- जिला विभाजन का विरोध करने वालों ने ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री भारत सरकार को जिला प्रवास पर दिया ज्ञापन
- कोरिया जिला विभाजन के मुद्दे पर उच्च स्तरीय शिकायत पर कमिश्नर सरगुजा ने कलेक्टर को भेजा पत्र,एक महीने में मांगा जांच प्रतिवेदन
- 3 पन्नो की शिकायत के साथ 27 पन्ने की जानकारी देकर जिला विभाजन को असंतुलित बताया जा रहा है
- संविधान को दरकिनार कर पांचवी अनुसूची वाले क्षेत्रों का हो रहा विभाजन: रामप्रताप साहू
- संविधान के अनुसार पांचवी अनुसूची क्षेत्र को अलग करने का प्रावधान नहीं
-रवि सिंह-
बैकुुंठपुर, 21 जून 2023 (घटती-घटना)। कोरिया जिला विभाजन शुरुआती दौर में ही राजनीति का शिकार हो गया था, राजनीतिक तौर पर नेता इस विभाजन को गलत बताकर जहां सहानुभूति बटोर रहे थे तो कुछ नेता इस मामले में चुप्पी साध लिए थे, लंबे समय तक इस विभाजन को लेकर तीनों विधानसभाओं में आंदोलन देखा जा रहा था, समय के साथ साथ आंदोलन भी खत्म हो गया और नवीन जिला अस्तित्व में आ गया और सब कुछ ऐसा लगा कि सामान्य हो चला है, इस मुद्दे पर सभी ने चुप्पी साध और चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं जो असंतुलित विभाजन को लेकर आज भी कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं, लड़ने वाले बहुत बड़े ना तो नेता है और ना ही किसी राष्ट्रीय पार्टी से जुड़े हुए हैं, यही वजह है बिना स्वार्थ और आम आदमी होने के नाते और अपनी जानकारी के मुताबिक असंतुलित जिला विभाजन को लेकर लड़ाई जारी वह रखे हुए हैं, और तथ्यों और मुद्दों पर जिला विभाजन को चुनौती दिया जा रहा है और यह प्रयास किया जा रहा है कि जिला विभाजन निरस्त हो सके, जिसके लिए वह उच्च न्यायालय तक जाने को तैयार है। लड़ाई लड़ने वाले में 5 लोग शामिल हैं जिसमें डॉ लक्ष्मण सिंह उदय, विजेंद्र कुमार, प्रताप सिंह, राम प्रताप साहू, पारसनाथ, यह पांचो असंतुलित जिला विभाजन को लेकर लड़ाई लड़ रहे हैं और लगातार इनकी तरफ से शिकायतें उच्च स्तर पर की जा रही हैं और यह न्याय की लड़ाई भी लड़ने को तैयार हैं। शिकायतकर्ता का आरोप है कि मुख्यमंत्री ने जिला विभाजन के लिए संविधान की अवहेलना की है जबकि संविधान में 5 वी अनुसूचित क्षेत्र में इस तरीके से जिला विभाजित करने का नियम ही नहीं है, जिसको लेकर इन्होंने काफी सारे दस्तावेजों के साथ शिकायत प्रस्तुत कर इसपर कार्यवाही की मांग की है, महामहिम राज्यपाल को शिकायत की गई थी जिसमें कमिश्नर के पास से कलेक्टर कोरिया को पत्र भेज कर एक महीने के अंदर जांच प्रतिवेदन मांगा गया है। यदि शिकायतकर्ताओं की जानकारी पर जोर डाला जाए तो यदि पांचवी अनुसूचित क्षेत्र में सरकार का पूरा हस्तक्षेप नहीं होता है तो फिर सरगुजा के बाकी जिलों का भी विभाजन नहीं होना था और यदि होना था तो संविधान के नियमों के तहत होना था लेकिन संविधान के नियमों का कहीं पर भी पालन नहीं किया गया और जिला का विभाजन कर दिया गया।
