बैकुण्ठपुर@25 वर्ष में ही नेस्तनाबूद हो गया अविकसित कोरिया जिला…

Share

कोरिया जिले की 25 वीं वर्षगांठ पर घटती-घटना विशेष
  • कांग्रेस की दिग्विजय सरकार में हुआ था गठन और कांग्रेस की भूपेश सरकार ने ही कर दिया विभाजन
  • भूपेश सरकार के निर्णय से कोरियावासियों में निराशा का माहौल
  • स्व.डॉ.रामचंद्र सिंहदेव कोरिया जनक के तौर पर जाना जाता है..क्या उनकी भतीजी को कोरिया को नेस्तनाबुद के लिए जाना जाएगा?

रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर,24 जुलाई 2023 (घटती-घटना)। 25 मई 1998 का वह ऐतिहासिक दिन जब कोरिया वासियों की वर्षो पुरानी मांग पूरी हुई थी, छत्तीसगढ राज्य गठन के ठीक दो वर्ष पूर्व मध्यप्रदेश के तात्कालिक मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने जब जिला निर्माण की घोषणा की तब कोरिया को जिला और बैकुंठपुर को मुख्यालय घोषित किया गया था। इसे विडंबना ही कहा जा सकता है कि कोरिया जिले का निर्माण कांग्रेस की सरकार ने ही किया था और अब कोरिया का विभाजन भी कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार ने ही कर दिया। जिला निर्माण की खुशी से ज्यादा अब कोरिया वासी जिला विभाजन का दंश झेल रहे हैं,बीते 25 वर्षो में कोरिया जिले ने राजनैतिक कारणो से उतना विकास नही किया जितना कि काफी कम समय में प्रदेश के दूसरे नये जिले ने कर लिया है। अपने बाल्यकाल में ही कोरिया वासियों के सपने को चकनाचूर का सारा श्रेय अब वर्तमान प्रदेश सरकार को ही जाता है। आज 25 मई 2023 को यह जिला अपने निर्माण की 25वीं वर्षगांठ मनाने की ओर अग्रसर है इस अवसर पर तब से लेकर आज तक की वास्तविक स्थिति पर घटती-घटना का विशेष विश्लेषण।
कोरिया की भौगोलिक स्थिति
कोरिया जिले की शासकीय वेबसाईट से प्राप्त जानकारी के तहत जिले का क्षेत्रफल 2001.779 वर्ग किमी, जनसंख्या 658917, साक्षर दर 70.06 प्रतिशत, ब्लॉक 2,तहसील 4,आबादी ग्राम 286 व नगरीय निकायों की संख्या 2 है। वहीं खड़गवां ब्लॉक के 36 गांव को कोरिया जिले में यथावत रखा गया है,जिले के बैकुंठपुर अनुविभाग अंतर्गत नवीन तहसील पोड़ी बचरा को शामिल किया गया है,इससे पहले बैकुंठपुर व पटना तहसील थे। पर्यटन की दृष्टि से एकमात्र झुमका जलाशय और गुरूघासीदास राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र का कुछ भाग कोरिया जिले मे शेष रह गया है। खनिज के मामले में एसईसीएल अंतर्गत चरचा,कटकोना,पांडोपारा कालरी क्षेत्र कोरिया जिले में शामिल हैं।
चकनाचूर हो गया कोरिया कुमार के सपनों का कोरिया
यह सर्वविदित है कि कोरिया जिले की स्थापना से लेकर जिला मुख्यालय बैकुंठपुर बनाने में पूर्व वित्तमंत्री डॉ.रामचंद्र सिंहदेव का ही पूरा सहयोग था। जिला निर्माण के समय बहुत ही भयावह स्थिति उत्पन्न हो गइ थी, लेकिन स्व कोरिया कुमार की राजनैतिक शक्ति के आगे कोरिया और खासकर मुख्यालय बैकुंठपुर पर कुछ खासा प्रभाव नही पड़ा था। यह कहा जा सकता है कि जिला निर्माण का सारा श्रेय कोरिया कुमार को ही जाता है। अपने जीवित काल में उन्होने कोरिया के विकास को लेकर चिंता की,पानी पर उनका विशेष फोकस देखने को मिलता था ऐसा लगता था जैसे यह कोरिया जिला उनके सपनों का जिला था जिला और यहां के निवासियों के प्रति विशेष लगाव इस ओर काफी हद तक ईशारा भी करते हैं। समय के साथ साथ तस्वीर काफी बदली, 1998 में जिले के निर्माण के बाद वर्ष 2000 में छत्तीसगढ राज्य का निर्माण हो गया। 