- जनता इन पर कैसे करे भरोसा..एक वर्तमान तो एक पूर्व विधायक
- क्या राजनीतिक दल के नेता जो दिखाते हैं वह रहता नहीं और जो रहता है वह दिखाते नहीं?
- बड़े नेता डिबेट में झगड़ते भी हैं आरोप प्रत्यारोप लगाते भी हैं और फिर प्यार मोहब्बत से रहते हैं पर उनके समर्थक आपस में लड़ जाते हैं आखिर क्यों?
–रवि सिंह-
कोरिया,04 जून 2023 (घटती-घटना)। बड़ी-बड़ी राजनीतिक पार्टियों के बड़े बड़े नेता एक दूसरे के सामने एक दूसरे की पार्टी की राजनितिक मंचों पर विरोधी होते हैं, एक दूसरे का विरोध वह राजनितिक के सार्वजनिक मंचों पर खूब करते हैं एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप भी खूब लगाते हैं और आमने-सामने डिबेट जैसे कार्यक्रमों में नोकझोंक भी हो जाती है पर कार्यक्रम खत्म होते और सार्वजनिक कार्यक्रम से बाहर आते ही वह आम व्यक्ति हो जाते हैं और फिर एक साथ बैठकर ठहाके भी लगाते हैं और ऐसा बताते हैं कि उनके बीच ऐसी कोई भी बात नहीं है और वहीं इन नेताओं के समर्थक आपस में लड़ जाते हैं भीड़ जाते हैं और अपराधी बन जाते हैं, चाहे वह सोशल मीडिया पर लिखकर हो या फिर आमने सामने की लड़ाई हो ऐसा लगता है कि यह समर्थक नहीं एक दूसरे के विरोधी हैं और वही इन समर्थकों को अपने नेताओं को देखकर भी यह सीख नहीं मिलती कि जिनके यह समर्थक हैं वह स्वयं आपस में किसी भी राजनीतिक दल के नेता के विरोधी नहीं है फिर हम क्यों एक दूसरे के विरोधी हो रहे हैं? आपसी भाईचारे को खत्म कर रहे हैं, कुछ ऐसा ही दृश्य कोरिया जिले के बैकुंठपुर विधानसभा में आयोजित एक डिबेट शो में देखने को मिला जब पूरे डिबेट के दौरान दो नेताओं ने आपस में खूब आरोप-प्रत्यारोप लगाया ऐसा लगा कि यह दोनों एक दूसरे पार्टी के विरोधी तो हैं ही व्यक्तिगत तौर पर भी एक दूसरे के विरोधी हैं जैसे ही कार्यक्रम खत्म हुआ वह दोनों दिग्गज नेता एक साथ बैठकर जमकर ठहाके भी लगाए और चाय भी पी जिसे देखकर ऐसा लगा कि कुछ भी ऐसा इनके बीच नहीं हुआ जिसे जनता ने देखा, जनता ने कुछ घंटे पहले कुछ देखा और कार्यक्रम खत्म होने के बाद कुछ और देखा। अब जनता या समर्थक इस कन्फ्यूजन में है कि आखिर भरोसा करें तो किस पर करें?
वर्तमान और पूर्व विधायक डिबेट के दौरान लगाते रहे एक दूसरे पर गंभीर आरोप,बाद में साथ साथ ली चाय की चुस्कियां
मनेंद्रगढ़ के वर्तमान और पूर्व विधायक ने पूरे डिबेट के दौरान एक दूसरे पर जमकर आरोप लगाए आरोप व्यक्तिगत भी लगाए गए और ऐसा लगा भी की दोनों कभी एकसाथ नजर नहीं आएंगे लेकिन कार्यक्रम समाप्त होते ही दोनों एक साथ नजर आए और दोनो ने एक साथ चाय की चुस्की भी ली। दोनों ने हंसी ठहाके भी लगाए और देखने वालों के लिए यह हतप्रभ करने वाला था। वर्तमान और पूर्व विधायक ने आपस में काफी देर चर्चा की और फिर अपने अपने रास्ते रवाना हो गए।
समर्थक डिबेट के दौरान नजर आए आक्रोशित,नेताओं के समर्थन में लगाए नारे
वर्तमान और पूर्व विधायक ने डिबेट के दौरान एक दूसरे पर जमकर आरोप लगाए और इस दौरान समर्थक भी अक्रोशित नजर आए और उन्होंने अपने अपने नेताओं के लिए नारे भी लगाए। समर्थकों को देखकर यही लगा की जरूरत पड़ने पर वह लड़ने भिड़ने से भी परहेज नहीं करने वाले और वह हर हालात के लिए तैयार हैं लेकिन वहीं डिबेट समाप्त होते ही दोनों नेताओं को चाय की चुस्कियां लेते भी समर्थकों ने देखा।
बड़े नेताओं की तरह समर्थक भी आखिर क्यों नहीं रखते हैं अपना आचरण?
अक्सर देखा जाता है की बड़े नेता आपस में कोई द्वेष नहीं रखते लेकिन समर्थक आपस में एक दल और दूसरे दल के बीच काफी द्वेष रखते हैं और अपने दल और नेता के लिए किसी भी स्थिति तक जाने के लिए तैयार रहते हैं। सवाल यह उठता है की आखिर समर्थक भी बड़े नेताओं की ही तरह अपना आचरण क्यों नहीं रखते हैं और क्यों नहीं वह भी आपसी प्रेम और सद्भाव के साथ परस्पर एक दूसरे दल के कार्यकर्ताओं के साथ व्यवहार करते हैं।
बड़े नेताओं के चक्कर में समर्थक अपराध करने से भी नहीं करते परहेज
अक्सर देखा गया है की बड़े नेताओं के चक्कर में समर्थक अपराधी बनने से भी परहेज नहीं करते और वह परस्पर विरोधी दल के समर्थकों से लड़ने भिड़ने भी तैयार रहते हैं। समर्थक सोशल मीडिया हो या आमने सामने की ही बात अक्सर हर परिस्थिति के लिए तैयार रहते हैं जो देखा भी जाता रहा है।
बड़े नेताओं पर जनता कैसे करे विश्वास,कौन है हितैसी कैसे करें पहचान
जिस तरह मनेंद्रगढ़ के वर्तमान और पूर्व विधायक को पहले आपस में ही लड़ते और एक दूसरे पर जनता ने आरोप प्रत्यारोप लगाते हुए देखा और बाद में उन्हें ही साथ बैठकर ठहाके लगाते हुए चाय की चुस्कियां लेते हुए देखा गया उसको देखकर यही कहा जा सकता है की जनता किसपर करे विश्वास। जनता कैसे तय करे की कौन उनका हितैसी है,जनता के नाम पर जनता के शोषण के नाम पर आपस में लड़ने वाले नेताओं को एक दूसरे पर आरोप लगाते हुए देखकर जनता पहले तो यह तय करने लगती है की किसने उनके लिए बेहतर सोच रखी और उनकी आवाज बुलंद की बाद में जनता जब ऐसी तस्वीर देखती है तो वह भ्रम में पड़ जाती है और वह असमंजस की स्थिति में आ जाति है की किसपर वह करे विश्वास।