ज्ञात हो की जिला विभाजन से असंतुष्ट 5 शिकायतकर्ताओ ने महामहिम राज्यपाल छत्तीसगढ़ राजभवन, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग नई दिल्ली, अध्यक्ष छत्तीसगढ़ जनजाति सलाहकार परिषद रायपुर, जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनुसूचित क्षेत्र जिला कोरिया, संभाग आयुक्त संजय कुमार अलंग अनुसूचित क्षेत्र संभाग सरगुजा को शिकायत कर जिला विभाजन को निरस्त करने की कार्यवाही की मांग की है, जिस संदर्भ में छत्तीसगढ़ राजपत्र (असाधारण) प्राधिकार से प्रकाशित क्रमांक 558 रायपुर, गुरुवार, दिनांक 8 सितम्बर 2022 के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के द्वारा जारी अधिसूचना क्रमांक एफ 11-39/2021 / सात-4 के तहत जारी आदेश में कोरिया जिला की सीमाओं को परिवर्तित / विभाजन किया गया है या राष्ट्रपति के द्वारा परिभाषित अनुसूचित क्षेत्र जिला कोरिया का यह इनके द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट नहीं हो रहा है। उक्त शब्दों का स्पष्ट करते हुए निम्न निवेदन स्वीकार करने की मांग करते हुए कहा की अनुसूचित क्षेत्र जिला कोरिया के परिसीमन/विभाजन को निरस्तीकरण करने का आग्रह किया है। आवेदकों की ओर से भारतीय संविधान की अनुच्छेद 13 (2) के तहत नियमानुसार सादर निवेदन प्रस्तुत कहा गया है कि उक्त तिथि में जारी अधिसूचना क्रमांक / पंचायत /पं./ पं. ग्रा.वि.वि./22/2014/923 दिनांक 21 जुलाई 2014 छ.ग. पंचायत राज अधिनियम 1993 (क्रमांक 1 सन् 1994) की धारा 10 की उपरारा (3) में प्रत्येक जिले (अधिनियम की धारा 2 (तीन) में वर्णित राजस्व जिला के लिए जिला पंचायत की स्थापना हेतु दिये गये प्रावधान अनुसार राज्य शासन एतद द्वारा दंतेवाड़ा, बस्तर, रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर एवं सरगुजा जिला पंचायतों का पुनर्गठन कर नवीन जिला पंचायतों तथा सुकमा, कोण्डागांव, बलौदा बाजार, गरियाबंद, बेमेतरा, बालोद, मुंगेली, सूरजपुर एवं बलरामपुर का गठन उपरांत अधिनियम के प्रयोजन के लिए संलग्न अनुसूची के कालम 4 में उल्लेखित नाम से जिला पंचायत स्थापित करता है एवं उक्त स्थापित होने वाले जिला पंचायतों में अधिनियमों की धारा 8 (ग) के अनुसार जिला पंचायत की गठन किया गया है। इस प्रकार गठित जिला पंचायतों को अधिनियम की धारा 11 के अन्तर्गत वर्णित अधिनियम के प्रयोजन के लिए आवश्यक अन्य समस्त शक्तियाँ प्राप्त होगी। उक्त अधिसूचना में कोरिया जिला का नाम दर्शित नहीं है। इससे यह साबित होता है कि उक्त जिला अधिनियमित नहीं है।
जिला विभाजन का विरोध करने वालों ने ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री भारत सरकार को जिला प्रवास पर दिया ज्ञापन
