कोरबा,19 जून 2023 (घटती-घटना)। भगवान जगन्नाथ 108 घड़े पानी से स्नान के बाद बीमार हो गए थे। 15 दिनों तक पंडितों ने सेवा की। काढ़ा पिलाया। काली मिर्च और अदरक के पेड़े से भगवान की सेवा की गई। अब भगवान स्वस्थ हो गए हैं। जिसके बाद नेत्रोत्सव मनाया गया। भगवान के मंदिर का पट खुलेगा। मंदिर के पुजारी पूजा-अर्चना करेंगे। भगवान जगन्नाथ के साथ बलभद्र व सुभद्रा की पूजा-अर्चना की जाएगी। नाथों के नाथ जगन्नाथ श्रद्धालु भक्तों के स्नान से बीमार होकर विश्राम कर रहे थे। इस कारण जगन्नाथ मंदिर का पट बंद था। लोक विश्वास व परंपरा के अनुसार भगवान जगन्नाथ को स्वस्थ करने की जुगत में दवा के रूप में काढ़े का भोग अर्पण कराया जा रहा था। इस काढ़े को प्रसाद के रूप में प्राप्त करने के लिए भक्तजन सुबह से शाम तक मंदिर पहुंच रहे थे और स्वयं समेत पूरे घर वालों को भी दे रहे हैं। लोगों का विश्वास है कि ऐसा करने से पूरा परिवार वर्ष पर्यंत स्वस्थ रहता है। जिले में रथ यात्रा की तैयारियां शुरू हो चुकी है। रथ जितिया पर्व की तैयारी को लेकर ग्रामीणों में काफी उल्लास का माहौल देखा जा रहा है। आषाढ़ शुक्ल के द्वितीया को मनाया जाना वाला भगवान जगन्नाथ की शोभायात्रा, रथ जितिया पर्व 20 जून को धूमधाम से मनाई जाएगी। जगन्नाथ मंदिर और पुरी की तर्ज पर रथ यात्रा का आयोजन के कारण कोरबा का गांव दादर-खुर्द छोटा पुरी के नाम से भी प्रदेश में जाना जाता है। रथयात्रा के आयोजन में कोरबा जिले के अलावा पड़ोसी जिले के सभी भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं। खास बात यह है कि रथ यात्रा के दौरान गांव की याही हुई बेटियों को उनके ससुराल से निमंत्रण देकर बुलाया जाता है और वे सभी इस आयोजन में शामिल होती हैं। इस दौरान गांव में भव्य मेले का भी आयोजन किया जाता है। जिसमें भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं।कोरबा शहर के निकट ग्राम दादरखुर्द का रथयात्रा उत्सव जिले भर में प्रसिद्ध है। मान्यता के अनुसार आषाढ़ माह के प्रथम दिन से मंदिर का पट बंद हो गया है, इस दौरान भगवान के बीमार होने के कारण उन्हें 15 दिनों तक मौसमी फल, आम रस और जामुन का भोग लगाया गया, ब्रह्ममुहुर्त में रथ जितिया के दिन मंदिर का पट खुलेगा। दर्शनीय रथ यात्रा को भव्य रूप से आयोजित करने के लिए ग्राम दादर खुर्द के भगवान जगन्नाथ मंदिर में तैयारियां शुरू हो गई हैं। आयोजन में विशेष आकर्षण केंद्र भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा की प्रतिमाओं को सुसज्जित कर रथ में बैठाया जाता है। मंदिर के पुजारी कुंज बिहारी द्विवेदी ने बताया कि मंदिर 124 वर्ष पुराना है, रानी धनराज कुंवर के जमींदारी के समय ग्राम दादर में थवाईत परिवार निवास करता था, जो रानी का मालगुजार हुआ करता था। यह परिवार भगवान जगन्नाथ की भक्ति करता था, परिवार के सदस्य दर्शन के लिए पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर जाया करते थे। उनके मन में इच्छा जाहिर हुई कि कोरबा में भी भगवान जगन्नाथ की एक मंदिर स्थापित की जानी चाहिए। दर्शन करने गए थवाईत परिवार द्वारा पुरी से भगवान जगन्नाथ की एक फोटो लाई गई। उस फोटो को देखकर महानीम के वृक्ष को काटकर भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा बनाई गई और सन 1899 में मंदिर की नींव रखी गई। तब से आज तक विधि-विधान से मंदिर में भगवान जगन्नाथ की पूजा-अर्चना की जाती है और प्रत्येक वर्ष पुरी की तर्ज पर दादर-खुर्द में भी रथ यात्रा का आयोजन किया जाता।
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