- गौठानों में गौ वंश का नहीं कोई नामो निशान
- समूह की महिलाओं को महिनों से नहीं मिला मेहनताना
- गोबर खरीदी के नाम पर भोले भाले ग्रामीण ठगा महसूस कर रहे
-राजेन्द्र शर्मा –
खड़गवां,22 मई 2023 (घटती-घटना)। कांग्रेस की सरकार जबसे सत्ता में आयी है उसने बेदर्दी से प्रदेष के संसाधनों की लूट की है। रोज प्रकाष मे आते घपले-घोटालों की खबरों से छत्तीसगढ़ शर्मसार हुआ है। मुख्यमंत्री भूपेष बघेल ने छत्तीसगढ़ को कलंकित किया है। सबसे शर्मनाक घोटाला इस सरकार ने गौ माता के नाम पर किया है।
उक्त बातें मनेन्द्रगढ़ विधानसभा के पूर्व विधायक व कोरबा जिला भाजपा के प्रभारी श्याम बिहारी जायसवाल ने गौठानों का दौरा करने के उपरांत चिरमिरी भाजपा कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में पत्रकारों को सबोधित करते हुए कही। जायसवाल ने आगे कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने छत्तीसगढ़ को कलंकित करने वाले इस भ्रष्टाचार के खिलाफ जन-जागरण के लिए एक प्रदेशव्यापी चलबो गोठान-खोलबो पोल अभियान के तहत प्रदेश के 405 मंडलों में 20 मई से 10 गौठानों का दौरा कर वहां ग्रामीणों से मिलकर और उनके यहां के गौठानों में जाकर जमीनी हाल पता करने गौठान के गोठ के माध्यम से फीडबैंक फार्म जनता का पंचनामा तैयार किया है। भाजपा के प्रतिनिधि मंडल के द्वारा खड़गवां जनपद क्षेत्र के 10 गौठानों का दो दिनों में दौरा किया। जिसमें खड़गवां जनपद क्षेत्र के ग्राम पंचायत देवाडांड, पैनारी, कोड़ा, बेलबहरा, रतनपुर, सिंघत, दुग्गी, ठग्गांव, खड़गवां, सैंदा में जाकर गौठानों की स्थिति व वहां गौ वंशो के लिए की गई व्यवस्था का जायजा लिया। हम सभी भूपेश बघेल के गौठान देख चुके है। आप सब भी मौके पर जाकर देख सकते है कि गौठान के नाम पर किस तरह से गोरखधंधा किया जा रहा है। जहां मौके पर कोई भी पशु नहीं देखने को मिला साथ ही गौठानों की स्थिति काफी दयनीय है। कथित नरवा, गरवा, घुरवा, बारी के नाम पर कांग्रेस सरकार ने वोट हासिल किया। छत्तीसगढि़यों की भावना से खिलवाड़ किया और इस मद में भी अभी तक सामने आए तथ्यों के अनुसार गोठान के नाम पर विभिन्न मदों से खर्च की गयी 1300 करोड़ से अधिक की राशि का दुरूपयोग कर इसमें भारी घोटाला किया गया है। गौठान के नाम पर चल रहे गोरखधंधे में कांग्रेस सरकार ने सबसे अधिक पंचायतों/सरपंचों के हक पर ही डाका डाला है। विभिन्न मदों में पंचायतों के विकास के लिए आयी राशि को सरपंचों से छीनकर सीधे उसे अनेक बहानों के साथ बंदरबांट कर लिया गया है। सरकारी दावे के अनुसार ही बात करें तो प्रदेश में कथित तौर पर 9790 गौठान कार्यरत है। शोभा के लिए बने कथित आदर्श गौठानों को छोड दोतों कहीं भी कोई व्यवस्था नहीं है। भूपेश जी कहते है कि प्रत्येक गौठान में लगभग 8 लाख से 19 लाख रूपए खर्च किया गया है। इसके अलावा 10 हजार रूपए प्रतिमाह रखरखाव के नाम पर अलग से गौठानों के नाम पर भेजा जा रहा है। उसका अधिकांश भाग भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है। घोटाले बिना रोक टोक के जारी रहे इसलिए निम्नानुसार गौठान समिति का चुनाव भी नहीं कराया गया है। बड़ी संख्या में इसमें सत्ता के करीबियों ने बिना चुनाव के ही कब्जा जमाया हुआ है। भारत सरकार ने मनरेगा स्वच्छ भारत मिषन 14वां 15वां वित्त एलडब्ल्यूजी रूर्बन डीएमएफ जैसे मदों मे राशि भेजी है। उन पैसों की भी डायर्वट कर गौठान के नाम पर भारी भ्रष्टाचार किया गया। विकास कार्यों के लिए आय तमाम पैसों को डायवर्ट कर देने के कारण पंचायतों में पैसे ही नहीं बचे। सभी जगह विकास के तमाम कार्य ठप्प है, गांवों में रोड नालियांे का निर्माण पूरी तरह से बंद है। प्रत्येक गौठान में 300 गौ वंश रखने का नियम कागजों में बना हुआ है लेकिन एक भी गौठान में गौ वंश नजर नहीं आ रहे है। इसी तरह गोबर खरीदी के नाम पर प्रतिमाह करोड़ो का भुगतान कांग्रेस सरकार द्वारा निरंतर किया जा रहा है, लेकिन वह राशि कहां जा रही है इसकी जानकारी किसी को नहीं है। इस खरीदी के नाम पर ऐसे ऐसे लोगों के नाम पर भुगतान किया गया है जो संबंधित संस्थाओं पर रहते भी नहीं है, भाजपा ने इसकी शिकायत कई स्तर पर निरंतर किया है। सदन में सरकार ने बताया कि गौठान निर्माण पर अभी तक 1019 करोड़ रूपए, वर्मी कंपोस्ट के लिए टंकी बनाने के नाम पर 233 करोड़ रूपए खर्च किए गए है। इसके साथ ही 23 फरवरी तक 105 करोड़ खर्च करने की बात सरकार द्वारा कहा गया था। इनमें से अधिकांश पैसे तो केवल कागजों पर ही खर्च किए गए नजर आ रहे है। कैसा गौठान बना है यह आप स्वयं मौके पर जाकर सत्यापित कर सकते है। 2 रूपए प्रति किलो में आमजनों से गोबर खरीदा गया और वर्मी कंपोस्ट के नाम पर कंकड पत्थर मिलाकर वहीं गोबर किसानों को जबरन बेचा गया। प्रदेश में कुल 1976 ऐसे लोग है जिनके नाम पर एक लाख रूपए से अधिक गोबर के मद में भुगतान किया गया है। 174 करोड़ से अधिक गोबर खरीदी मद में दिये गये और सरकार का अनेक बार कहना हुआ कि गोबर सारा बह गया या खराब हो गया, जाहिर है ऐसी लगभग सारी खरीदी कागजों पर हुई है। साथ ही इसका पेमेंट सोसाईटियों से जबरन करा दिया गया। अनेक जगह गौठानों को नियम विरूद्ध जंगलो में बनाना बताया गया। इसी तरह रोका छेका के नाम पर प्रोपोगेंडा किया गया, लेकिन न तो मवेशियों के लिए न खाने पीने का इंतेजाम हुआ न ही उनके लिए किसी शेड का इंतजाम हुआ। हजारों गायों की मौत सड़क दुर्घटना में या तो भूख से हो गई।