जिला कोरिया का असंतुलित विभाजन किया गया है और संविधान का भी मामले में ध्यान नहीं रखा गया है इसका उल्लेख करते हुए जिला प्रवास पर पहुंचे केंद्रीय ग्रामीण विकास एवम पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह को भी जिला विभाजन मामले को लेकर ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में उल्लेख किया गया है की जिले का विभाजन करते समय खड़गवां विकासखंड के पोड़ी बचरा क्षेत्र का विभाजन जिस प्रकार किया गया है वह और भी गलत है, जिसके अनुसार शैक्षणिक एवम न्यायिक मामले में क्षेत्र एमसीबी जिले में शामिल रखा गया है वहीं राजस्व मामले में क्षेत्र को कोरिया जिले में शामिल रखा गया है जिससे क्षेत्रवासियों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है जिस मामले में उन्हे न्याय चाहिए। ज्ञापन के साथ अब तक की गई कार्यवाही साथ ही दिए गए आवेदनों को भी संलग्न कर केंद्रीय मंत्री को दिया गया है। संलग्न प्रपत्र में घटती घटना समाचार पत्र में छपी खबर को भी संलग्न किया गया है।
कुछ राज्यों के उदाहरण
छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993 की पृष्ठ क्र. 1.27 में दर्शित अधिसूचना की नकल का प्रति संलग्न है, अवलोकन की कृपा हो उक्त अधिसूचना के नियमानुसार कोरिया जिला को अधिनियमित किया जावे। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग आ. सा. संख्या 04/01/2012 को राष्ट्रपति को प्रस्तुत प्रतिवेदन में उल्लेखित शब्दों के अनुसार तथा राष्ट्रपति के आदेशानुसार अनुसूचित क्षेत्रों के संबंध में वर्तमान में निम्नलिखित आदेश अपने मूलरूप में या संशोधित रूप में प्रचलन में है, अनुसूचित क्षेत्र (छत्तीसगढ़,झारखण्ड और मध्यप्रदेश राज्य) आदेश 2003 (सा.आ. 192) संयुक्त राज्य मध्यप्रदेश के अनुसूचित क्षेत्रों को ह्नमूलरूप में अनुसूचित क्षेत्र (भाग क राज्य) आदेश 1950 (सं आ.) क्तदिनांक 23/01/1950 के तहत विनिर्दिष्ट किया गया और मध्यप्रदेश राज्य के संबंध में उपर्युक्त पहले आदेश को रद्द करने के पश्चात् अनुसूचित क्षेत्र (बिहार, गुजरात, मध्यप्रदेश और उड़ीसा राज्य ) आदेश 1977 (सा.आ. 109 ) दिनांक 31/12/1977 के तहत पुनः विनिर्दिष्ट किया गया मध्यप्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 के तहत नए राज्य छत्तीसगढ़ के निर्माण के परिणाम स्वरूप मध्यप्रदेश के संबंध में विनिर्दिष्ट अनुसूचित क्षेत्रों को नवनिर्मित छत्तीसगढ़ राज्य को हस्तांतरित कर दिया गया, जहाँ तक मध्यप्रदेश राज्य का संबंध है वह 31/12/1977 के आदेश को रद्द करके छत्तीसगढ़ के अनुसूचि क्षेत्रों को अनुसूचित क्षेत्र (छत्तीसगढ़, झारखंड और मध्यप्रदेश राज्य) आदेश 2003 (सा.आ. 192) दिनांक 20/02/2003 के तहत विनिर्दिष्ट किया गया है। जिसमें छत्तीसगढ़ का सरगुजा संभाग का कोरिया जिला शामिल है। इससे यह साबित होता है कि कोरिया जिला अनुसूचित क्षेत्र जिले के रूप में परिभाषित है। राज्यपाल द्वारा अनुसूचित क्षेत्रों के लिए वार्षिक प्रतिवेदन में दर्शित बिन्दुओं के अनुसार उक्त जिले का क्षेत्र भारतीय संविधान की अनुच्छेद 244(1) के तहत प्रशासन संचालित होता है। संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम 1956 की धारा 29 के नियमानुसार संसद का या उस राज्य के विधान मंडल का विशिष्ट ह्नअधिनियम उस राज्य के अनुसूचित क्षेत्र या उसके किसी भाग को लागू नहीं होगा ये कानून कहता है।
