संपादकीय@चुनाव को बचे महज चार माह,उप मुख्यमंत्री बनने का फैसला आखिर क्यों लिया टी एस सिंहदेव ने?

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  • मुख्यमंत्री का सपना संजोए टी एस सिंहदेव को आखिर किसने किया मजबूर,स्वीकार किया उप मुख्यमंत्री पद.
  • क्या आने वाले चुनाव में टी एस सिंहदेव का चेहरा कांग्रेस छत्तीसगढ़ में रखेगी आगे?
  • टी एस सिंहदेव को सरकार के आखिरी कार्यकाल में उप मुख्यमंत्री बनाए जाने पर प्रदेशवासी भी अचंभित
  • क्या जन घोषणा पत्र के अब तक अधूरे वादों को पूरा करने टी एस सिंहदेव को आलाकमान ने दी जिम्मेदारी?
  • पिछले चुनाव से पूर्व कांग्रेस पार्टी के जन घोषणा पत्र प्रभारी थे टी एस सिंहदेव
  • जन घोषणा पत्र के वादों के आधार पर ही छत्तीसगढ़ की जनता ने कांग्रेस को दिया था अपना समर्थन
  • मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का अकेला चेहरा छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बना पाने में नहीं होगी सफल,क्या इसीलिए लिया गया फैसला?
  • जिसे साढ़े चार साल हर मामले में किया गया उपेक्षित,उसे अंतिम चार महीनों के लिए बनाया गया उप मुख्यमंत्री

लेख रवि सिंह:- छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी ने 15 साल बाद सत्ता में वापसी की और वापसी भी तब पार्टी कर सकी जब लोक लुभावन जन घोषणा पत्र जिसे जनता ने भी स्वीकार किया तैयार हो सका और जनता के बीच उसे पूरा समर्थन इस कारण मिल सका क्योंकि उसमे किए गए वादे जनता ने पूरे होने की उम्मीद कांग्रेस पार्टी से लगाई और कांग्रेस को सत्ता में वापसी दिलाया। जन घोषणा पत्र भी ऐसे ही तैयार नहीं हुआ बकायदा इसके लिए प्रभारी नियुक्त किए गए और इसका जिम्मा सरगुजा महराज साथ ही विधायक टी एस सिंहदेव को मिला जिन्होंने महीनों प्रदेश के हर कोने में जाकर लोगों से मुलाकात किया और हर वर्ग के लोगों से उनकी मांग एवम समस्याओं पर विस्तृत चर्चा कर जो निचोड़ निकल सका उसके अनुरूप पूरी की जा सकने वाली घोषणाओं को जन घोषणा पत्र में शामिल किया गया और फिर उसे मूर्त रूप प्रदान कर जनता के समक्ष रखा गया और जिसे जनता ने स्वीकार किया और सरकार कांग्रेस पार्टी की बन सकी।
छत्तीसगढ़ में जब कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी तब सभी ने यही कयास लगाया था की टी एस सिंहदेव जिनके जन घोषणा पत्र के कारण जनता ने कांग्रेस पार्टी को मौका दिया है प्रदेश में उन्हे ही प्रदेश का नेतृत्व करने का मौका मिलेगा और वही संभावित मुख्यमंत्री हो सकते हैं लेकिन इन कयासो और संभावनाओं पर तब विराम लग गया जब मुख्यमंत्री पद की दौड़ में चार नाम शामिल कर दिए गए जिनमे से किसी अन्य के मुख्यमंत्री बनने की उम्मीद भी नजर नहीं आ रही थी और तब आश्चर्यजनक तौर पर यह सूचना आई की भूपेश बघेल अब मुख्यमंत्री होंगे और वही प्रदेश का नेतृत्व सम्हालेंगे। मुख्यमंत्री का नाम तो पार्टी आलाकमान ने तय कर दिया लेकिन उसी समय एक सूचना यह भी प्रसारित हुई मिडिया में जिसकी सच्चाई आज तक सामने नहीं आई की ढाई ढाई साल का फार्मूला तय हुआ है और प्रदेश में ढाई साल बाद मुख्यमंत्री बदला जाएगा जो टी एस सिंहदेव होंगे।प्रदेश की सत्ता में कांग्रेस पार्टी ने पंद्रह साल बाद वापसी भी बड़ी जोरदार की थी और सत्ताधारी दल भाजपा को उसने कुल 15 सीटों पर सीमित कर दिया था। प्रदेश में ढाई साल कांग्रेस पार्टी की सरकार किसी तरह चली और इस दौरान टी एस सिंहदेव की सरकार में भूमिका कई विभागों के मंत्री की बनी रही लेकिन उनका प्रभाव कमजोर किया जाता रहा और उन्हे उपेक्षित किया जा रहा है ऐसा नजारा देखने को मिलता रहा और जब ढाई साल पूरे हुए टी एस सिंहदेव दिल्ली की दौड़ करते नजर आने लगे और फिर ढाई साल वाले समझौते की बात फिर समाने आने लगी और प्रदेश के लोग मुख्यमंत्री बदले जाने का कयास लगाने लगे और इस दौरान लगातार टी एस सिंहदेव का दिल्ली दौरा जारी रहा।
