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एमसीबी,@आखिर कब तक गरीबों और जरूरतमंदों के हक पर नेता डालते रहेंगे डाका?

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  • मुख्यमंत्री 20 लाख का निःशुल्क इलाज करा रहे…फिर विधायक इलाज के नाम पर 25 हजार का स्वेच्छानुदान पार्षद को क्यों दिला रहे?
  • शासकीय राशि है या फिर रेवड़ी,जिसे जहां चाह रहे वहां बांट रहे हैं?
  • क्या मुख्यमंत्री को उन्हीं के विधायक झूठा बनाने पर तुले हैं?
  • स्वेच्छानुदान राशि को लेकर मनेंद्रगढ़ विधायक फिर आए सुर्खियों में,जरूरतमंदों की जगह कांग्रेस पार्टी सदस्यों को ही बांट दी राशि
  • प्रभारी मंत्री की अनुशंसा से 10 लाख रुपए का भुगतान जरूरत मंद को न करते हुए अपने चहेतों को किया विधायक ने
  • पहले भी अपना चेहरा चमकाने स्वेच्छानुदान राशि का वितरण पत्रकारों सहित अन्य को कर चुके हैं मनेंद्रगढ़ विधायक।
  • स्वेच्छानुदान राशि भुगतान सूची देखकर यही कहा जा सकता है की मनेद्रगढ विधानसभा में जरूरतमंद केवल कांग्रेसी नेता
  • भाजपा ने भी ली चुटकी कहा नए नए आर्थिक रूप से कमजोर और दयनीय स्थिति वालों को स्वेच्छानुदान मिलने की बधाई
  • क्या स्वेच्छानुदान राशि का यही है सही उपयोग, क्या स्वेच्छानुदान के लिए सत्ताधारी दल का सदस्य होना जरूरी?
  • क्या जिन्हे मिली स्वेक्षानुदान राशि वह हैं उसके असली हकदार,क्या उन्हे गरीब बनकर राशि लेने में नहीं आई शर्म
  • एक बार स्वेच्छानुदान जब पत्रकारों को दिया था विधायक ने कुछ पत्रकारों ने लौटाया था चेक


