- ग्राम पंचायत मे महिला सरपंचों की जगह जिम्मेदारी निभा रहे उनके सगे-संबंधियों पर किसी प्रकार कि कोई रोक नही है…
- पंचायतीराज के तहत पंचायतों में महिला सरपंचों की भागीदारी के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण का है प्रावधान
-राजेन्द्र शर्मा-
खड़गंवा 27 जून 2023 (घटती-घटना)। छत्तीसगढ़ में पंचायतीराज के तहत पंचायतों में महिला सरपंचों की भागीदारी के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। जिसके तहत वर्तमान में 55 से 60 प्रतिशत महिलाएं चुनाव जीतकर पदासीन है। जहां निर्वाचित महिला पंचायत पदाधिकारियों को पंचायतों के कामकाज में क्रियान्वयन, पर्यवेक्षण, निरीक्षण नियंत्रण आदि के लिए स्वयं निर्णय लेने के संबंध में सक्षम बनाने के लिए केंद्र सरकार के निर्देशानुसार राज्य सरकार ने सभी कलेक्टरों और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को इस संबंध में आदेश जारी किया गया है। जिस परिपत्र में कहा गया है कि पंचायत के कामकाज संचालन के दौरान पंचायत कार्यालय परिसर के भीतर महिला सरपंच को उनके कोई भी सगे- संबंधी, रिश्तेदार पंचायत संबंधित किसी भी कार्य मे हस्तक्षेप या दखलंदाजी नही करेंगे। किसी विषय पर किसी भी पदाधिकारी, कर्मी को महिला पंचायत पदाधिकारी की ओर से निर्णय लेकर सुझाव अथवा निर्देश नही देंगे। अन्यथा संबंधित महिला पंचायत पदाधिकारी के विरुद्ध पंचायत राज अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। इस प्रावधान को आवश्यक सुनिश्चित कराने कहा गया है। जिसके परिपालन में जिला पंचायत के द्वारा जिले के सभी जनपद पंचायत के सीईओ को उक्ताशय के आदेश का गंभीरता के साथ पालन करने व कराने निर्देश दिए गए है। किंतु खड़गवां जनपद पंचायत के सीईओ को उक्त आदेश की कोई परवाह नही है, या फिर पालन कराने में असमर्थ है, शायद इसीलिए पत्नी, मां, बहन अथवा परिवार के किसी अन्य महिला को चुनाव में जिताकर उनके रिश्तेदार पंचायतों की बैठकों में हिस्सा लेने व उनके समस्त कार्यों की जिम्मेदारी अभी भी निभा रहे है। जो जनपद सीईओ के निष्कि्रयता के पराकाष्ठा की अभूतपूर्व मिशाल है। कई महिला सरपंच के सगे- संबंधी जो शासकीय सेवारत है वे भी अपना सरकारी जवाबदेही छोड़ पंचायतों के निर्माण कार्यों से संबंधित फाइलें अपने हाथों में लटकाए जनपद कार्यालय के गलियारे में नजर आते है। वही जनपद कार्यालय में ली जाने वाली सरपंच बैठके में भी निर्वाचित महिला सरपंचों के रिश्तेदार ही अधिकतर शामिल होते है और जनपद सीईओ के द्वारा क्षेत्र निरीक्षण में ग्राम पंचायतों में भी महिला सरपंचों के सगे संबंधी ही मिलते हैं जो ग्राम पंचायतों से संबंधित कार्यों की देखरेख करते दिखाई देते हैं जिसके बाद भी जनपद अधिकारी द्वारा किसी प्रकार का रोक ही नही है। इस प्रकार खड़गवां जनपद में शासन के आदेश की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है, सरकार व प्रशासन से जारी दिशा- निर्देशों का पालन न करना शासन के विपरीत मनमाने कार्यशैली को उजागर करता है। जो अनुशास नहीनता की श्रेणी में आता है। जनपद सीईओ के इस कर्तव्यहीन कार्यशैली के कारण महिला पंचायत पदाधिकारियों की भागीदारी खडगव जनपद में सुनिश्चित नही हो पा रही है।
बहरहाल वैसे भी प्रदेश में अफसर राज कायम है, व नौकरशाह बेलगाम हो चले है। और ये जनप्रतिनिधियों की भी नही सुनते। तथा कर्तव्यहीनता, निष्कि्रयता व लापरवाही ऐसे नौकरशाहों की आदत बन गई है। एवं उन्हें सरकार व प्रशासन के निर्देश- आदेश की कोई परवाह नही है। शासन- प्रशासन को ऐसे कर्तव्य विमुख नौकरशाहों पर तत्काल लगाम कसना चाहिए?