कोरिया@स्कूलों की मरम्मत के लिए जारी हुए साढ़े चार करोड़ रुपए,मरम्मत के नाम पर हो रही खानापूर्ति

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जर्जर स्कूलों की मरम्मत के लिए जारी राशि का हो रहा बंदरबांट,कहीं काम शुरू तो कहीं काम शुरू होने का इंतजार

रवि सिंह –
कोरिया,03 जून 2023 (घटती-घटना)। स्कूलों की मरम्मत के लिए कोरिया जिले के 158 स्कूलों के लिए साढ़े चार करोड़ रुपए की राशि जारी हुई और अब जारी राशि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ने जा रही है और जिसका उदाहरण देखने को मिल रहा है। जो काम तय समय में पूरा हो जाना था वह या तो कहीं शुरू हुआ है और कार्य में अनियमितता और पैसे के बंदरबांट की खबर सामने आ रही है वहीं कहीं काम शुरू भी नहीं हुआ है और अब वहां भी बंदरबांट की संभावना बनी हुई है जो बात सामने आ रही है।
बताया जा रहा है की जिले के जिन स्कूलों की हालत जर्जर है और जहां स्कूल संचालित किया जा पाना संभव नहीं है खासकर बरसात में उन स्कूलों के लिए यह राशि जारी हुई थी और आरईएस विभाग को इस कार्य की जिम्मेदारी मिली हुई थी लेकिन अब पुनः बरसात करीब आ चुकी है और अब तक मरम्मत का कार्य पूर्ण नहीं हो सका है। अब पूरे मामले में सवाल यह उठता है की क्या फिर इस बरसात में स्कूल के बच्चे टपकती छत के ही नीचे पढ़ाई करेंगे और गिरती हुई छत के नीचे अपनी जान जोखिम में डालेंगे। जिस उद्देश्य के कारण राशि जारी हुई थी वह इस बरसात में तो पूर्ण होता नजर नहीं आ रहा है और बच्चे इस वर्ष भी बरसात में खतरे में ही पढ़ाई करेंगे यह तय है। जिस विभाग को यह काम सौंपा गया है वह अब तक कार्य में गति क्यों नहीं ला पाया है यह तो वह विभाग ही बता सकता है लेकिन जिन स्कूलों के लिए यह राशि जारी हुई है उनकी हालत जर्जर है यह बात किसी से छिपी हुई नहीं है। वही स्कूल के मरम्मत के नाम पर भ्रष्टाचार होने की संभावना भी बनी हुई है सूत्रों के हवाले से यह जानकारी आ रही है कि निर्माण सामग्री घटिया स्तर की उपयोग हो रही है, जिस स्कूल में 2 लाख खर्च करना है वहां 1 लाख ही खर्चा कर उस काम को पूरा होना बता दिया जा रहा है, ऐसे में यह भी बात सामने आ रही है कि करोड़ों के काम में जमकर लीपापोती होनी है और हो भी रही है जहां काम शुरू हो गया है वहां लीपापोती भी शुरू है और जहां काम शुरू नहीं हुआ है वहां होगा कि नहीं होगा इसका पता नहीं, काम की स्वीकृति 4 माह पूर्व हो चुकी है और दोबारा स्कूल खुलने वाला है पर स्कूल खुलने से पहले पूरे स्कूलों का कार्य पूरा नहीं होगा यह तो तय है, बरसात के समय इसकी पोल भी खुल जाएगी।
कई स्कूल बरसात में संचालित हो पाने की स्थिति में नहीं
जिले में कई स्कूल ऐसे हैं जिनमें इस बरसात स्कूल संचालित हो सके ऐसी स्थिति नहीं है। कभी भी किसी गंभीर हादसे को न्योता देते स्कूलों की छत कब गिर जाएं यह कहा नहीं जा सकता लेकिन राशि जारी होने के बाद भी स्कूलों की हालत जश की तश है। स्कूलों की छत बरसात में कब धराशाई हो जाएं इसको लेकर आशंका बनी रहती है और उसी खतरे के बीच बच्चे स्कूलों में जाकर पढ़ने मजबूर हैं। 158 स्कूलों की हालत जर्जर देखकर ही राशि जारी हुई है और कार्य अब तक आरंभ नहीं हो सका है।
बरसात में जर्जर स्कूलों में घटती है कोई घटना तो कौन होगा जिम्मेदार
जर्जर स्कूलों के लिए उनकी मरम्मत हो सके इसलिए राशि जारी की गई थी लेकिन कार्य अब तक पूर्ण नहीं हो सका है। बरसात भी अब आने ही वाला है अब ऐसे में बच्चे उन्ही जर्जर भवनों में बैठकर पढ़ने मजबूर होंगे। अब यदि बरसात में कोई दुर्घटना घटती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा यह एक बड़ा सवाल है क्योंकि मरम्मत के लिए राशि जारी हो चुकी है और कार्य या तो शुरू नहीं है या शुरू है भी तो खाली खानापूर्ति कर पैसे का बंदरबांट किए जाने का खेल खेला जा रहा है।
ग्राम पंचायत की जगह आरईएस को बनाया गया निर्माण एजेंसी,इसका भी हो रहा विरोध
पूरे मामले में एक मामला यह भी है की मरम्मत का कार्य ग्राम पंचायतों को न देकर आर ई एस को निर्माण एजेंसी बनाया गया है और अब इसका भी विरोध शुरू हो गया है। मामले में भाजपा नेता देवेंद्र तिवारी का भी बयान सामने आया है और उन्होंने आरोप लगाया है की स्कूलों के मरम्मत के नाम पर लाखों का खेल खेला जा रहा है जबकि स्थिति इसके विपरित है और मरम्मत के नाम पर पैसों का बंदरबांट किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा है वह लोग खुद अब स्कूल जाएंगे और पूरे भ्रष्टाचार की पोल वह खोलेंगे।


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