शिकायतकर्ता ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का कुछ उदाहरण भी प्रस्तुत किया
भारत के सर्वोच्च न्यायालय के जजमेन्ट (क) 13 नवम्बर 1969 को रामकृपाल भगत और अन्य बनाम बिहार राज्य की निर्णय (ख) चेबरोलू लीला प्रसाद और अन्य आन्ध्रप्रदेश राज्य और अन्य में सुप्रीम कोर्ट की पाँच सदस्यीय पीठ का फैसला वर्ष 2000 की अवलोकन की कृपया हो तथा पांचवी अनुसूची के सम्बन्ध में लेख के अनुसार अनुसूची 5 के अनुच्छेद 5 (1) के तहत सरकार सिर्फ संसद या राज्य विधानसभा द्वारा बनाए गये कानूनों को लागू कर सकती है या नहीं, लागू नहीं कर सकती है। कोई नया कानून नहीं बना सकती है। इस शक्ति का इस्तेमाल निर्वाचित विधायिका को दरगुजर करके अलोकतान्ति्रक तरीके से नहीं किया जाना चाहिए। ये सुप्रीम कोर्ट का कथन है।
जिले का बंटवारा व विभाजन कर परेशानियों को बढ़ाया गया है
जिस जिले का विभाजन की गई है उक्त जिला कोरिया का वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या 658517 है। जिसका क्षेत्रफल 6.604 कि.मी. (2.550 वर्ग मील) तथा तहसील पाँच, नगर निगम 01, नगर पालिका 03 नगर पंचायत 01 एवं ग्राम पंचायतों की संख्या 253 संचालित है। उक्त अनुसूचित जिला कोरिया के क्षेत्रान्तर्गत वैध तरीका से या अवैध तरीका से संचालित है, इसकी जाँच कराई जावे प्रशासनिक अधिकारी के हस्ताक्षर से जारी आदेश क्रमांक एफ 11-39/2021/सात-4 के तहत कोरिया जिला को विभाजन की आदेश जारी की गयी है। जिसका क्षेत्रफल और जनसंख्या के अनुसार व्यवस्थित जिला है। जिसको विधि विरूद्ध तरीके से विभाजन किया गया है। उक्त विभाजन से संबंधित क्षेत्र के जनताओं एवं नागरिकों को प्रशासनिक सेवा से वंचित होना पड़ रहा हैं। अनुसूचित क्षेत्र होने के नाते प्रशासनिक कर्मचारियों के अभाव में उक्त जिले के नागरिक पूर्व से परेशान हैं। जिले का बंटवारा व विभाजन कर परेशानियों को बढ़ाया गया है।
एक विकासखण्ड क्षेत्र के नागरिक दो जिला के हो गये
एक विकासखण्ड क्षेत्र के नागरिक दो जिला के हो गये हैं। जिससे कठिनाई उत्पन्न हो रही है। उक्त क्षेत्रों की जनता एवं नागरिकों की मूल अधिकारों का उल्लंघन करता है। यह कृत्य अनु. 13 (2) के तहत निरस्त किया जावे। भारतीय संविधान की पांचवी अनुसूची क्षेत्रों में लागू विधि विधान के विरूद्ध उक्त जिले का विभाजन को निरस्त किया जावे तथा उक्त जिला का विभाजन हेतु जारी आदेश कर्ता एवं हस्ताक्षरकर्ता प्रशासनिक एवं संविधानिक पद धारियों के विरूद्ध सुप्रीम कोर्ट के नियमों का उल्लंघन एवं भारतीय संविधान के नियम विरूद्ध कार्य कारित करने वाले व्यक्तियों के विरूद्ध अवमानना का प्रकरण दर्ज किया जावे, संविधान किसी भी देश का मौलिक कानून है। जो सरकार के विभिन्न अंगो की रूप रेखा और मुख्य कार्य का निर्धारण करता है। देश के बाकी सभी कानून और रीति रिवाजों को वैध होने के लिए इसका पालन करना होगा।