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एमसीबी@एमसीबी के पहले कलेक्टर चला करते थे काली फिल्म लगी गाड़ी में,नए कलेक्टर ने खबर से लिया संज्ञान बदली अपनी गाड़ी

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  • मामला एमसीबी जिला कलेक्टर से जुड़ी हुई,पहले अधिकृत गाड़ी में लगा था काला फिल्म
  • एमसीबी के पहले कलेक्टर नियम का ध्यान नहीं रखते थे तो फिर जिले के लोग कैसे रखेंगे?
  • क्या कलेक्टर साहब को नियम पता नहीं या फिर साहब कायदे कानून से ऊपर है.. इसी वजह से उनकी कार का शीशा काला था?

रवि सिंह –
एमसीबी,22 मई 2023 (घटती-घटना)। 11साल पूर्व 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी राज्यों के पुलिस महानिदेशकों तथा पुलिस कमिश्नर को निर्देश जारी कर केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम 1989 के तहत नियम 100 के अनुसार सभी तरह के वाहनों के विंड स्क्रीन व खिड़कियों के शीशों पर लगी काली फिल्मों को हटाने और भविष्य में किसी भी वाहन के शीशों पर इस तरह की फिल्म नहीं लगे इसकी रोकथाम के लिए आदेश दिया थे,ऐसा नहीं करने की शिकायत मिलने पर सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी अथवा पुलिस कमिश्नर के खिलाफ अवमानना कानून 1971 के तहत कार्यवाही शुरू करने की चेतावनी भी दी थी,जिस समय यह आदेश आया था उस समय इस आदेश का पालन कराने के लिए सारे लोग लगे हुए थे उस समय बड़ी कड़ाई से इसकी जांच हुआ करती थी और जैसे जैसे समय बीतता गया इस ओर ध्यान देना बंद कर दिया गया यही वजह है की आज भी कई पैसे वाले लोग राजनीतिक रसूख रखने वाले लोग अपनी गाड़ी में ब्लैक फिल्म लगाकर चलते हैं और उन्हे इन ब्लैक फिल्मों की वजह से कोई देख भी नहीं पाता है। नेताओं के मामले में लोग ब्लैक फिल्म की वजह से यह भी नहीं जान पाते की उनका नेता किस गाड़ी में बैठा है जिसे उन्होंने बहुमूल्य अपना मत देकर जिताया है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार हमारे देश में कोई भी व्यक्ति अपनी गाड़ी पर शीशों पर ब्लैक फिल्म नहीं लगा सकता लेकिन गाहे बगाहै ऐसी तस्वीर सामने आ जाती है जो कानून को ही चुनौती देती नजर आती है और जिसे देखकर लगता है की कानून सभी के लिए एक नहीं है और आम और खास के लिए अलग अलग इसकी परिभाषा है। ताजा मामला एमसीबी जिले का जहां कलेक्टर की गाड़ी में काली फिल्म का मामला समाने आया था और जब यह बात सार्वजनिक हुई कलेक्टर ने गाड़ी ही बदल दी और अब नए वाहन में वह नजर आने लगे हैं। बताया जा रहा है की जिले के कलेक्टर के लिए अधिकृत वाहन में पूर्व से ही काला फिल्म शीशों पर लगा हुआ था और उसी काली फिल्म लगी गाड़ी में पुराने कलेक्टर चला करते थे वहीं जब यह बात खबरों में आई नए कलेक्टर ने मामले में संज्ञान लिया और वाहन ही उन्होंने बदल डाला।
काला शिशा वाहनों में इसलिए हुआ था बैन
काला शिशा लगे वाहन के अंदर कौन बैठा है अपराधी है या वीआईपी इसका पता न तो पुलिस को चल पाता है और न आम लोगों को। काला शिशा लगा वाहन अक्सर अपराधिक गतिविधियों के लिए उपयोग होता आया है,ऐसे ही वाहनों से हत्या और अपहरण जैसे वारदातों को अंजाम दिया जाता रहा है ,अपराधिक चरित्र वाले लोग अपनी पहचान छिपाने के लिए ऐसे वाहनों का उपयोग करते रहे हैं इसीलिए काले शीशों को वाहनों में बैन किया गया है।
क्या है नियम
केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम 1989 के नियम 100 के तहत वाहनों की खिड़कियों के शीशे काले रंगीन नहीं होने चाहिए इस नियम के अनुसार वाहनों की खिड़कियों के साइड विंडो के शीशे 50 प्रतिशत और आगे पीछे के शीशे 70प्रतिशत पारदर्शी होने चाहिए। केंद्रीय मोटरवाहन नियमावली 1989 के नियम (2) के तहत वाहनों में लगे काले शीशे को हटाने का प्रावधान है। मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 177 और 179 के तहत काला शिशा लगाने वाले वाहन मालिकों के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही का प्रावधान है।ऐसे में किसी की भी गाड़ी में काले शीशे होना गलत है अपराध है।
एमसीबी कलेक्टर ने बदली काली शीशे वाली गाड़ी,क्या अन्य रसूखदार साथ ही नेता निकलवाएंगे अपनी गाड़ी से ब्लैक फिल्म
कलेक्टर एमसीबी ने जैसे ही उन्हे पता चला की उनकी गाड़ी में काला शिशा लगा हुआ है उन्होंने गाड़ी बदल दी और उन्होंने कानून का पूरा सम्मान किया वहीं आज भी कई ऐसे रसूखदार और नेता हैं जिनकी गाडि़यों में काला शिशा लगा हुआ है और वह धड़ल्ले से कहीं भी उन्ही गाडि़यों से आ जा रहें हैं और कानून को खुली चुनौती दे रहे हैं। क्या कलेक्टर एमसीबी की ही तरह ऐसे रसूखदार साथ ही नेता भी अपनी गाडि़यों से ब्लैक फिल्म निकलवाकर कानून का सम्मान करेंगे और नियमो का पालन करते हुए दिखेंगे यह बड़ा सवाल है।
क्या पुलिस काली फिल्म लगी गाडि़यों पर करेगी कार्यवाही?
आज भी अविभाजित कोरिया जिल में कई ऐसी रसूखदार हैं नेता हैं जिनकी गाडि़यों पर काला शिशा लगा हुआ है और वह आराम से कहीं भी जा आ रहें हैं। ऐसे लोगों को पुलिस भी रोकने टोकने का काम नही कर रही है और ऐसी गाडि़यों की संख्या भी देखा देखी बढ़ती जा रही है। अब सवाल यह है की क्या पुलिस ऐसे वाहनों पर कार्यवाही करेगी या रसूखदार नेताओं के मामले में वह मौन बनकर कानून का मजाक बनने देगी।


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