क्या अभी भी पुलिस अधिकारी चुप रहेंगे या अपने कर्मचारियों को शिष्टाचार का पढ़ाएंगे पाठ?
क्या वाहन जांच के नाम पर यातायात पुलिस को मारपीट करने की मिली हुई है अनुमति?
–रवि सिंह –
बैकुण्ठपुर,17 जून 2023 (घटती-घटना)। पूरे अविभाजित कोरिया जिले में वाहन जांच के नाम पर लोगों को परेशान करने के कई मामले रोज देखने को मिल रहे हैं, वहीं कहा जाए तो जांच करना सही है पर वाहन जांच के नाम में लोगों को परेशान करना नियम विरुद्ध है, लेकिन इस समय यातायात नियमों का पालन कराने वाले खुद कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं और वहां जांच के नाम पर अवैध वसूली के साथ साथ मारपीट करने की भी घटना सामने आने लगी है, इससे पहले मनेंद्रगढ़ का एक वीडियो वायरल हुआ था अब इसके बाद एक और वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है, जिसमें एक वाहन चालक ने बैकुंठपुर के यातायात पुलिस पर मारपीट करने का गंभीर आरोप लगाया है जो उस वीडियो में देखा व सुना जा सकता है। दस्तावेजों में कमी हो तो चालान करना यातायात पुलिस का अधिकार है पर मारपीट करने का अधिकार क्या यातायात पुलिस को है यह एक बड़ा सवाल है। अविभाजित कोरिया जिले में जैसे कानून को कानून के रखवालों ने ही हांथ में ले लिया है और आए दिन वाहन चालकों से बदसलूकी की बातें सामने आ रही हैं, वहीं सवाल यह भी उठता है की विभाग के उच्च अधिकारी पूरे मामले में मौन क्यों हैं? क्या उन्हीं की सहमति से इस तरह की घटनाएं हो रही हैं यह भी एक प्रश्न जरूर खड़ा होता है।
जिन वाहन चालकों के कंधे पर देश चलाने का बोझ है वह देश के यातायात पुलिस से परेशान हैं- बड़ी-बड़ी वाहनों के चालकों पर देश की अर्थव्यवस्था टिकी हुई है, कोरोना वायरस महामारी के समय भी जहां लोग घरों में थे वहीं वाहन चालक रास्ते में वाहन चलाकर देश की अर्थव्यवस्था में सहयोग कर रहे थे, ट्रक चालकों पर पूरे देश की परिवहन व्यवस्था टिकी हुई है, इसके बावजूद इन्हें रास्तों में हर राज्यों में वहां की पुलिस व यातायात पुलिस के द्वारा परेशान होना पड़ता है, जबकि यह अपना घर परिवार छोड़ रात दिन वाहनों में ही रहते हैं, ताकि देश के हर कोने तक पहुंचने वाली जरूरतमंद सामग्री लोगों तक पहुंच सके, चाहे वह स्वास्थ्य से संबंधित हो या फिर खाद्य पदार्थ से या फिर किसी कारखाने से संबंधित हो, क्या इन्हें मान सम्मान नहीं मिलना चाहिए? जहां पर ऐसे लोगों का हौसला बढ़ाना चाहिए, वहां पर यातायात पुलिस इनके लिए परेशानी का सबब बनी हुई है, यही वजह है कि चालक की नौकरी करने से लोग अब कतराने लगे हैं हर जगह उन्हे बेइज्जत होना पड़ता है और उनके साथ मारपीट की स्थिति निर्मित हो जाती है।
मनेंद्रगढ़ में शराब के नशे में धुत्त पुलिसकर्मी ने ट्रक चालकों से की थी बदसलूकी
हाल ही में नवीन जिले एमसीबी से एक वीडियो वायरल हुई थी जिसमें शराब के नशे में धुत्त एक पुलिसकर्मी ट्रक चालकों को धमकाता नजर आया था और वह खुद को शराब के नशे में चूर बताते हुए ट्रक चालकों पर कार्यवाही की बात कर रहा था वहीं वह गाली गलौज भी कर रहा था जो वीडियो में सुना जा सकता है।
बैकुंठपुर ट्रैफिक पुलिस पर वाहन चालक ने लगाए आरोप,वीडियो जारी कर किया अपने साथ घटी घटना का बखान
मनेंद्रगढ़ के पुलिसकर्मी का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था की अब बैकुंठपुर ट्रैफिक पुलिस पर आरोप लगा है और विडियो वायरल कर एक चालक ने खुद के साथ बैकुंठपुर पुलिस द्वारा मारपीट किए जाने का आरोप लगाया है। वाहन चालक के अनुसार मारपीट बैकुंठपुर के ट्रैफिक पुलिस द्वारा की गई है।
क्या वाहन जांच के नाम पर वाहन चालक से मारपीट की अनुमति देता है कानून?
