीं कुछ पैसों के लालच में इनकी तस्करी करवा रहे हैं इस दौरान कौन सी गाड़ी पकड़ाई कहां से गाड़ी आई थी पुलिस के जवान कब सवार हुए थे क्यों उस कबाड़ी की गाड़ी में पुलिस के जवान सवार थे झींगा जैसे 302 जैसे कई जघन्य संगीन अपराधों में लिप्त व्यक्ति के साथ पुलिस वाले क्या कर रहे थे यह सब अति संवेदनशील जानकारीया देने वाला पुलिस में अब कोई नहीं बचा है सभी ने चुप्पी साध रखी है इस पूरे मामले को रफा-दफा कर दिया गया है ऐसा प्रतीत होता है कि ऐसी कोई घटना ही नहीं हुई क्या नवनियुक्त पुलिस अधीक्षक को इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी नहीं है या फिर किसी दबाव से उन्हें मजबूरन चुप रहना पड़ रहा है।