- 2-3 हजार के घटिया फर्नीचर का सात-साठ हजार रूपए हुआ भुगतान, क्या होगी फर्नीचर
- खरीदी की जांच
- तत्कालीन अधिकारी-कर्मचारियों ने किया बंदरबांट
- शिक्षा विभाग ने चहेते फर्म को ठेका दे स्कूलों में घटिया फर्नीचरों की कर दी सप्लाई
–ओंकार पाण्डेय-
सूरजपुर,15 जून 2023 (घटती-घटना)। शिक्षा विभाग ही एक ऐसा विभाग माना जाता था जहां भ्रष्टाचार की गुंजाइश कम देखा करती थी पर अब यह भी विभाग भ्रष्टाचार ओ से अछूता नहीं रह गया यहां पर भी खरीदी बिक्री मैं जब के भ्रष्टाचार दिखने लगा है शासन की योजनाओं के पीछे भ्रष्टाचार भी इस विभाग को नहीं छोड़ा इस विभाग में भी भ्रष्टाचार की दीमक लग चुकी है जो इस विभाग को अब खोखला करने पर पड़ गई हैं, चाहे वह स्कूल के मरम्मत का मामला हो स्कूल में फर्नीचर व अन्य चीजें खरीदने का मामला। सभी जगहों पर अब भ्रष्टाचार दिखने लगा है केंद्रीय योजना भी शुरू तो होती है पर यह भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है जिस वजह से बच्चों को उसका लाभ नहीं मिलता।
मिली जानकारी के अनुसार शिक्षा विभाग में बगैर नियम और कानूनों का पालन किए चहेते फर्म से घटिया फर्नीचर की खरीद उंचे दर पर कर शासन को चूना लगाने और शैक्षणिक संसाधनों से खिलवाड़ किये जाने का आरोप लगा नागिरकों ने प्रशासन से कार्यवाही की मांग की है। आरोप है कि शैक्षणिक सत्र 2022-23 में कथित रूप से एक मंत्री के मौखिक अनुशंसा पर चहेते फर्म को फर्नीचर सप्लाई का ठेका दे दिया गया और फर्नीचर के बगैर गुणवत्ता जांच व भौतिक सत्यापन के स्कूलें मे सप्लाई भी करा दी गई। आरोप है कि जो फर्नीचर खुले बाजार में दो से तीन हजार रूपए में मिल जायेगा, वैसे फर्नीचर की बिलिंग सात से आठ हजार रूपए कर अवैध कमाई भी की गई है। घटिया फर्नीचर मिलने से स्कूल प्रबंधन भी हैरान है और उनका कहना है कि इस तरह की गुणवत्ताहीन सामग्री का बच्चों को कब तक लाभ मिल पायेगा। फर्नीचर खरीदी करने को लेकर विभागीय अधिकारी-कर्मचारियों के द्वारा शासन के किसी भी गाईड लाईन का पालन नहीं किया गया है और मानक के विपरीत खरीदी की गई है। न इन फर्नीचरों का किसी सक्षम अधिकारी के द्वारा भौतिक सत्यापन कराया गया है और न ही जिले के स्कूलों में मांग पत्र के अनुरूप फर्नीचर सर्प्लाई किया गया है।
जानकारों का कहना है कि शासकीय विभागों में इस तरह के सामानों की खरीदी या बिक्री करने के लिए सबसे पहले बकायदा अखबारों में प्रकाशित करा जन साधारण सहित अन्य लोगों को सूचित किया जाता है और परदर्शी तरीके से खुले निविदा के माध्यम से निर्धारित दर पर खरीदी की जाती है। लेकिन इन सभी नियमों को शिक्षा विभाग में पदस्थ तत्कालीन अधिकारी-कर्मचारियों ने ताक पर रख एक कथित मंत्री की अनुशंसा पर अपने चहेते फर्म को टेण्डर दे दिया और मिलीभगत कर लाखों रूपए का कमीशन अंदर कर लिये। बताया जा रहा है कि जिले के प्राथमिक शालाओं के साथ ही पूर्व माध्यमिक शालाओं में शैक्षणिक सत्र 2022-23 में फर्नीचर सप्लाई करने के लिए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 50 लाख से अधिक रूपए की स्वीकृति प्रदान की गई थी। जिसके तहत स्कूलों में कार्यालयीन व गैर कार्यालयीन कार्यों के लिए फर्नीचरों का सप्लाई किया जाना था, लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पदस्थ तत्कालीन अधिकारी-कर्मचारियों ने मिलीभगत कर घटिया सामग्री की खरीदी की और शासन को लाखों रूपए का चूना लगा दिया। नागिरकों ने जिला प्रशासन से मामले की सूक्ष्मता से जांच कर संबंधितों के विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही किए जाने की मांग की है।
ऐसे तरह से हुआ अवैध कमाई का खेल
आरोप है कि जिले के कई स्कूलों में विद्यार्थियों की दर्ज संख्या काफी कम है। वहां भी विभागीय अधिकारी-कर्मचारी ने मनमाने तरीके से अधिक फर्नीचरों की सप्लाई कर बिलिंग कर दी। वहीं जो फर्नीचर बाजार में आसानी से दो-तीन हजार रूपए में उपलध हो जाता है। वहीं फर्नीचर स्कूलों में सप्लाई कर सात से आठ हजार रूपए की बिलिंग कर अवैध रूप से मोटी कमाई कर ली।
मामला संज्ञान में आया है जांच करवाएंगे
मामला मेरे कार्यकाल का नहीं है। आपके माध्यम से मामला संज्ञान में आया है। इस आशय की जांच कराई जाएगी। जांच में अनियमितता मिलने पर वैधानिक कार्यवाही की अनुशंसा की जाएगी।
ललित पटेल
जिला शिक्षा अधिकारी सूरजपुर