सूरजपुर@तहसीलदार बैठती हैं एयर कंडीशनर में और तहसील आने वाले बैठते हैं पेड़ की छांव में

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  • पद बड़ा है या मानवता ? सूरजपुर तहसील कार्यालय करोड़ों का राजस्व वसूलने वाला कार्यालय माना जाता है और वहां पर आने वाले को नहीं मिलती कोई सुविधा
  • क्या गर्मी सिर्फ तहसीलदार व उनके कर्मचारियों को ही लगती है जिनके टैक्स से उनको तनख्वाह मिलती है क्या उन्हें नहीं लगती गर्मी?
  • क्या कार्यालय का काम सिर्फ राजस्व जुटाना या फिर वहां आने वालों को बेहतर सुविधा देना भी है?
  • यदि कार्यालय का औचक निरीक्षण किया जाए तो समझ में आ जाएगी वहां पर आने वाले लोगों की परेशानी


-ओंकार पाण्डेय-
सूरजपुर,25 जून 2023 (घटती-घटना)। तहसील कार्यालय से शासन को बहुत बड़ा राजस्व देता है और यह राजस्व उस क्षेत्र की जनता से मिलते हैं जो राजस्व लेने के लिए जिम्मेदार अधिकारी बैठे हैं उन्हें गर्मी ठंडी और बरसात समझ में आती है, गर्मी में तहसील कार्यालय में बैठे तहसीलदार व कर्मचारियों को गर्मी लगती है जिसके लिए ऐसी कूलर की व्यवस्था की गई है ठंडी में ठंड के समय रूम हीटर तक की व्यवस्था हो जाती है बरसात में उन्हें दिक्कत ना हो इसके लिए हुए फोर व्हीलर में आते हैं यहां तक कि शासन ने उन्हें सरकारी गाड़ी भी उपलब्ध करा रखी है, ताकि लोगों का काम नियम से हो सके और लोगों को परेशान ना होना पड़े पर सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि सूरजपुर जिले के मुख्यालय तहसील कार्यालय सूरजपुर में जिनसे राजस्व मिलना है जिन्हें प्रतिदिन इस कार्यालय में अपने कार्य के लिए आना है उनके लिए कोई व्यवस्था नहीं है गर्मी में जहां तहसीलदार एसी में बैठते हैं तो वही लोगों को एक पेड़ की छाया के नीचे बैठकर अपने कार्य होने का इंतजार करते हैं। जिन लोगों से राजस्व मिलता है उन्हीं के लिए सुविधाओं का अभाव है जबकि राजस्व देने वाले की वजह से ही तहसील कार्यालय में कार्यरत कर्मचारी व तहसीलदार को वेतन मिलता है इसके बावजूद वहां पर आने वाले पक्षकारों के लिए उत्तम व्यवस्था तो छोडि़ए गर्मी में ना छाया की व्यवस्था होती है और ना ही उनके लिए शीतल जल की, उल्टा राजस्व न्यायालय में आने वाले लोगों को अपने काम के एवज में घूस के तौर पर अर्थदंड भी देना पड़ता है यह बात किसी से छुपी नहीं है अपने ही दस्तावेजों के लिए टेबल के नीचे से गांधीजी वाले छपी नोट को बाबू व कर्मचारियों को देना पड़ता है, चाहे वह काम सही हो या फिर गलत, तहसील कार्यालय में जाने वाले लोगों से यदि मिल लिया जाए और उनका दुख दर्द समझा जाए तो समझ में आता है कि वहां पर जमीन के मामले किस कदर गरीब व आम लोगों को परेशान होना पड़ता है।
कार्यालय में भू माफियाओं का जमघट लगा होता है और आम आदमी वहां पर परेशान होते देखा जा सकता है किसी के जमीन पर कोई कब्जा कर लिया है तो किसी को धोखे में देकर किसी की जमीन बेच दिया है जैसे कई मामले राजस्व में पढ़े हुए हैं जहां पर निष्पक्ष तरीके से कार्यवाही तो नहीं दिखती पर लोगों की परेशानियां वहां पर जरूर बड़ी होती है परेशानियां उन्हीं के नहीं पड़ती है जो टेबल के नीचे से मोटी रकम देते हैं टेबल के नीचे से जो रकम नहीं देता वह परेशानी से जूझता है अब जिस से काम करवाना है तो वह भी करे तो करे क्या टेबल के नीचे से देना ही उचित समझता है बिना टेबल के नीचे से दिए कोई काम नहीं होता यह एक धारणा बन चुकी है और इसी धारणा पर अधिकारी व कर्मचारी चल रहे हैं और यह चलते भी रहेंगे क्योंकि इनके मनोबल बढ़ चुके हैं और इनके मनोबल को कम करने वाला कोई नहीं है, जिन्हें जनता प्रतिनिधित्व करने के लिए चुनकर अपना मसीहा बनाती है वह भी इन्हीं लोगों के पैरवी में लगे होते हैं जनता की पैरवी से उन्हें कोई मतलब या सरोकार नहीं होता।
क्या गर्मी अधिकारी व कर्मचारी को लगती है?
सूरजपुर तहसील कार्यालय में एक बहुत बड़ा सवाल लोगों के जहन में घूम रहा है वह सवाल इसलिए घूम रहा है क्योंकि इस बार काफी भीषण गर्मी पड़ रही थी और तहसीलदार के कमरे में एसी लगा हुआ है कर्मचारियों के लिए कूलर की व्यवस्था थी पर वही अपने राजस्व से जुड़े मामलों के लिए आने वाले लोग इस भीषण गर्मी में एक पेड़ की छांव का सहारा लिए बैठे रहते थे वह तो शुक्र है उस प्रकृति का जिसे उसने उस पेड़ को लोगों के लिए गर्मी का सहारा बना दिया था, जहां तहसीलदार व कर्मचारियों के लिए शीतल जल के लिए दुकानों से खरीद कर पानी मुहैया हो जाती है वही वहां पर आने वाले लोगों को पेयजल तक की समस्या से जूझना पड़ता है, व्यवस्था लोगों के लिए जीरो है बस वहां पर आने वाले लोगों से उनके कार्यों के नाम पर सिर्फ वसूली होती है। बिना दान दक्षिणा के तहसील कार्यालय में आसानी से किसी का काम नहीं होता और खासकर उन लोगों का तो बिल्कुल नहीं जो काफी गरीब है जो पढ़े लिखे नहीं हैं ऐसे लोगों के साथ उल्टा कई परेशानियां खड़ी हो जाती हैं। गरीब तबके के लोगों के लिए किसी का सोर्स पैरवी भी नहीं आता।
क्या सिर्फ राजस्व वसूलना ही प्राथमिकता है लोगों को बिना परेशानी उनका काम करना क्या प्राथमिकता नहीं ?
तहसील कार्यालय में वह दिन कब आएगा जब लोगों का काम बहुत आसानी से बिना टेबल के नीचे से दिए बिना हो जाएगा ऐसा रामराज कब आएगा इसका इंतजार आज भी लोगों को है पर यह रामराज किसकी सरकार में आएगा यह बड़ा सवाल है, इस समय लोगों की जमीन पर भूमाफिया की गीत वाली नजर लोगों को परेशान कर रखी है, जिन लोगों से राजस्व आना है उन लोगों के लिए कार्यालय में कोई सुविधा नहीं है बिना पैरवी के आम लोगों का काम तो होना मुश्किल है।


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