दिल्ली दौरे के दौरान टी एस सिंहदेव ने ढाई साल के फार्मूले को लेकर खुलकर तो कुछ नहीं कहा लेकिन उनका हाव भाव साथ ही उनके कई बयान ढाई साल वाले फार्मूले को बल देते रहे और वह लागतार दिल्ली आलाकमान तक जाते रहे। दिल्ली अकेले टी एस सिंहदेव ने दौड़ लगाई यह भी नहीं था टी एस सिंहदेव के दिल्ली दौरों के दौरान पूरी सरकार दिल्ली दौड़ती रही और सभी विधायक अपनी अपनी बात आलाकमान तक रखने दिल्ली पहुंचते रहे और कई बार यह माना जाने लगा की मुख्यमंत्री बदले जाएंगे और टी एस सिंहदेव को नेतृत्व मिलने ही वाला है। टी एस सिंहदेव के दिल्ली दौरों से प्रदेश के मुख्यमंत्री को भी परेशान देखा गया और उन्होंने अपने पक्ष में अधिकतम विधायकों को दिल्ली का दौरा कराया और आलाकमान के सामने सभी की राय प्रस्तुत कराया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और टी एस सिंहदेव के बीच ढाई साल बाद दूरियां और बढ़ीं और ढाई साल बाद टी एस सिंहदेव को और उपेक्षित किया जाने लगा जिसका कई बार अपने बयानों में टी एस सिंहदेव ने अलग अलग शब्दों में बखान किया जो यह जता गया की अब तलवारें खिंच चुकी हैं और दोनो के बीच आपसी अब कभी सामान्य व्यवहार नहीं देखा जायेगा।
उपेक्षा का आरोप लगाकर टी एस सिंहदेव ने एक मंत्रालय का प्रभार भी लौटाया था
टी एस सिंहदेव और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बीच आपसी तनातनी इतनी बढ़ चुकी थी अपनी उपेक्षा से टी एस सिंहदेव इतने व्यथित हो चुके थे की उन्होंने एक मंत्रालय का प्रभार सरकार को लौटा दिया था और आरोप लगाया था की जब उनके ही विभाग में उनकी सुनवाई नहीं तो प्रभार लेकर वह क्या करेंगे। विभाग पंचायत एवम समाज कल्याण का था और जिसकी वापसी पर मुख्यमंत्री ने भी मानमनौवल का प्रयास नही किया था और विभाग अन्य विधायक को सौंप दिया था। उस समय भी यही माना जा रहा था की टी एस सिंहदेव अब अत्याधिक व्यथित हैं उपेक्षा से और वह कोई बड़ा निर्णय ले सकते हैं।
मुख्यमंत्री समर्थक विधायक ने टी एस सिंहदेव के खिलाफ खोला था मोर्चा,लगाए थे गंभीर आरोप
टी एस सिंहदेव पर मुख्यमंत्री समर्थित विधायक ने गंभीर आरोप भी लगाए थे और जिसको लेकर भी प्रदेश में काफी दिनों तक हलचल देखी गई थी जिसमें टी एस सिंहदेव के विरोध में सभी मुख्यमंत्री समर्थित विधायक एकजुट हुए थे और उन्होंने टी एस सिंहदेव के विरोध में विधायक का साथ दिया था।
स्वास्थ्य मंत्री होने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग की कई गाड़ियों में स्वास्थ्य मंत्री की कभी तस्वीर नहीं लगी देखी गई
टी एस सिंहदेव की उपेक्षा किस कदर की जा रही थी इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की स्वास्थ्य विभाग के ही कई वाहनों में स्वास्थ्य मंत्री होने के बावजूद टी एस सिंहदेव की तस्वीर नहीं लगाई गई कभी बशर्ते शहरी स्वास्थ्य सेवा में रत वाहन में नगरीय प्रशासन मंत्री की तस्वीर तो लगाई गई मुख्यमंत्री के साथ लेकिन टी एस सिंहदेव की तस्वीर कभी नही लगी।
साढ़े चार साल की उपेक्षा के बाद आखिरी बचे चार महीनों के कार्यकाल के लिए टी एस सिंहदेव बनाए गए उप मुख्यमंत्री
दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान ने यह तय किया की बचे हुए अंतिम चार माह के कार्यकाल के लिए छत्तीसगढ़ सरकार के उप मुख्यमंत्री होंगे टी एस सिंहदेव। साढ़े चार साल टी एस सिंहदेव की सरकार में भूमिका मंत्री होने के बावजूद भी नजर नहीं आई और उन्हे उपेक्षित ही किया जाता रहा,अब चार शेष बचे माह में टी एस सिंहदेव की क्या भूमिका होगी यह भी बड़ा सवाल है।
अंतिम चार माह के कार्यकाल के लिए उप मुख्यमंत्री बनने आखिर क्यों तैयार हुए टी एस सिंहदेव
सवाल यह भी है की अंतिम चार माह  सरकार के बचे कार्यकाल में टी एस सिंहदेव उप मुख्यमंत्री बनने क्यों तैयार हो गए। चार माह बाद चुनाव होने हैं और अब सरकार कोई बड़ी योजना भी प्रदेश में लागू करेगी लगता नहीं है। टी एस सिंहदेव ने आखिर क्यों सहमति दी उप मुख्यमंत्री पद के लिए यह सवाल आज प्रदेश के हर व्यक्ति के जेहन में है। वैसे टी एस सिंहदेव उप मुख्यमंत्री रहकर जितनी क्षमता रखेंगे उतनी ही उनके पास मंत्री रहते हुए भी बनी हुई थी और उस दौरान वह उपेक्षित होते रहे जो सभी ने देखा है।
मुख्यमंत्री का सपना संजोए बैठे टी एस सिंहदेव की आखिर कौन सी थी मजबूरी जो उन्होंने स्वीकार किया उप मुख्यमंत्री का पद
टी एस सिंहदेव की मंशा मुख्यमंत्री बनने की थी और जिसको लेकर वह सरकार के ढाई साल पूरा होते ही सक्रिय भी नजर आ रहे थे लेकिन उन्होंने अपनी मुख्यमंत्री बनने की ईच्छा का क्यों त्याग किया यह बड़ा सवाल है वहीं सरकार के अंतिम बचे चार माह के कार्यकाल के लिए उन्होंने उप मुख्यमंत्री का पद स्वीकार किया यह भी बड़ी बात है साथ ही सवाल है की आखिर किसने उनके ऊपर दबाव डाला और उन्होंने उप मुख्यमंत्री का पद स्वीकार किया ,मजबूरी थी या दबाव यह तो टी एस सिंहदेव ही स्पष्ट कर सकते हैं लेकिन अब वह इसको लेकर खुलासा करेंगे यह लगता नहीं है।
क्या मुख्यमंत्री भूपेश के अकेले चेहरे पर कांग्रेस पार्टी की छत्तीसगढ़ में नहीं हो सकती वापसी,इसीलिए टी एस सिंहदेव को बनाया उप मुख्यमंत्री?
सवाल यह भी है की क्या मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अकेले चेहरे के दम पर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनती नजर नहीं आ रही है क्या इसीलिए टी एस सिंहदेव को मनाया गया और उप मुख्यमंत्री बनाया गया यह भी सवाल खड़ा हो रहा है। वैसे टी एस सिंहदेव का जनाधार पूरे प्रदेश में है और उनको कम आंकना भी गलत ही होता शायद इसलिए आलाकमान ने टी एस सिंहदेव को मनाने उप मुख्यमंत्री बनाया है यह कयास लगाए जा रहे हैं। वहीं अकेले मुख्यमंत्री पार्टी को अगले चुनाव में जीत दिला सकने में समर्थ नजर आते तो पार्टी अंतिम चार महीने के लिए ऐसा निर्णय नहीं लेती यह भी लोगों का मानना है।
क्या अब जन घोषणा पत्र के अधूरे वादे अब होंगे पूरे, टी एस सिंहदेव ही थे जन घोषणा पत्र प्रभारी?
छत्तीसगढ़ में पंद्रह साल बाद कांग्रेस पार्टी की सत्ता में वापसी के पीछे उसकी जन घोषणा पत्र का प्रमुख हांथ था और जिसके प्रभारी टी एस सिंहदेव थे जिसे नकारा नहीं जा सकता। अभी भी सरकार के शेष बचे चार महीनों के दौरान कई वादे जन घोषणा पत्र के अधूरे हैं। अब क्या अधूरे वादे टी एस सिंहदेव पूरे करेंगे यह भी सवाल उठ रहा है। क्या जन घोषणा पत्र जिसे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पूरी तरह अमली जामा पहना पाने में सफल नहीं हो सके उसे टी एस सिंहदेव के चार माह के कार्यकाल में पूरा किया जाएगा।


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