बैकुंठपुर/एमसीबी@क्या चुनाव से पहले सरकार को झुकाने की कवायद शुरू?

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कर्मचारी संगठनों सहित कई संगठन हड़ताल आंदोलन के जरिए सरकार को झुकाने का कर रहे प्रयास
अपने मत का तभी करेंगे वर्तमान सरकार के लिए प्रयोग जब होगी मांग पूरी क्या यही है लोकतंत्र?
-रवि सिंह-
बैकुंठपुर,/एमसीबी,22 जून 2023 (घटती-घटना)।
चुनाव से 6 महीने पहले किसी भी सरकार से अपनी बात मनवाने का समय सही समय माना जाता है, कहा जाता है कि शासनकाल के अंतिम 6 महीने में सरकार को झुकाने के लिए यही समय उचित होता है, क्योंकि इस समय सरकार को इसलिए झुकाया जा सकता है क्योंकि किसी दल जिसकी सरकार वर्तमान में है उसे दुबारा सरकार में आने की ईक्षा होती है और इसके लिए वह कुछ भी करने को तैयार होते है चाहे वह उचित हो या फिर अनुचित यही कारण होता है कि अंतिम के 6 महीना सरकार से अपनी बातें मनवाने के लिए कर्मचारी संगठनों सहित अन्य संगठन हावी हो जाते हैं और सरकार को झुकाने का प्रयास किया जाता है, कुछ ऐसा ही इस समय छत्तीसगढ़ में देखने को मिल रहा है अलग-अलग संघ के लोग सरकार पर अब अपनी मांगों को लेकर दबाव बनाने लगे हैं दबाव को लेकर हड़ताल व आंदोलनरत भी दिख रहे हैं उन्हें लग रहा है कि सरकार वोट बैंक की राजनीति में उनका कुछ भला कर जाएगी पर सरकार क्या भला करेगी यह तो आने वाला समय बताएगा फिलहाल सरकार को झुकाने के लिए संगठन आंदोलनरत दिख रहें हैं।
कई कर्मचारी संघ कर चुके आंदोलन धरना प्रदर्शन
कर्मचारी संघों सहित अन्य सभी संघ चुनाव के समय नजदीक आते ही काफी सक्रिय नजर आ रहे हैं और प्रदेश में कर्मचारी संघों की कई हड़ताल हो भी रही है कुछ को सरकार ने कुचल भी दिया है। ग्राम पंचायत सचिव संघ,पटवारी संघ,सहकारी समिति कर्मचारी संघों ने हाल में ही आंदोलन किया और अपनी मांग पूरा करने सरकार पर दबाव डाला लेकिन सरकार ने इन आंदोलनों को कुचल दिया और अब सभी वापस काम पर लौट चुके हैं वहीं स्वास्थ्य कर्मचारी संघ फिलहाल हड़ताल पर है और देखना है की उनकी मांग पूरी होती है या उनके भी आंदोलन को सरकार कुचलने में कामयाब हो जाती है।
कर्मचारी संघों सहित अन्य संघों की सरकार को दो टूक
वैसे तो यह पहले भी देखा गया है जब किसी सरकार के कार्यकाल का पांचवा साल होता है और कुछ महीने शेष होते हैं तो कर्मचारी संघ साथ ही अन्य संघ अपनी मांगों को मनवाने सरकार पर हड़ताल कर दबाव डालते हैं,उनकी सरकार को दो टूक चेतावनी भी रहती है की उनका मत सरके के पक्ष में तभी जायेगा जब उनकी मांगे पूरी होंगी,इस बार भी संघों की मांग यही है साथ ही उनकी चेतावनी भी सरकार को वही है उनकी मांगे पूरी करे सरकार और तभी उनका मत सरकार के पक्ष में जायेगा।
लोकतंत्र में दवाब समूह के रूप में जाने जाते हैं कर्मचारी संघ और अन्य संघ
लोकतांत्रिक व्यवस्था में यह सभी संघ दबाव समूह के रूप में जाने जाते हैं,और यह सरकार पर दबाव डालकर अपनी मांग मनवाने प्रयासरत रहते हैं। दबाव समूह सरकार पर कब कब दबाव डालना है और किस तरह अपनी मांग मनवानी है वह इस प्रयास में जुटे रहते हैं। सरकार कई बार दबाव में आती है और कई बार वह दबाव समूह के सामने झुकने का बिलकुल भी प्रयास नहीं करती,लेकिन दबाव समूह लगातार अपना अभियान जारी रखता है और कभी कभी सफलता भी पा जाता है।
क्या इस बार दबाव समूह होगा सफल,क्या सरकार मानेगी उनकी बात?
दबाव समूह लगातार अपनी मांगों के साथ सरकार पर दबाव डाल रहा है वहीं सरकार अभी तक दबाव समूह के सामने बिल्कुल भी नहीं झुकी है बशर्ते वह दबाव समूह पर ही हावी होती आई है। अब देखना है की चुनाव का समय समीप आते आते क्या सरकार दबाव समूह के सामने झुकती है या फिर वह अडिग रहकर दबाव समूह के दबाव को बेअसर करती है।


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