कोरिया/सरगुजा@सरगुजा रेंज का कुछ जिला प्रशासनिक अधिकारियों के थप्पड़ से सुर्खियों में रहा

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  • कभी आईएस का थप्पड़..तो कभी आईपीएस का थप्पड़..तो कभी छाीसगढ़ लोक सेवा अधिकारी के थप्पड़ की गूंज सुनाई दी ही होगी
  • जब सरगुजा इकलौता जिला था तब भी पुलिस हुआ करती थी..प्रशासनिक अधिकारी हुआ करते थे..पर सार्वजनिक थप्पड़ नहीं पड़ा करते थे
  • थप्पड़ गलतियों पर पड़े तो समझ आता है पर बिना गलतियों के भी थप्पड़ की गूंज अधिकारियों की घमंड की पोल खोलती है
  • कुछ प्रत्यक्ष थप्पड़ की कहानी तो कुछ अंदरूनी थप्पड़ की कहानी..कुछ प्रमाणित थप्पड़ तो कुछ अप्रमाणित थप्पड़

रवि सिंह-
कोरिया/सरगुजा, 07 जून 2023 (घटती-घटना)। पिछले 4 सालों में पुलिस प्रशासन व जिला प्रशासन के अधिकारियों के सार्वजनिक थप्पड़ देखने सुनने को मिले हैं, खासकर थप्पड़ की गूंज वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के दौरान देखी गई थी, जिसमें सूरजपुर जिला काफी चर्चित रहा जहां एक आईएएस अधिकारी ने थप्पड़ जड़ा था, इसके बाद एक आईपीएस का थप्पड़ एक जिले के डॉक्टर को पड़ा था, जिसकी चर्चा तो खूब थी पर प्रामाणिकता सामने नहीं आ पाई थी, क्योंकि डॉक्टर व आईपीएस दोनों ने इस बात को दफन कर दिया था, इसके बाद एक और आईपीएस ने अपने ही आरक्षक को थप्पड़ जड़ा था जो हाल फिलहाल की ही बात है पर यह भी बात दफन होती दिख रही है, क्योंकि एक मामूली आरक्षक अपने आईपीएस अधिकारी से पंगा नहीं ले सकता था, चाहे उसके स्वाभिमान को क्यों ना ठेस पहुंची हो,इन अधिकारियों के थप्पड़ ने उनके अंदर के घमंड को सबके सामने प्रस्तुत कर दिया था, इसमें से कुछ थप्पड़ तो सही भी माने जा सकते हैं पर कुछ थप्पड़ जो सार्वजनिक तौर पर लगे थे उसमें आदमी की लाचारी थी और उस थप्पड़ ने कहीं ना कहीं अधिकारी के अहोदे के घमंड की पहचान कराई थी। अब आप कहेंगे कि अचानक एक थप्पड़ की बात कैसे फिर से होने लगी तो यह थप्पड़ की बात इसलिए होने लगी, विशेष सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बार थप्पड़ सूरजपुर के आईपीएस अधिकारी ने रात में एक व्यक्ति को लगा दिया और यह थप्पड़ इसलिए लगा क्योंकि शादी की खुशी में लोग कितने मशगुल थे कि उन्हें यह नहीं पता था कि यातायात व्यवस्था भी बाधित हो रही है और ऐसा कई बार होता आया था और हो भी रहा है, सूरजपुर जिले का साधु रामसेवा कुंज स्थल काफी चर्चित है यहां पर प्रतिदिन कई शादियां होती हैं और शादियों की वजह से यहां पर यातायात व्यवस्था शाम के समय चरमरा जाती है, उस रास्ते से आने जाने वाले लोग शादी के सीजन में काफी परेशान होते हैं इस परेशानी को कई अधिकारियों ने देखा होगा और इससे जूझते भी लोगों को देखा था पर कभी भी कोई कार्यवाही नहीं की, पर इस बार जिले में नव पदस्थ एसपी इस परेशानी के बीच खुद फंस गए, और उनकी गाड़ी का हॉर्न बैंडबाज बाले को सुनाई नहीं दिया तो एसपी ने थप्पड़ लगाकर उन्हें व्यवस्था याद दिला दी, जबकि गैर जिम्मेदार लोगो की कृत्य से रोजाना कई लोग परेशान होते हैं, जंहा इस बार थप्पड़ कि जहां आलोचना हो रही है तो वही प्रशंसा भी हो रही है, क्योंकि यह थप्पड़ बहुत पहले ही पड़ना था और यदि यह थप्पड़ पहले पड़ता होता या इस पर उचित दिशा निर्देश पहले के अधिकारी दिए होते तो रोजाना लोग परेशान नही होते। जो आज तक नहीं किया गया था जिस वजह से परेशानी आम लोगों को झेलनी पड़ रही थी वह भी राष्ट्रीय राजमार्ग में।
