सूरजपुर@अतिक्रमण का सिलसिला प्रशासन की परेशानी का सबब

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राजस्व महकमे के कथित भ्रष्ट अधिकारियों व कर्मचारियों की साठगांठ से बड़े पैमाने पर शासकीय भूमि पर अतिक्रमण
अतिक्रमण कर बड़ी बड़ी इमारते खड़ी कर लिए जाने के साथ ही लगातार जारी अतिक्रमण का सिलसिला

  • ओंकार पांण्डेय-
    सूरजपुर, 21 मई 2023 (घटती-घटना)।
    जिला मुख्यालय और उससे सटे ग्रामों की सैंकड़ो एकड़ शासकीय भूमि पर अतिक्रमण कर बड़ी बड़ी इमारते खड़ी कर लिए जाने के साथ ही लगातार जारी अतिक्रमण का सिलसिला प्रशासन की परेशानी का सबब बन गया हैं। राजस्व महकमे के कथित भ्रष्ट अधिकारियों व कर्मचारियों की साठगांठ से बड़े पैमाने पर शासकीय भूमि पर अतिक्रमण कर लिए जाने के कारण पर्याप्त भूमि के अभाव में अनेक शासकीय भवनों का निर्माण नही हो पा रहा है। प्रशासन भी प्रभावशाली अतिक्रमणकारियों पर बेदखली की कार्यवाही कर पाने में बेबस नजर आ रहा है। यही वजह है कि भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान अतिक्रमण के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने को लेकर मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए निर्देश के बावजूद प्रशासनिक चुप्पी सवालो के घेरे में है।
    बता दे कि जिला मुख्यालय के नगर पालिका क्षेत्र समेत शहर से सटे ग्राम तिलसिवां की शासकीय भूमि पूरी तरह अतिक्रमण की चपेट में है। सैंकड़ो एकड़ शासकीय भूमि पर राजनीतिक संरक्षण प्राप्त एवं प्रभावशाली भू माफियाओं द्वारा अतिक्रमण कर शासकीय भूमि की खरीद फरोख्त करने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। इतना ही नहीं शासकीय भूमि पर अवैध प्लाटिंग कर बेख़ौफ़ शासकीय भूमि की खरीद बिक्री तक कि जा रही है। राजस्व महकमे की कथित साठगांठ से निजी भूमि पर भी बिना डायवर्शन के कालोनाईजर एक्ट का उल्लंघन कर अवैध प्लाटिंग कर खरीद बिक्री की जा रही है। जिला मुख्यालय में प्रशासनिक जानकारी में अवैध प्लाटिंग बेरोकटोक जारी है। जिससे राज्य शासन को राजस्व की भारी क्षति हो रही है। शहर के जेल पारा से लेकर तुरिया पारा, हाईटेक बस स्टैंड के पास, न्यू सर्किट हाउस के सामने, कृषि मंडी रोड से लेकर जिला संयुक्त कार्यालय से सटे ग्राम तिलसिवां की शासकीय भूमि पूरी तरह अतिक्रमण की चपेट में है। चारो तरफ शासकीय भूमि पर अतिक्रमण निर्बाध गति से जारी है।
    मई 2022 में जिला प्रशासन के निर्देश पर राजस्व अमले द्वारा किए गए सर्वे में शहर के केवल जेल पारा वार्ड क्रमांक दस में 395 अतिक्रमणकारियों द्वारा शासकीय भूमि पर अतिक्रमण कर अवैध निर्माण करने की पुष्टि हुई थी। सर्वे में हुई पुष्टि के आधार पर जिला प्रशासन ने अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी करने का अभी दावा किया था, किंतु आज पर्यंत प्रशासनिक महकमा शासकीय भूमि को अतिक्रमण मुक्त करा पाने में पूरी तरह नाकाम साबित रहा है। प्रभावशाली अतिक्रमणकारियों का अतिक्रमण हटाने में प्रशासन पूरी तरह बेबस नजर आ रहा है। इतना ही नही राजस्व विभाग द्वारा समय समय पर अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी तो की जाती है। अनेक मामलो में बेदखली आदेश भी जारी होता है, लेकिन बेदखली कार्यवाही सिर्फ कमजोर अतिक्रमणकारियों पर की जाती है। जिससे आक्रोश की स्थिति भी निर्मित होती है।
    कमजोर का हटाया जाता है अतिक्रमण…आरोप
    राजस्व अमले द्वारा समय-समय पर अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की जा रही है, लेकिन राजस्व अमले द्वारा प्रभावशाली अतिक्रमणकारियों का अतिक्रमण हटाने की वजह कमजोर लोगों का अतिक्रमण हटाए जाने पर प्रशासनिक कार्यवाही पर पक्षपात करने का आरोप लगता रहता है।
    बेदखली की कार्यवाही से परेशान अतिक्रमणकारियों का आरोप है कि जिला मुख्यालय समय आसपास की शासकीय भूमि पर प्रभावशाली लोगों समेत काफी संख्या में शासकीय कर्मचारियों ने व्यापक पैमाने पर अतिक्रमण कर अवैध निर्माण कर रखा है। इसकी जानकारी राजस्व अमले को भी है, लेकिन उन पर बेदखली की कार्यवाही करने के बजाए वाहवाही लूटने के लिए राजस्व महकमे द्वारा कमजोर अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध बेदखली की कार्यवाही की जाती है। उन्होंने मांग की है कि बिना पक्षपात किए अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जानी चाहिए।
    बीते बुधवार को ही तिलसिवां सरपंच कामेश्वर सिंह के नेतृत्व में पंचायत प्रतिनिधियों व ग्रामीणों ने अतिक्रमण हटाने की मांग को लेकर कलेक्टर कार्यालय में धरना प्रदर्शन करते हुए प्रशासन को अल्टीमेटम दे दिया कि दो दिन में अतिक्रमण नही हटाये जाने पर पंचायत प्रतिनिधि सामूहिक इस्तीफा देकर आगामी चुनाव का बहिष्कार करेंगे।

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