15 वर्षो तक भाजपा की सरकार रही लेकिन उसके बावजूद कोरिया जिले पर तनिक सी आंच नही आई। एक लंबी राजनैतिक पारी के बाद कोरिया कुमार का निधन हुआ और उसके बाद कोरिया कुमार की भतीजी के रूप मे प्रचार करते हुए वर्तमान विधायक अंबिका सिंहदेव ने स्थानीय नागरिकों के मन में कोरिया कुमार के सपनों को पूरा करने का एक बीज बोया और उसमें सफलता हासिल हुई। कोरिया वासी भी काफी आशान्वित थे। लेकिन इसी बीच प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने जिले के विभाजन की घोषणा कर दी,वह भी असंतुलित विभाजन। जिला विभाजन के समय जो सबसे विभत्स तस्वीर सामने आई वह यह कि जब कोरिया वासी दर्द में डूबे थे तब स्थानीय विधायक नए जिले के विधायक को सार्वजनिक स्थल पर मीठा खिलाते हुए नजर आईं। स्व कोरिया कुमार की गैर मौजूदगी में कोरिया क्षत विक्षत हो गया ,संभावनाओं ने निराश का रूप ले लिया। और यह कहा जा सकता है कि कोरिया कुमार के सपनो का कोरिया आज चकनाचुर हो गया।
2000 के बाद हुए हर क्षेत्र में विकास कार्य लेकिन आज भी सुविधाओं की है कमी
जिले का निर्माण वर्ष 1998 में हुआ और राज्य का निर्माण वर्ष 2000 में। राज्य निर्माण के बाद देखा जाए तो विकास के कार्य काफी हुए। बिजली,सड़क,पुल,पुलियों से लेकर स्कूल, आंगनबाड़ी का निर्माण एवं स्वास्थ्य सुविधाओ में काफी बढोत्तरी हुई। आम जन के लिए प्रशासन तक पहुंच भी आसान हुई। लेकिन 25 वर्ष का समय एक लंबा समय होता है और यदि दूसरे जिलों की तुलना करें तो देखने में आता है कि यहां उतने कार्य नही हो सके जितने होने थे। आज भी स्वास्थ्य सुविधा दम तोड़ रही है,उपचार के लिए बाहर जाना मजबूरी है। अच्छे शैक्षणिक संस्थानों की कमी के कारण लोग यहां से पलायन करना ही सही समझते हैं लोगो के पास रोजगार के अवसर नही हैं। स्व रोजगार में भी लोग रूचि नही ले रहे है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि लोगो का जीवन स्तर आज भी यहां नीचा है।
जनप्रतिनिधियों की उदासिनता भी है अविकसित कोरिया के लिए जिम्मेदार
आज कोरिया जिला विकास की राह देख रहा है,आखिर कब तक। अन्य किसी भी मुद्वे पर सभी प्रमुख विपक्षी दलो को एक होते देखा गया लेकिन जिले के विकास के मुद्वे पर कभी भी किसी दल और नेता को बात करते नही सुना गया। वर्ष 2008 तक स्व कोरिया कोरिया कुमार ही यहां के विधायक रहे,उन्होने सौगातें तो कई दी लेकिन जिले से बड़ा सौगात उनके कार्यकाल में कुछ नही हो सकता। इसके बाद भाजपा सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2008 और 2013 में भैयालाल राजवाड़े विधायक निर्वाचित हुए पहले कार्यकाल में श्री राजवाड़े को संसदीय सचिव और फिर दूसरे कार्यकाल में तीन वर्ष के लिए केबिनेट मंत्री का पद दिया गया। अपने कार्यकाल में भैयालाल राजवाड़े ने लोगो का व्यक्तिगत काम तो बहुत किया उनके हर दुख सुख में शामिल हुए लेकिन विकास के बड़े काम न होना उनकी अनुपलब्धि ही मानी जाती है। प्रदेश का खेल मंत्री होकर भी जिला मुख्यालय मे एक स्टेडियम न बनवा पाना उनकी विफलता है। अब वर्ष 2018 से कोरिया कुमार की भतीजी अंबिका सिंहदेव विधायक निर्वाचित होकर संसदीय सचिव के रूप में काम कर रही हैं उनके समर्थक खुद के लिए भले ही विकास कार्य कराने का ढिंढोरा पीट रहे हो लेकिन यह सच है कि उनके कार्यकाल में कोरिया जिले का विभाजन एक आम नागरिक कभी भी नही भूल पाएगा। जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से आज कोरिया जिले का भविष्य अंधकारमय हो गया है।
