बैकुण्ठपुर@क्या नपा अध्यक्ष पति ठान लिए हैं कि एसईसीएल में सिर्फ हाजरी लगाएंगे और नपा में ठेकेदारी व निरीक्षण करेंगे?

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जब एसईसीएल कर्मचारी नपा निरीक्षण और वहां की व्यवस्था के साथ निर्माण कार्य देखेंगे तो फिर नपा अध्यक्ष क्या करेंगी?

रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 25 जुलाई 2023 (घटती-घटना)। कोरिया जिले में एक नगरपालिका ऐसी भी है जहां महिला अध्यक्ष की पूरी जिम्मेदारी उनके पति निभाते हैं और वह नौकरी में रहते हुए खुलेआम नेतागिरी करते हैं और सभी तरह के निर्माण कार्यों में भी देखरेख करते नजर आते हैं। एसईसीएल के कर्मचारी अध्यक्ष पति को लगातार सोशल मीडिया पर देखा जा सकता है जिसमें वह निर्माण कार्यों की देखरेख करते हुए वीडियो और रील पोस्ट करते नजर आते हैं और उनकी धर्मपत्नी अध्यक्ष नगरपालिक गाहे बगाहे की किसी किसी जगह नजर आती हैं ज्यादातर अध्यक्ष पति ही नगरपालिका अध्यक्ष की भूमिका में नजर आते हैं। यहां यह समझा जा सकता है की अध्यक्ष नाममात्र की हैं और पति ही अघोषित रूप से अध्यक्ष हैं. जो अध्यक्ष पद का दायित्व निभा रहें हैं। एसईसीएल प्रबंधन ने भी जैसे अध्यक्ष पति के सामने घुटने टेक दिए हैं और प्रबंधन भी अध्यक्ष पति को बिना नौकरी किए वेतन देने मजबूर है तभी तो हर समय अध्यक्ष पति सोशल मीडिया पर नगरपालिका का कार्य करते और उसका रील बनाकर सोशल मिडिया पर डालते नजर आते हैं।
महिला जनप्रतिनिधियों के मामले में यह अक्सर देखा जाता भी रहा है जब आरक्षण वजहों से महिला जनप्रतिनिधि का ही निर्वाचन होना तय रहता है तब महिलाओ को चुनाव तो लड़वाया जाता है निर्वाचित भी करवाया जाता है लेकिन उन्हें स्वतंत्र रूप से कार्य करने नहीं दिया जाता और ज्यादातर मामलों में ऐसी महिला जनप्रतिनिधियों के पति या परिवार के अन्य पुरुष ही पूरा कामकाज देखते हैं और हस्ताक्षर मात्र के लिए ऐसी महिला जनप्रतिनिधियों का उपयोग किया जाता है। आज हर क्षेत्र में महिलाओ की साझेदारी और उनकी बराबरी की बात जरूर हो रही है लेकिन उनके अधिकारों और उनकी स्वतंत्रता के बीच उनके ही परिवार के लोग खड़े नजर आते हैं जो उनकी कार्यकुशलता को सामने नहीं आने देना चाहते उन्हे पीछे ही रखना चाहते हैं। वैसे शिवपुर चरचा नगरपालिका जो कोरिया जिले के दो नगरपालिकाओं में से एक है में यह प्रायः देखा जा रहा है की निर्माण कार्य की देखरेख की बात हो या कोई भी आयोजन महिला अध्यक्ष की जगह उनके पति ही हर जगह नजर आते हैं और वह अपनी ही वीडियो रील सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं ज्यादातर। अध्यक्ष पति की सोशल मीडिया पोस्ट को देखने के बाद यही लगता है की अध्यक्ष वही हैं और उनकी पत्नी जो असल मायने में अध्यक्ष हैं उनका नगरपालिका में हस्ताक्षर के अलावा कोई काम नहीं है। अब सवाल यह भी उठता है की जब सारे कामकाज अध्यक्ष पति ही देख रहें हैं तो ऐसे में महिला अध्यक्ष क्या करेंगी उनका दायित्व क्या होगा।
वैसे अध्यक्ष पति का कोई दिन ऐसा नहीं गुजरता जिस दिन वह सोशल मीडिया पर रील बनाकर खुद को विकास पुरुष नहीं बताने होगे
वैसे अध्यक्ष पति का कोई दिन ऐसा नहीं गुजरता जिस दिन वह सोशल मीडिया पर रील बनाकर खुद को विकास पुरुष बताने से बाज आते हों प्रतिदिन वह खुद को विकास पुरुष बताकर यह जताते रहते हैं की वह जो कुछ कर रहें हैं वह पहले न तो हुआ है और न आगे होगा। वैसे यह पूरा श्रेय महिला अध्यक्ष के खाते में जाना चाहिए था लेकिन श्रेय अध्यक्ष पति को ही कम पड जा रहा है और वह अपनी ही तस्वीर अपना ही चेहरा चमकाने में व्यस्त हैं जबकि वह अपना मूल काम जिसमें उन्हें वेतन मिलता है उसको नहीं करना चाहते है और कहीं न कहीं यह एक अच्छे नागरिक की निशानी बिलकुल नहीं है की वह वेतन तो ले लेकिन वेतन की एवज में काम ही न करे इस हिसाब से देखा जाए तो पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष इनसे बेहतर माने जा सकते हैं क्योंकि उन्होंने बकायदा नौकरी से इस्तीफा देकर राजनीति में कदम रखा था और उन्होंने नौकरी करते हुए कभी यह कहने का अवसर किसी को नहीं दिया की वह मुफ्त का वेतन लेते हैं।पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष शिवपुर चरचा ने राजनीति में भी ईमानदारी का परिचय दिया और नौकरी का परित्याग कर उन्होंने राजनीति की कोई भी किसी तरह की अनियमितता उन्होंने इस मामले में नहीं की।
वर्तमान अध्यक्ष पति की बात की जाए तो वह नाममात्र के लिए एसईसीएल र्मी हैं
अब जब वर्तमान अध्यक्ष पति की बात की जाए तो वह नाममात्र के लिए एसईसीएलकर्मी हैं और वह केवल वेतन प्राप्त करते हैं जबकि वह ज्यादातर राजनीतिक गतिविधियों में ही नजर आते हैं जो उनकी सोशल मीडिया पोस्ट बताती भी है। हाल में ही इसको लेकर पूर्व कैबिनेट मंत्री पूर्व भाजपा विधायक बैकुंठपुर ने केंद्रीय मंत्री को पत्र भी लिखा है और अध्यक्ष पति सहित तीन लोगों के तबादले की उन्होंने मांग की है। अब देखना होगा की पूर्व मंत्री के पत्र को कितना तव्वजो मिलता है और क्या तबादला होता है या अध्यक्ष पति इसी तरह बिना काम पर जाए वेतन लेते रहेंगे और नगरपालिका का कार्यों में हस्तक्षेप वह करते रहेंगे। वैसे पूरे मामले में जिले के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को भी ध्यान देना चाहिए की यदि एक व्यक्ति के लिए बिना काम किए वेतन लेने और खुलकर राजनीति करने का प्रावधान वह चाहते हैं तो यही प्रावधान सभी के लिए वह क्यों नहीं करवाते ,यदि एक के लिए ऐसी सुविधा है की वह घर बैठकर वेतन भी ले और नेतागिरी भी करे तो सभी के लिए यह व्यवस्था बनवानी चाहिए जिससे न्याय समझ में आ सके।


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