जी-20 समिट से पहले एनआईए का बड़ा एक्शन,घाटी में जैश के आतंकी को किया गिरफ्तार
आईएसआई की मदद से आतंकियों ने बनाया था प्लान
नई दिल्ली,21 मई,2023 (ए)। जी20 टूरिज्म वर्किंग ग्रूप सम्मेलन के कार्यक्रम में लास्ट मोमेंट पर जम्मू-कश्मीर सुरक्षा बलों ने बडा बदलाव किया है। बताया जा रहा है कि यह बदलाव सुरक्षा कारणों से किया गया है। दरअसल, संदेह था कि आतंकवादी संगठनों ने गुलमर्ग में त्र20 के दौरान 26/11 जैसे हमले को दोहराने की साजिश रची थी। सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर हैं।
पॉश होटल में काम करने वाले हिरासत में लिए गए ओवर-ग्राउंड वर्कर के खुलासे के बाद बदलाव किया गया है। जी-20 आयोजन स्थल के आसपास भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है। इस बीच कश्मीर पुलिस ने घाटी में त्र20 बैठक के बारे में अफवाहें फैलाने के लिए कथित रूप से इस्तेमाल किए जा रहे संदिग्ध अंतरराष्ट्रीय मोबाइल नंबरों के खिलाफ एक सार्वजनिक सलाह जारी की गई है।
अप्रैल में हुआ था फारूक अहमद वानी गिरफ्तार
आपको बता दें कि सुरक्षा बलों ने अप्रैल के लास्ट वीक में फारूक अहमद वानी को जी-20 से पहले कार्रवाई के तहत गिरफ्तार किया था। बारामूला के हैगाम सोपोर निवासी वानी गुलमर्ग के एक मशहूर फाइव स्टार होटल में ड्राइवर के तौर पर सेवाएं देता था। सूत्रों के मुताबिक, वह ओजीडब्ल्यू के तौर पर आतंकी संगठनों से जुड़ा था और सीमा पार आईएसआई के अधिकारियों के सीधे संपर्क में भी था।
पूछताछ के दौरान, वानी ने खुलासा किया कि आतंकवादियों का उद्देश्य होटल में घुसना और विदेशी गणमान्य लोगों सहित वहां मौजूद लोगों को निशाना बनाना था, ठीक उसी तरह जैसे आतंकवादियों ने मुंबई हमले के दौरान ताज होटल में गोलियां चलाईं और बंधक बनाए।
ओजीडब्ल्यू ऐसे लोग आतंकवादियों को रसद सहायता, कैश, आश्रय और अन्य बुनियादी ढांचे के साथ मदद करते हैं, जिसके साथ सशस्त्र समूह और जम्मू-कश्मीर में हिज्ब-उल मुजाहिदीन और जैश-ए-मोहम्मद जैसे उग्रवादी आंदोलन संचालित हो सकते हैं।
आपत्तिजनक दस्तावेज भी बरामद किए
यह मामला एनआईए द्वारा 21 जून 2022 को स्वत: संज्ञान में दर्ज किया गया था। यह पाकिस्तान में स्थित अपने कमांडरों के साथ मिलकर विभिन्न अभियुक्त आतंकवादी संगठनों के कैडरों और ओवर ग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) द्वारा रची गई साजिशों से संबंधित है। इसमें नशीले पदार्थों, नकदी, हथियारों, इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइसेस (आईईडी), जिसमें रिमोट कंट्रोल से चलने वाले स्टिकी बम/चुंबकीय बम शामिल हैं, की विशाल खेपों का भंडारण और वितरण शामिल है।
एनआईए की जांच के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के लिए आईईडी और विस्फोटक अक्सर ड्रोन से वितरित किए जा रहे हैं और स्थानीय स्तर पर भी इकट्ठा किए जा रहे हैं। हमलों में मुख्य रूप से अल्पसंख्यकों और सुरक्षा बलों के जवानों को निशाना बनाया जाता है।शांति और सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने, आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने और भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के व्यापक उद्देश्य के साथ एन्कि्रप्टेड सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हुए भौतिक और साइबर स्पेस दोनों जगहों पर साजिश रची जा रही है।
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