रायपुर@बीजेपी एक्शन मोड में तो कांग्रेस पदाधिकारी नदारद

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सरकार पर बीजेपी संगठन कर रहा चरणबद्ध आंदोलन,तपती धूप में चलबो गोठान खोलबो पोल अभियान तेज,कांग्रेस के पदाधिकारी और जिलों के प्रभारी मंत्री कर रहे आरामतलब सियासत,सिर्फ बड़ड़े नेताओं को चेहरा दिखने की होड़

रायपुर,22 मई 2023 (ए)। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के लिए उलटी गिनती शुरू है। चुनावी तारीखों के एलान के लिए चंद माह बचे हैं। ऐसे में चुनावी मोड पर बीजेपी का पूरा तंत्र गंभीरता से जुट गया है। लेकिन इसके उलट कांग्रेस नेता, पदाधिकारी और विधायकों के अलावा जिलों के प्रभार में नामजद मंत्री तक अपने कंफर्ट जोन से नहीं निकल रहे। यूं कहे तो कांग्रेसी नेता बीजेपी की हमलावर सियासत के बदले बयानवीर बन गए हैं। कोयला, शराब और धान खरीद के अलावा श्वष्ठ मामले में बीजेपी ने रणनीति बनाकर कांग्रेस को टारगेट किया।
हाल ही में पीएससी परिणाम पर भी सरकार को घेरती नज़र आई अब गोठान चलबो पोल खोलबो अभियान में बीजेपी संगठन के बड़े नेता, पूर्व मंत्री, सांसद और विधायक तक भरी दोपहरिया निकलकर ष्टरू की महती योजना और प्रदेश की चार चिन्हारी को कटघरे में ला रहे हैं। इसके इतर कांग्रेसी नेता, जिलों के प्रभारी मंत्री, पीसीसी पदाधिकारी बीजेपी की तुलना में वैसी मेहनत नहीं कर रहे जैसे 2017 में एकजुट दिखाई देते थे।
सिर्फ बड़े कार्यक्रम में चेहरा दिखाने की होड़
आमतौर पर सरकार बनते ही आगामी चुनाव के लिए जमीन तैयार करने की बजाये अब कांग्रेस नेता वही गलती सिर्फ साढ़े 4 साल में करने लगे हैं जो बीजेपी की पूर्वर्ती सरकार के लोग किया करते थे। सरकारी कार्यक्रम, मुख्यमंत्री के कार्यक्रम और दिल्ली के बड़े नेताओं के सामने ही चेहरा दिखने की होड़ दिखाई दे रही है। पोस्टर, बैनर और बीजेपी की आक्रामक राजनितिक हमलों को बयान जारी कर इतिश्री समझने वाले पदाधिकारी यह समझ जाएँ कि अगर जीत मिलेगी भी तो सिर्फ सीएम भूपेश बघेल की योजना के अलावा भेंट-मुलाकात से, लेकिन उन्हें जितने के लिए मेहनत के साथ कांग्रेस के समर्पित कार्यकर्ताओं की सुधि भी लेना होगा।
अनदेखी, ईडी और कथित आरोपों से हतोत्साहित
कांग्रेस का प्रेजेंट फेस हैं उनके कट्टर समर्थक और कार्यकर्त्ता जिन्हें उनकी सरकार के आने का अब तक एहसास नहीं हो रहा है। पद, सम्मान और 15 साल तक बीजेपी से जूझते हुए भी कांग्रेस के लिए जिन्होंने समर्पण रखा वो घर बैठ चुके हैं। मंत्री दफ्तर तो दूर अब राजीव भवन में दिन मुक़र्रर होने के बाद भी नहीं बैठ रहे हैं। इसपर ईडी कोल, शराब और धान के कथित आरोपों से भी कार्यकर्ता हतोत्साहित हैं। पीसीसी चीफ मोहन मरकाम भी बीजेपी अरुण साव की तुलना में भाजपा पर राजनितिक हमला करने में पिछड़ रहे हैं।


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