जिला विभाजन कोरिया वासियों के साथ छलावा,राजनीति का शिकार हुआ जिला
25 वर्ष के युवावस्था में ही कोरिया जिले का विभाजन बिना कोई सलाह मशवीरा के भूपेश बघेल सरकार ने कर दिया। जिले की जनता ने अविभाजित कोरिया जिले की तीनो सीटों पर कांग्रेस को जीत दिलाई थी। नागरिकों को सरकार से बहुत ही उम्मीद थी, लेकिन सरकार ने कोरिया वासियों के साथ एक छलावे की राजनीति कर दी। एमसीबी जिले का निर्माण तो कर दिया स्थानीय जनों ने विरोध भी किया लेकिन इस बात का नही कि एमसीबी जिले का निर्माण क्यों किया बल्कि इस बात का कि कोरिया का असंतुलित विभाजन क्यों किया गया। नागरिको के मन में आज भी एक पीड़ा है,स्थानीय जन सरकार के इस निर्णय के प्रति काफी दुखी हैं,युवा वर्ग आगे के अपने भविष्य को लेकर चिंतित दिखलाई दे रहा है। बतलाया जाता है कि जब जिले का निर्माण हुआ उस दौरान सरगुजा संभाग के कद्वावर नेता केबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बीच आपसी खींचतान मची हुई थी। इसी बीच कोरिया की राजनीति में अपना स्थान रखने वाले विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने एक सोची समझी चाल के तहत एमसीबी जिले के निर्माण में अपनी मुख्य भूमिका निभाई,पिछले दो लोकसभा चुनाव में कोरिया जिले से महंत परिवार को हार का ही सामना करना पड़ा है,इस बार भले ही श्रीमती ज्योत्सना महंत सांसद निर्वाचित हो गई हैं लेकिन कोरिया जिले से लगभग 40 हजार मतो से वे पीछे रहीं। जानकार बतलाते हैं कि अपनी पकड़ एमसीबी जिले में मजबूत करने और भविष्य की राजनीति के लिए चरणदास मंहत ने भरतपुर और मनेंद्रगढ विधायक के साथ मिलकर कोरिया को नेस्तनाबुद करने मंे प्रमुख भूमिका निभाई। यह कहा जा सकता है कि कोरिया जिला राजनीति का शिकार हो गया। यह अलग विषय है कि जिले की बर्बादी के बाद एमसीबी जिले के उद्वघाटन मे स्थानीय विधायक अंबिका सिंहदेव समेत कई कांग्रेसी शामिल हुए और श्रीमती सिंहदेव ने एमसीबी में मनेंद्रगढ का नाम अपने पिता के नाम पर होने का गर्व महशूस करते हुए लाभ लेने की कोशिश की।
विभाजन के बाद आज भी बनी हुई है प्रशासनिक अस्थिरता
कोरिया जिले का असंतुलित विभाजन कर आज भले ही एमसीबी जिले का निर्माण कर दिया गया लेकिन आज भी दोनो जिले में प्रशासनिक अस्थिरता बनी हुई है सबसे बड़ा सवाल आज भी बैकुन्ठपुर अनुविभाग में शामिल पोड़ी बचरा तहसील क्षेत्र की उन ग्राम पंचायतो को लेकर हैं जिनका विकासखंड जनपद पंचायत खंड़गवा है। मतलब कि इन क्षेत्रो में राजस्व के सारे काम कोरिया जिले से हो रहे हैं और बाकी के अन्य कार्य खड़गवां जनपद पंचायत से। चँकि विकासखंड का बंटवारा सिर्फ केन्द्र सरकार ही कर सकती है,यह राज्य सरकार का विषय नही है। और केन्द्र सरकार से किसी भी विकासखंड का बंटवारा कराना आसान काम नही है इसलिए अभी इस क्षेत्र के निवासियों को काफी समय तक संघर्ष करना पड़ेगा यह क्षेत्र के भविष्य का सवाल है जिस पर जिम्मेदार जनप्रतिनिधि चुप हैं।
सरकार की हठधर्मिता और स्थानीय विधायक की कमजोरी आई सामने