सूरजपुर आईपीएस का थप्पड़ व्यवस्था के तहत सही माना जा रहा है
विशेष सूत्रों के हवाले से एक बड़ी खबर मिल रही है कई सूरजपुर जिले के आईपीएस अधिकारी को जिले की कमान अभी-अभी सौंपी गई है और आते के साथ ही उनके साथ एक घटना घट गई, घटना तो घटी है पर घटना का समर्थन व आलोचना दोनो हो रहा है। पुलिस अधीक्षक को आए हुए दो-तीन दिन ही हुए हैं पर दो-तीन दिन में उनके कार्यों का फीडबैक अभी तक अच्छा दिख रहा है काफी संवेदनशील माने जा रहे हैं, पुलिस विभाग के अधिकारी कर्मचारी से लेकर आम जनता भी उनसे संतुष्ट रहेगी ऐसा माना जा रहा है, पर इनके साथ जो घटना घटी यदि उस पर गौर किया जाए तो वह कहीं ना कहीं व्यवस्था के तहत सही माना जा रहा है, सूरजपुर जिले के मध्य शहर के नेशनल हाईवे पर स्थित साधु रामसेवा कुंज में जहां पर शादी के सीजनों में काफी कार्यक्रम आयोजित होते हैं जिस वजह से वहां पर भीड़ भाड़ की स्थिति शाम के समय बन जाती है और यातायात व्यवस्था पूरी तरीके से चरमरा जाती है और यह देर रात तक अव्यवस्था देखी भी जाति है और ऐसी अव्यवस्था तभी होती है जब कोई शादी का फंक्शन वहां आयोजित होता है, कुछ ऐसा ही एक शादी का फंक्शन वहां पर आयोजित था और वहां पर अव्यवस्था फैली हुई थी आने जाने वाले लोगों को परेशानी हो रही थी और उसी समय नव पदस्थ पुलिस अधीक्षक से लौट रहे थे और उस भीड़ में फंस गए उसी दौरान एक एंबुलेंस आ गई और सायरन बज रहा था पर बैंड बाजा वाले हट नहीं रहे थे, एंबुलेंस का सायरन बज रहा था पर शादी के कार्यक्रम में लोग इतने व्यस्त थे कि उन्हें सायरन भी सुनाई नहीं दे रहा था, जिसे देखकर पुलिस अधीक्षक समझ गए कि ऐसी अव्यवस्था प्रतिदिन होती होगी, जिस पर वह गाड़ी से उतरे और समझाया और नहीं समझने पर एक यक्ति को थप्पड़ जड़ दिया, जिसके बाद व्यवस्था सुधारने वाले थप्पड़ को लेकर सराहना भी हो रही है और यह भी लोगों का कहना है कि उस जगह के लिए नव पदस्थ पुलिस अधीक्षक कुछ ऐसा निर्देशित कर दें ताकि शादी के समय भी उस रास्ते में आने जाने वाले लोगों को परेशानी का सामना ना करना पड़े, क्योंकि आपातकाल स्थिति में भी लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसी क्रम में फिर से थप्पङ मारने की घटना सामने आ रही जिसने एक नव पुलिस अधीक्षक एक बैड वाले को थप्पड़ जमा दिए, मामला नगर के मुख्य मार्ग की है जहाँ रोड किनारे दूल्हे की बारात सज रही थी तो उसी रास्ते से आईपीएस की गाड़ी गुजर रही थी, वाहन के सामने बैड वाले के आ जाने से नाराज आईपीएस साहब गाड़ी से उतर कर थप्पड़ जमा दिए, जिसकी गूंज चर्चा नगर में जोरो पर है। एक नजर में आईपीएस का थप्पड़ उचित भी माना जा रहा है और दूसरी नजर में अनुचित भी, अनुचित इसलिए माना जा रहा है की आईपीएस अफसर एक संविधानिक पद पर होते हैं और उनकी एक अलग ही गरिमा होती है पर क्या सड़क पर व्यवस्था सुधारने के बजाय किसी को थप्पड़ झड़ना क्या न्याय उचित है? एसपी साहब का थप्पड़ मारकर व्यवस्था सुधारना कितना उचित है यह तो कानूनी दृष्टि से सोचने व समझने वाली बात होगी, एसपी साहब का थप्पड़ मारने का मामला कितना उचित है और कितना अनुचित यह एक बड़ा सवाल है? आखिर क्या वजह थी थप्पड़ लगाने की..? अंदाजा लगाया जा सकता है. क्या इसी तरह थप्पड़, बाल पकड़कर लात मारते पुलिस काम करेगी? फिलहाल इस मामले पुलिस के अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है।
