कोरिया @बिना निविदा सामग्री की खरीदी अब भुगतान व गुणवत्ता को लेकर पंचायत असमंजस में !

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अन्य जिलों में मशीन क्रय के लिए निविदा किन्तु कोरिया में नही हुआ निविदा

  • रवि सिंह
    कोरिया 27 मई 2023 (घटती-घटना)। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने एवं ग्रामीणों को गांव में ही लघु उद्योग स्थापित करने की सुविधा प्रदान करने के लिए आदिवासी बाहुल्य आकांक्षी जिला कोरिया व एमसीबी में स्थापित किए जा रहे रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क (रीपा) के उद्देश्यों की पूर्ति अधिकारी के हस्तक्षेप से नहीं हो पा रही। उद्घाटन के डेढ़ माह बाद भी कुछ औद्योगिक इकाइयों की गतिविधियां शुरू नहीं हो सकीं। दो करोड़ की लागत से तैयार किए जा रहे शेड निर्माण में कई कार्य अधूरे हैं। कुछ स्थानों पर विद्युतीकरण का कार्य भी पूरा नहीं हो सका। जिम्मेदार विभागों के मॉनिटरिंग में ढिलाई की वजह से शासन की परिकल्पना साकार नहीं हो सकी।
    यहां बताना होगा कि ग्रामीण औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा देने कोरिया व एमसीबो जिले में दस रीपा केन्द्र बनाये जा रहे हैं। किन्तु अब अधिकारियों के हस्तक्षेप से निर्माण एजेंसी ग्राम पंचायत परेशान हैं जहा जानकारी अनुसार दोनों जिलों में बिना ग्राम पंचायत एजेंसी के निविदा जारी हुए किसी एक फर्म ने सामग्री की सफ्लाई कर दी है जिसकी कीमत ज्यादा है जबकि जिले में यह मशीन कम कीमत में उपलब्ध हो जा रही जिससे अब ग्राम पंचायत भुगतान को लेकर परेशान हैं क्यो की बिना निविदा जो सामग्री आ गई है उनमें कमीशन की सुगबुगाहट हैं वही सामग्री की गुडवत्ता को लेकर भी कुछ पंचायत में नाराजगी देखने को मिल रही है क्यो की निर्माण एजेंसी को भविष्य में इस मे फसने की आशंका हैं क्यो की अधिकारियों के दबाव में मशीन लेंगे तो इसकी देखरेख की जिम्मेदारी किसकी होगी साथ ही जिन मशीनों की आवश्यकता नही है वे मशीन भी जिले में आ गए हैं कुछ पंचायत ने तो बिना निविदा लगभग 15 लाख से ऊपर भुगतान भी कर दिया जबकि सामग्री भेजने वाले संस्था ने अब तक कुछ मशीनों को दिया भी नही वही भुगतान के लिए ग्राम पंचायत के सरपंच को दबाव दे रहे आखिर कोरिया जिले में यह सब किस अधिकारी के संरक्षण में हो रहा अब यह दोनों जिलों में चर्चा का विषय बना हुआ है जब कि एक ग्राम पंचायत ने तो भुगतान करने से ही मना कर दिया जिससे कोरिया व एमसीबी जिले में अब अधिकारी के दबाव में सामग्री खरीदी व भुगतान को लेकर विरोध होने की संभावना हैं।
    विदित है कि 25 मार्च को प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के हाथों जिले के सभी 10 रीपा केन्द्र का वर्चुअल उद्घाटन हुआ था। लेकिन आज पर्यन्त यहां के रीपा की संरचनाएं पूर्ण नहीं हो पाई। पड़ताल में विभिन्न औद्योगिक इकाइयों के शेड में न गेट लगा न विद्युतीकरण का कार्य पूरा हुआ। यहाँ तक कि पहुंच मार्ग भी व्यवस्थित नहीं है। युवाओं एवं महिला स्व सहायता समूहों को अब भी औद्योगिक गतिविधियों में ट्रेनिगं दिया जा रहा। जिससे करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी रीपा की परिकल्पना कुछ हिस्सों में साकार नहीं हो सकी।
    जबकि कोरिया व नवीन मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर जिले में दस स्थानों पर बन रहे बीस करोड़ चौवन लाख तिरालीस हजार रूपये की लागत से बनने वाले रीपा (रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क) के लिए टेंडर न करना पड़े इसके लिए कार्यों को टुकड़ों टुकड़ों में बांट दिया गया है जब कि एक स्थान पर एक कार्य की स्वीकृति लागत लगभग दो करोड़ पाँच लाख तक थी जिसमे सभी जरूरी कार्य करने थे। नियमत: पचास लाख तक के कम को ग्राम पंचायत कर सकते हैं, लागत इससे अधिक होने पर निविदा करनी पड़ती। निविदा न करना पड़े इसके लिए कोरिया व एमसीबी जिले के जिला पंचायत कोरिया द्वारा सभी जगह रीपा को तीन से छह हिस्सों में स्वीकृति दी गई है।जबकि प्रदेश में कई जिलों में मशीन क्रय के लिए बाकायदा निविदा जारी की गई किन्तु कोरिया जिला पंचायत के पूर्व अधिकारी के निर्देश में ग्राम पंचायत को ही मशीन उपकरण क्रय करने का बिना निविदा एजेंसी तक बना दिया गया जिससे जिला पंचायत कोरिया के पूर्व अधिकारी के द्वारा निविदा नही करने को लेकर पूरे योजना में निर्माण व खरीदी को लेकर सवाल उठना लाजमी हैं?
    सामग्री ख़रीदी का अन्य जिलों में निविदा तो कोरिया में टेंडर क्यों नही
    इस पूरे प्रोजेक्ट में जो सबसे बड़ा और एक मात्र सवाल यही उठ रहा है कि जब काम पूरे प्रदेश में एक है। एक रीपा का काम कराया जा रहा है तो सभी जिलों में नियम अलग अलग क्यो। सामग्री क्रय करने टेंडर क्यों नहीं कराया गया। वही जब प्रदेश के दूसरे जिलों में बकायदा निविदा बुलाकर मशीन क्रय किया गया तो फिर कोरिया जिला पंचायत में निविदा नही करना है यह निर्देश किसने दिया जो कि अब जिले में चरचा का विषय बना हुआ है कि आखिर अधिकारी को जल्दबाजी की क्या मजबूरी थी! वही भेजी गई सामग्री जिले में उससे कम कीमत में उपलब्ध है तो अधिक भुगतान पंचायत से ही किस आधार पर जिसे लेकर सवाल उठना लाजमी हैं। वही अधिकारी इस मामले में कुछ भी कहने से बचते नजर आ रहे।
    मनमानी का आरोप
    भईया लाल राजवाड़े पूर्व विधायक व मंत्री बैकुंठपुर विधानसभा ने कहा की शासन का नियम है कि एक लाख से अधिक लागत की सामग्री होने पर टेंडर करना जरुरी है, लेकिन टेंडर किए बिना अपने करीबी लोगों को काम देने के लिए उच्च अधिकारी नियमों को ताक पर रख रहे हैं। जानकारी मिली है कि एजेंसी ग्राम पंचायत है किंतु मशीन की सफ्लाई एक विशेष फर्म से पूरे जिले में ओ भी दबाव में साथ ही राशि भुगतान के लिए ग्राम पंचायत को परेशान किया जा रहा हैं ।इसकी गुडवत्ता की जवाबदेही किसकी हैं। इसकी जांच होनी चाहिए।

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