अंबिकापुर,@हसदेव अरण्य की कोयला खदानें निरस्तकरने की मांग पर आदिवासी पुनःलामबंद

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  • आबंटित सभी कोयला खदानों को निरस्त करने की मांग के साथ आदिवासी समुदाय पुनःसड़कों पर उतरा
  • दोषी प्रशासनिक अधिकारियों एवं अडानी कंपनी के कर्मचारियों पर कार्यवाही की मांग
  • जांच आदेशित होने के बावजूद बिना किसी जांच के वन स्वीकृति का अंतिम आदेश राज्य सरकार ने किया जारी

अंबिकापुर,17 मई 2023 (घटती-घटना)।हसदेव अरण्य में जल-जंगल-जमीन बचाने चल रहे अनिश्चितकालीन आंदोलन को 440 दिन पूरे हो चुके है। आज हसदेव अरण्य में आबंटित सभी कोयला खदानों को निरस्त करने की मांग के साथ आदिवासी समुदाय पुनः सड़कों पर उतरा और हरिहरपुर धरना स्थल से साल्ही मोड़ तक रैली निकाली।
पिछले एक दशक से 1700 वर्ग किलोमीटर में फैले इस जंगल को कोयला खदान जे उजड़ने से बचाने यहां की ग्राम सभाऐं पांचवी अनुसूची के तहत अपने संविधानिक अधिकारो की रक्षा में सतत संघर्ष कर रही है।
हसदेव की ग्राम सभाओं के सतत विरोध के बावजूद पिछले वर्ष यहां नई परसा कोयला खदान और मौजूदा परसा ईस्ट केते बासन खदान को राज्य सरकार द्वारा जारी अंतिम वन स्वीकृति जारी कर दी।
प्रभावित ग्रामीणों ने लगातार वन स्वीकृति के लिए हुई फर्जी ग्राम सभा का विरोध किया और दोषी प्रशासनिक अधिकारियों एवं अडानी कंपनी के कर्मचारियों पर कार्यवाही की मांग की। अक्टूबर 2021 में मदनपुर से रायपुर तक 300 कि. मी. पदयात्रा कर फर्जी ग्राम सभा पर जांच की मांग और बिना ग्राम सभा के हुए भूमि अधिग्रहण पर संज्ञान लेने राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा जिस पर राज्यपाल द्वारा जांच के आदेश भी जारी किए गए।
जांच आदेशित होने के बावजूद बिना किसी जांच के वन स्वीकृति का अंतिम आदेश राज्य सरकार ने जारी किया। भारतीय वन्यजीव संस्थान की हसदेव अरण्य पर रिपोर्ट जारी हुई जिस पर हसदेव पर खनन से होने वाले पर्यावरणीय औए वन्यजीवों पर होने वाले दुष्प्रभाव स्पष्ट रूप से लिखे गए है और इसलिए यहाँ खनन की अनुमति न दी जाने की बात भी लिखी है। विधान सभा मे सर्व सम्मति से हसदेव अरण्य की कोयला खदाने निरस्त करने अशासकीय संकल्प भी पारित किया गया।
मार्च 2023 की विधान सभा सत्र की प्रश्नोारी से यह स्पष्ट हो गया कि राज्यपाल के आदेश और मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद भी फर्जी ग्राम सभा की कोई जांच नहीं हुई बल्कि हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के ज्ञापन पर 2018 में एक बार इसकी जांच की गई उसके बाद कोई जाँच नहीं हुई। जांच में भी जिन सचिवों ने फर्जी प्रस्ताव लिखे है उनसे ही बयान लेकर जांच रिपोर्ट बनाई गई लेकिन इसमें ग्राम सभा से कोई चर्चा ही नहीं हुई या गांव के लोगों से कोई बयान नहीं लिया गया।
हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक उमेश्वर आर्मो जी ने कहा कि क्या कारण है कि राज्यपाल के आदेश के बावजूद सरकार फर्जी ग्राम सभा की जांच से बच रही है? राज्य सरकार को तय करना होगा कि वे आदिवासियों के प्रति जवाबदेह है या अडानी के प्रति?
हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के मुनेश्वर पोर्ते ने कहा कि सरकार जब तक परसा खदान की अंतिम वैन स्वीकृति निरस्त नहीं करती आंदोलन ऐसे ही सतत जारी रहेगा और पुनः तीव्र होगा। इस बार हसदेव के आंदोलन का प्रभाव विधान सभा चुनावों में भी पड़ेगा।


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