किसानों की भू-आवंटित जमीनों पर हो रहा है धड़ल्ले से अतिक्रमण,क्या राजस्व विभाग दें रहा है संरक्षण?
–राजेन्द्र शर्मा –
खडगवां,03 जून 2023 (घटती-घटना)। खडगवा तहसील मुख्यालय के आसपास के क्षेत्र खड़गवां आधीबार में भू-माफियाओं की सक्रियता दिनो दिन बढ़ती जा रही जिसके कारण आम लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है खड़गवां ग्राम पंचायत में भू- आवंटन के तहत प्राप्त भूमि को भी भू माफियाओं के द्वारा नहीं छोडी जा रही है उस भू-आवंटित भूमि को भी किसानों को भ्रमित कर उनसे भूमि की खरीदी बिक्री की लिखा पढ़ी स्टांप पेपर पर दो गवाहों में समाने कर जमीनों की खरीदी बिक्री का खेल बड़े जोरों पर चल रहा है जबकि इसकी जानकारी राजस्व विभाग के अमले को होने के बाद भी नहीं रोका जा रहा है।
खड़गवां के भू-माफिया रसूख दार होने के कारण इन के द्रारा पूरी दबंगई और पैसे के जोर पर बीस सूत्रीय के तहत भूमिहीन किसानों को उनके जीविकापार्जन के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने बीस सूत्रीय के तहत भूमि आवंटित किया गया था इस भूमि के आवंटित पटे में स्पष्ट निर्देश भी लिखे गए हैं कि पट्टेदार को उक्त भूमि का उपयोग केवल कृषि प्रयोजनों के लिए ही करेगा वह उक्त भूमि या उसके किसी भाग का उपयोग किसी अन्य प्रयोजन के लिए नहीं करेगा? पटेदार उक्त भूमि या उसके किसी भाग पर स्थायी स्वरूप की कोई संरचना खडी नहीं करेगा किन्तु वह कृषि प्रयोजनों के लिए अस्थायी शेड का निर्माण कर सकेगा? पटेदार भूमि में अपने अधिकार या उसके किसी भाग को बिक्री भेंट बंधक उप – पट्टा या अन्य प्रकार से अंतरित नहीं करेगा और ऐसी प्रत्येक बिक्री भेंट बंधक उप-पट्टा या अन्य प्रकार से किया गया अंतरण निष्प्रभावी होंगा? उसके बाद भी उक्त भूमि पर धड़ल्ले से राजस्व विभाग के अधिकारियों के सामने शासन प्रशासन के बिना अनुमति के धड़ल्ले से कृषि भूमि पर व्यावसायिक भवन तैयार किया जा रहा है जबकि उक्त भूमि पर व्यावसायिक भवन निर्माण पूर्णतः भूमि प्रतिबंधित है। उसके बाद भी भूमि माफियाओं के द्वारा भू-आवंटित जमीनों पर अवैध निर्माण कार्य कराया जा रहा है ये रसूखदार भू माफिया भू आवंटन जमीनों को नहीं छोड रहे हैं सडक के किनारे कि भू- आवंटन की जमीनों पर अतिक्रमण धडल्ले से कर लाखों रूपये की लागत से व्यवसायिक भवनों का निर्माण कार्य कर रहे हैं जिसकी क्षेत्र के ग्रामीणों ने कई शिकायतें कि है उसके बाद भी क्षेत्र के रसूखदार होने के कारण राजस्व का प्रशासनिक अमला इनके खिलाफ कोई कार्रवाई करने की जरूरत ही नहीं समझता है या कार्रवाई करना ही नहीं चाहता है। इससे इन भू माफियाओं का मनोबल और बढ़ता जा रहा है।
इनके द्रारा भू-आवंटित कृषि भूमि पर व्यावसायिक भवन धड़ल्ले से निर्माण कार्य किया जा रहा है ये भू-माफिया भू-आवंटित कृषि भूमि पर व्यावसायिक भवन का निर्माण कार्य कृषक का होना बताकर भू-आवंटित भूमि पर मकान निर्माण कर रहे हैं भवन का निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद इस भवन पर अपना कब्जा दिखा रहे है ऐसा खेल खड़गवां में जोर पर चल रहा है। और गरीब किसानों की भूमि में भू माफिया इस तरह के खेल कर कब्जा कर रहे हैं इनके द्वारा शासन प्रशासन से भवन निर्माण कार्य की कोई अनुमति नहीं ली गई है? क्षेत्र के अनपढ़ किसानों की भू -आवंटित भूमि पर मकान बनाकर अपना कब्जा भी दिखा रहे है और तो और राजस्व विभाग का अमले के द्वारा इनकी जमीनों के नाप जोख भी किया जाता है।
भू-आवंटित कृषि भूमि जो किसान को जीविकापार्जन के लिए मध्य प्रदेश सरकार के द्वारा प्रदान किया गया है। उसे भू-माफियाओं के द्वारा सड़क किनारे की भू आवंटित कृषि भूमि पर कब्जा जमाया जा रहा है जबकि इन सब कार्यो की जानकारी खड़गवां के राजस्व विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को है उसके बाद भी किसी प्रकार कि कोई रोक टोक कार्य वाही नहीं किया जा रहा है राजस्व अमला इन भू-माफियाओं से भारी भरकम अपनी फीस लेकर सारे खेल कर रहा है अगर इस पर समय रहते रोक नहीं लगाई गई तो आने वाले समय में तहसील न्यायालय में सिर्फ और सिर्फ भू-आवंटित भूमि के प्रकरणों की भरमर रहेगी और किसान भूमि विहीन होकर न्यायालय के चक्कर काट नजर आयेंगे? राजस्व विभाग के सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि भू -आवंटित भूमि पर दूसरे के कब्जा के आधार से पट्टा भी बन जा रहा है। जबकि किसान के पास भू-आवंटन भूमि का पट्टा है उसके बाद दूसरे कब्जे दार का पट्टा बनाया जा रहा है।
इस तरह गरीब किसानों की जमीनों को बेचा जा रहा है। जी हां, क्षेत्र में बिना रजिस्ट्रेशन के जमीनों को खरीदने वाले भू-माफियाओं की वजह से जमीन के दाम आसमान छूने लगे हैं। इसकी वजह से गरीब तबके के लोग जमीन खरीदना तो दूर जमीन खरीदने के बारे में सोच नहीं सकते। इस क्षेत्र के रसूखदार भू माफिया इतने सक्रिय है कि जमीन विक्रेताओं के पास पहुंच जाते हैं और रेट पूछने के बाद उसको खरीद लेते हैं। कभी-कभी तो ये भू माफिया जमीन विक्रेताओं को भूमि बेंच देने के लिए विवश करते हैं। उसमें वे मनमाना कमीशन भी ऐंठते हैं। आश्चर्यजनक तो यह है कि यह भू माफिया अपने काम को खुलेआम अंजाम दे रहें हैं। प्रशासनिक अधिकारी उनके समस्त क्रिया कलापों के जानने के बाद भी इनके खिलाफ कोई कार्रवाई न करके चुप्पी साधे हुए हैं। इससे इनका मनोबल और बढ़ता जा रहा है और साधारण सी जमीन का दाम सोने के मूल्य के बराबर हो गया है।