मामले में सवाल यह भी है की क्या वाहन जांच मामले में पुलिसकर्मियों को कानून वाहन चालकों से मारपीट की अनुमति देता है। यदि ऐसा नहीं है तो पुलिस पर लग रहा यह आरोप बड़ा गंभीर है और यह वाहन चालकों की सुरक्षा से जुड़ा मसला है। यदि इसी तरह की घटनाएं घटती रहीं तो शायद ही वाहन चालक स्वयं को सुरक्षित मानकर वाहन चला सकेंगे और वह निडर होकर अपनी रोजी रोटी के लिए घर से बाहर निकल सकेंगे।
मारपीट मामले में क्या उच्च अधिकारी करेंगे जांच,होगी दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्यवाही?
अविभाजित कोरिया जिले से दो वीडियो वायरल हुए हैं,एक में स्वयं पुलिसकर्मी खुद को नशे में धुा बता रहा है और वह ट्रक चालकों से बदसलूकी करता हुआ उन्हे कार्यवाही के लिए धमका रहा है वहीं दूसरे वीडियो में वाहन चालक अपनी चोट दिखा रहा है और बैकुंठपुर ट्रैफिक पुलिस पर मारपीट का आरोप लगा रहा है। अब मामले में उच्च अधिकारी क्या जांच कर दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्यवाही करेंगे या फिर वह मामले को रफा दफा कर पुलिसकर्मियों को बचाने का प्रयास करेंगे।
क्या वाहन जांच के नाम पर वसूली जारी है ?
सवाल यह भी है की क्या वाहन जांच के नाम पर वसूली का खेल जारी है। क्या अवैध वसूली ही मारपीट की वजह बन रही है और जो वाहन चालक पैसा नहीं दे पा रहें हैं उनके साथ मारपीट की जा रही है। वैसे नियम के अनुसार ट्रैफिक नियम तोड़ने पर जुर्माने का प्रावधान है मारपीट करने का अधिकार पुलिस को नहीं है फिर इस तरह की घटना क्यों घट रही है इसको लेकर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को जरूर ध्यान देना चाहिए।
यातायात पुलिस की वजह से वाहन चालक रहते हैं दहशत में
यातायात पुलिस से वाहन चालक दहशत में रहते हैं,यदि नियम कायदों की बात है तो डर जरूरी है लेकिन मारपीट से डर का माहौल है तो यह गलत है। ट्रैफिक पुलिस की चेकिंग प्रतिदिन जारी रहती है और प्रतिदिन उन्हे अलग अलग जगहों पर देखा जाता है। वाहन चालकों के अनुसार उनके पास दस्तावेजों का अभाव मिलते ही उन्हे भयभीत किया जाता है कभी कभी मारपीट भी की जाती है जो डर की वजह है।
लंबे समय से जमे यातायात पुलिस कर्मचारी आदतन हो गए हैं
ट्रैफिक पुलिस में काम करने वाले अधिकांश पुलिसकर्मी लंबे समय से ट्रैफिक का जिम्मा सम्हाल रहें हैं और वह आदतन हो चुके हैं इस तरह के व्यवहार के मामले में यह भी सुनने को मिल रहा है। ट्रैफिक पुलिस में भी फेरबदल की जरूरत है जिससे ट्रैफिक पुलिस में कार्यरत पुलिसकर्मियों की आदत में बदलाव आ सके।