-रवि सिंह
एमसीबी, 24 जून 2023 (घटती-घटना)। स्वेच्छानुदान की राशि शासकीय राशि होती है और यह निर्वाचित जनप्रतिनिधि के द्वारा गंभीर परिस्थितियों में दिलाई जाती है, पर यदि इस राशि को रेवड़ी बना दिया जाए तो फिर सवाल उठना लाजमी है? इस समय जो देखा जा रहा है स्वेच्छानुदान की राशि को रेवड़ी की तरह बांटा जा रहा है, बाटने के पीछे का उद्देश्य क्या चुनाव जितना है या फिर सही में उस पैसे का उपयोग उन जरूरतमंदों को मिलेगा जो इसके लिए पात्रता रखते हैं या फिर कहे तो इस पैसे की जरूरत होने अत्यधिक है। एक बार फिर माननीय विधायक डॉ विनय जयसवाल स्वेच्छानुदान की राशि में फिर से आलोचनाओं में घिर गए और इस बार उन्होंने अपने मुख्यमंत्री को भी आलोचनाओं में ढकेल दिया है, जहां मुख्यमंत्री के बड़े-बड़े बैनर पोस्टर यह दावा कर रहे हैं कि 20 लाख तक का इलाज लोगों को निशुल्क मिल रहा है, यदि जब 20 लाख तक का लोगों को निशुल्क इलाज मिल रहा है तो फिर इलाज के लिए विधायक जी स्वेच्छानुदान की राशि 25 हजार पार्षद को क्यों दिला रहे? 20 लाख की राशि अधिक होती है या फिर 25 हजार की? जब उन्हीं की सरकार लोगों को 20 लाख तक का निशुल्क इलाज दे रही है तो फिर स्वेच्छानुदान के तहत 25 हजार देना कहां तक उचित है? स्वास्थ्य को लेकर बड़े-बड़े बैनर पोस्टर में 20 लाख तक का निशुल्क इलाज होना है जिसका प्रचार प्रसार भी व्यापक ढंग से किया जा रहा है, यहां तक कि स्वास्थ्य केंद्रों में इसके बैनर पोस्टर भी छपे हुए हैं इसके बावजूद विधायक जी 25 हजार इलाज के नाम पर दिला कर, क्या आपने सरकार को ही झूठा साबित करना चाहते हैं?
मनेंद्रगढ़ विधायक ने एक बार फिर जरूरतमंद लोगों के लिए शासन की महत्वाकांक्षी योजना विधायक स्वेच्छानुदान राशि का भुगतान ऐसे लोगों को किया है जो असल मायने में उसके लायक नहीं हैं या यह कहें उन्हे स्वेच्छानुदान राशि की जरूरत उतनी नहीं है जितनी एक गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर श्रेणी के लोगों को है जिन्हे यदि यह राशि मिलती तो उनका कुछ भला जरूर होता। मनेंद्रगढ़ विधायक ने स्वेच्छानुदान मद की राशि का भुगतान ऐसे लोगों के या उनके परिवार के पक्ष में किया है जो या तो सत्ताधारी दल से जुड़े हुए लोग हैं या फिर विधायक के काफी करीबी हैं। पूरी सूची में एक भी जरूरतमंद को राशि दी गई हो सहायता की ऐसा नजर नहीं आता है। पहले भी विधायक के स्वेच्छानुदान को लेकर सवाल उठते रहे हैं और देखा गया है की उन्होंने पहले भी अपना चेहरा चमकाने या ऐसे लोगों को यह राशि प्रदान की है जो आर्थिक रूप से कमजोर या जरूरतमंद तो नहीं थे लेकिन वह विधायक के या तो खास थे या फिर पार्टी से जुड़े पदों पर आसीन लोग थे। इस बार भी विधायक ने जरूरतमंदों को अपनी स्वेक्षानुदान सूची में स्थान नहीं दिया है बल्कि अपने खास लोगों को सूची में स्थान देने के लिए उन्होंने एक ही परिवार के सात सदस्यों को भुगतान जरूर किया है।
क्या निर्वाचित प्रतिनिधि स्वेच्छानुदान को रेवड़ी समझ लिए हैं..जिसे बटकर चुनाव जीतेंगे?
एक बार फिर स्वेच्छानुदान राशि की सूची जारी होते ही विधायक जी आलोचनाओं में घिर गए, एक बार फिर उनके ऊपर सवालों की बौछार हो रही है, लोगों का कहना है कि स्वेच्छानुदान की राशि को रेवड़ी समझकर माननीय विधायक जी बाटे पड़े हैं, जबकि यह राशि किस उद्देश्य से खर्च की जाती है यह माननीय विधायक जी को भली-भांति पता है, इसके बावजूद इन राशियों का बंदरबांट समझ के परे है। पिछले बार ही स्वेच्छानुदान की राशि को बांट कर बुरा फंसे थे और उससे सीख लेने के बजाय एक बार फिर से वही गलती उनके द्वारा दोहराई गई, जिसे लेकर जमकर आलोचना हो रही है।
क्या स्वेच्छानुदान है दिलाएगा 2023 चुनाव में जीत?
जिस प्रकार से स्वेच्छानुदान की राशि बांटी जा रही है, उसे देखकर ऐसा लग रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव इस राशि के दम पर ही जीतकर दोबारा सत्ता पर आसीन होंगे। जिस प्रकार से शासकीय राशि को बांट करो उसका दुरुपयोग किया जा रहा है यह बात किसी से छुपी नहीं है, सूची जारी होते ही लोगों को समझ में आ गया कि एक बार फिर सूची में ऐसे ऐसे नाम शामिल है जिन्हें सूची में नहीं होना चाहिए था, ऐसा लगा कि रेवड़ी बांटने के लिए ही सूची बनाई गई थी, और अपने करीबियों को अब इलाज के नाम पर उस राशि को बांट दिया गया, स्वेच्छानुदान की राशि कोई रेवड़ी नहीं है जिसे बांटा जा रहा है, और ना ही विधायक जी के वेतन है जिसे वह चाहे वहा बांट देंगे, बाटना की है तो अपने वेतन के पैसे को बांटे शासन के पैसे का दुरुपयोग ना करें ऐसा लोगों का कहना।
कहीं वर्तमान विधायक अपनी गलतियों से विपक्षी पार्टी को मजबूत तो नहीं कर रहै?
सत्ताधारी विधायक ऐसी ऐसी गलतियां कर रहे हैं जिससे विपक्ष को सत्ता में आने में मदद मिल सकती है, क्या सत्ता दल के नेता गलती करके विपक्ष को फिर से सत्ता में आसीन होने का मौका दे रहे हैं या फिर वाकई में वह राजनीति नहीं जानते? और उनके में जनसेवा बची नहीं है, वह सिर्फ सत्ता का सुख भोगना चाहते थे जो एक बार भोग चुके? विधायकों की लिस्ट में शामिल हो चुके हैं अब उसके ऊपर जा नहीं सकते इसलिए अब वह हताश होकर जो मन में आ रहा है वह अंतिम समय पर कर रहे? इसे देख कर लग रहा है कि उनका जाना तय है।


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