कोरोनाकाल में आईएएस में लगाया था थप्पड़ जिसकी जमकर हुई थी आलोचना
वैश्विक महामारी के बीच सूरजपुर के तत्कालीन कलेक्टर ने शहर के मध्य चौक पर एक व्यक्ति को थप्पड़ लगाकर उठक बैठक कराया था जिसका वीडियो जमकर वायरल हुआ था और इसकी आलोचना भी खूब हुई थी क्योंकि यह थप्पड़ सार्वजनिक तौर पर बिना उसकी बात सुने का मौका दिए बिना ही जड़ दिया गया था और उस व्यक्ति का मोबाइल तोड़ दिया गया था जिसके बाद जब मामला काफी सुर्खियों में आया तो कलेक्टर को माफी भी मांगने पड़ी और नया मोबाइल उस व्यक्ति को देना पड़ा और जिले से बाहर भी जाना पड़ा।
पड़ोसी जिले में भी एक डॉक्टर को आईपीएस का पड़ा था थप्पड़
पड़ोसी जिले में भी एक आईपीएस का थप्पड़ कोरोना वायरस महामारी के समय एक प्रतिष्ठित डॉक्टर को पड़ा था और यह थप्पड़ भी इसलिए पड़ा था क्योंकि डॉक्टर साहब अपनी मानवता भूल चुके थे और मनमानी कर रहे थे जो इस वैश्विक महामारी में मानवता को तार-तार करने वाला था जो बात आईपीएस को बिल्कुल भी पसंद नहीं थी पर वह लोगों के हालात को देखते हुए गुस्से में डॉक्टर को थप्पड़ लगा दिया था, थप्पड़ लगने के पीछ एसपी का फोन ना उठाना भी वजह थी, एसपी नाराज भी इसलिए हुए की जब मेरा फोन नहीं उठ रहा है तो फिर आम आदमी का क्या उठता होगा, यह थप्पड़ सार्वजनिक नहीं था पर इस की चर्चा आम थी, इस थप्पड़ की बात भी इसलिए दब गई थी क्योकि इस थप्पड़ के उजागर होने से डॉक्टर साहब की ही फजीहत होनी थी, आईपीएस ने जो थप्पड़ लगाया था वह मानवता के नजरिए से सही भी माना जा रहा था। खैर यह घटना सिर्फ चर्चाओं व सुर्खियों में रहा पर इस घटना का वीडियो या चित्र वायरल नहीं हुआ यही कारण था कि यह घटना प्रमाणित नहीं हो सकी।
आईपीएस का थप्पड़ आरक्षक को
हाल फिलहाल में सरगुजा के एक और जिले में एक आईपीएस ने अपने ही आरक्षक को एक छोटी सी गलती पर थप्पड़ जड़ दिया और कुछ ज्यादा ही मारपीट कर दी यह भी चर्चा का विषय है पर वीडियो वायरल ना होने की वजह से यह भी प्रमाणित नहीं है, पर विशेष सूत्रों की मामने तो चर्चा एक कान से दूसरे कान तक पहुंच रही है घटना तकरीबन डेढ़ माह पुरानी बताई जा रही है पर यह मामला तूल पकड़ता हुआ इसलिए नहीं नजर आ रहा है क्योंकि आरक्षक अपने आईपीएस अधिकारी से लड़ पाने में सक्षम नहीं था, थप्पड़ मामूली बात पर पड़ा था विशेष सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आईपीएस के बच्चे जो अकेले बाहर आ रहा था उस आरक्षक ने बस इतना कह दिया की बच्चे अकेले मत जाओ मम्मी पापा के साथ जाना है बच्चे ने जाकर क्या बताया यह तो पता नहीं पर आईपीएस महोदय आरक्षक को इतनी सी बात पर थप्पड़ जड़ दिया, पर आरक्षक अपने मान सम्मान के साथ समझौता करके मामले को दवे रहने देना ही उचित समझा, जबकि उसके साथियों ने उसे कहा भी कि इसकी शिकायत कर दो कार्यवाही होगी पर आरक्षक ने इतनी हिम्मत नहीं जुटा पाई और अपने मान सम्मान से समझौता कर आईपीएस को जिले में बने रहने का मौका दे दिया, पर यदि यह घटना घटी है तो आईपीएस साहब को उस आरक्षक का शुक्रिया अदा करना चाहिए कि उसने उनसे बड़ा अपना दिल दिखाया और मामले को दबा दिया।


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