जिला के विभाजन के बाद आक्रोश व्यक्त करते हुए स्थानीय नागरिकों ने कोरिया बचाव मंच के बैनर तले एक लंबा आंदोलन किया मंच के सदस्यो की मांग की थी कि इसका असंतुलित विभाजन न किया जाए,और कम से कम खडगंवा विकासखंड को कोरिया जिले में ही रहने दिया जाए। कोरिया गढ पहाड़ के नाम से ही कोरिया जिले के का नाम होने की बात कहते हुए इसे भी कोरिया जिले में शामिल करने को लेकर शासन के समक्ष अनेक आपत्तीयां पेश की गई। प्रतिनिधि मंडल ने राजधानी जाकर स्थानीय विधायक के नेतृत्व में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात भी किया था,मुख्यमंत्री निवास में बेइज्जत होकर प्रतिनिधि मंडल को वापिस आना पड़ा था लेकिन इसके बाद भी लोगो को उम्मीद थी कि उनके साथ न्याय होगा लेकिन भूपेश सरकार ने लोगो के साथ अन्याय ही किया अपने मन मुताबिक आपत्तीयों का निराकरण अपने हिसाब से करते हुए अंततःकोरिया जिले का असंतुलित विभाजन कर ही दिया। जिसका खामियाजा अब लंबे समय तक यहां के युवाओ,व्यापारियों समेत हर वर्ग को भुगतना पड़ेगा।
जिला मुख्यालय की गरिमानुरूप नही हुआ बैकुंठपुर का विकास
जिस प्रकार किसी भी राज्य में राजधानी का विकास देखने लायक होता है उसी प्रकार जिले में जिला मुख्यालय का विकास एक माडल के रूप में होता है। आज जिला मुख्यालय बने 25 वर्षो का समय व्यतीत हो गया लेकिन यह कहने में कतई संकोच नही है कि यहां का विकास भी जिला मुख्यालय की गरिमानुरूप नही हो पाया। किसी भी जिले के विकास में स्थानीय विधायक और प्रशासनिक प्रमुख कलेक्टर के नेतृत्व में विकास का एक रोडमैप तैयार किया जाता है फिर उसके बाद उसके हिसाब से कार्य कराये जाते हैं। लेकिन इसे दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि आज तक न तो विकास की दिशा में जनप्रतिनिधियों ने ध्यान दिया और न ही किसी प्रशासनिक प्रमुख ने। सभी ने अपना कार्यकाल पूरा किया लेकिन जिला मुख्यालय का विकास वहीं का वहीं रह गया। न अच्छी सड़के, न स्वास्थ्य सुविधाएं न शुद्व पेयजल की व्यवस्था। कहा जाए तो आज भी जिला मुख्यालय विकास की बाट जोह रहा है। स्थानीय व्यापारियों की गंदी सोच भी मुख्यालय का विकास न होने देने में काफी है। आज मुख्यालय में नागरिक चैड़ी सड़को के लिए तरस रहे हैं लेकिन तमाम दावो के बाद भी चैड़ीकरण न होना प्रशासन के ईरादे पर सवालिया निशान खड़ा कर रहा है। यह कहना भी कहीं से गलत नही है कि मुख्यालय के विकास में प्रशासनिक प्रमुखों ने भी कोई विशेष रूचि नही ली। आज जरूरत है कोरिया के अस्तित्व के विषय में एक रणनीति बनाकर काम करने की,जरूरत है विपक्षी दलों को विकास के लिए राजनीति से ऊपर उठकर सोचने की। जरूरत है स्थानीय नागरिक और खासकर युवाओं को अपने हक के लिए आगे आने की और जरूरत है व्यापारियों को गंदी मानसिकता छोड़कर एक मिशाल पेश करने की,तभी कोरिया जिले का विकास हो सकता है अन्यथा वह दिन दूर नही जब कोरिया जिला छत्तीसगढ के नक्शे में मात्र एक जिला के रूप में जाना जाएगा। और कुमार साहब के सपनों का कोरिया ध्वस्त हो जाएगा।


Share

Check Also

सुकमा@जादू-टोना के शक में पूरे परिवार की हत्या,17 आरोपी गिरफ्तार

Share सुकमा,17 सितम्बर 2024 (ए)। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में हेड-कॉन्स्टेबल और उसके परिवार की …

Leave a Reply