बैकुण्ठपुर@कौन सी जरूरत आन पड़ी कि रातों-रात जिला अस्पतालकैंटीन व वाहन स्टैंड का जिम्मा दूसरे को सौंप दिया?

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  • कैंटीन व वाहन स्टैंड विधायक के चहेतों को चुपचाप देने का आरोप
  • जिला अस्पताल में नियमों को ताक पर रखकर दे दिया गया टेंडर
  • पुरानें समूह का 8-10 लाख बकाया फिर भी अचानक दूसरे समूह के नाम हुआ कैंटीन
  • कलेक्टर जीवनदीप समिति के अध्यक्ष उसके बावजूद निकाल दिया दबी में निविदा
  • जिला चिकित्सालय प्रबंधन की लापरवाही हुई उजागर अब जांच की आ रही बात सामने
  • एल्डरमैन व अस्पताल के विधायक प्रतिनिधि को मिला कैंटीन व स्टैंड

रवि सिंह –
बैकुण्ठपुर 13 मई 2023 (घटती-घटना)। कोरिया जिले में बैकुंठपुर विधायक व संसदीय सचिव के समर्थक साा का नंगा नाच कर रहे हैं, किसी भी कार्य में हस्तक्षेप, चाहे थाना पुलिस अस्पताल व निर्माण कार्यो में इनका सीधा प्रभाव देखा जा रहा है, खुद को सत्ता का करीबी और विधायक का खास बताने वाले ऐसे लोगों के कारण जिला मुख्यालय में राजनीतिक फिजा भी खराब हो चुकी है, नगरपालिका से लेकर जिला अस्पताल तक में कांग्रेसी गुंडागर्दी और मनमानी दादागिरी पर ऊतारू हैं, प्रशासन की स्थिति ऐसी है कि इनके सामने वह भी नतमस्तक नजर आ रहा है, अब एक नया मामला जिला अस्पताल का सामने आ रहा है जिसमें अस्पताल अधीक्षक की लाचारी के कारण यहां भी कांग्रेसी सत्ता का धौंस दिखा रहे हैं, जिला मुख्यालय के इस अस्पताल में पूर्व में एक कांग्रेसी द्वारा स्टाफ के साथ मारपीटी की घटना की जा चुकी है और अब इस नये खेल में जिला अस्पताल कैंपस में संचालित वाहन स्टैंड व कैंटीन का काम विधायक के चहेते नगरपालिका परिषद के एल्डरमैन व उनके खास सिपहसालार को फर्जी तरीके से देने की बात सामने आ रही है, जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भी इस जानकारी से अनभिज्ञ हैं, अस्पताल अधीक्षक से लेकर अन्य स्टाफ की भूमिका भी इसमें संदिग्ध नजर आ रही है। जनता में प्रशासन के प्रति विश्वास बना रहे इसलिए जिले के मुखिया और जीवनदीप समिति के अध्यक्ष को इस मामले पर तत्काल संज्ञान लेकर कार्यवाही की आवश्यकता है।
कैंटीन संचालक को हटाने के बाद हुआ मामले का खुलासा
इस बारे में प्राप्त जानकारी के तहत जिला अस्पताल के कैंपस मे मां लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह खुटहनपारा के द्वारा कैंटीन का संचालन किया जा रहा था अचानक तीन दिनों पूर्व उसे हटने को कहा गया जिसके बाद पता चला कि इसका चुपचाप टेंडर निकालकर किसी अन्य व्यक्ति को दे दिया गया है, जबकि उस समूह को लगभग 10 लाख रूपये का भुगतान जिला अस्पताल से लेना है। गुपचुप तरीके से निविदा निकालकर एक एल्डरमैन जो कि विधायक के चहेते हैं उन्हे दिये जाने की चर्चा ने जोर पकड़ लिया है। बतलाया जाता है कि सेटिंग करके कैंटीन व पार्किंग का टेंडर ऐसे अखबार में निकलवाया गया है जिस अखबार का वितरण शहर में नही होता और ऐसा सिर्फ इसलिए कि वह काम विधायक के चहेते को ही दिया जा सके। ज्ञात हो कि जिला अस्पताल में मरीजो की सेवा करने को झूठा दंभ एक चर्चित व्यक्ति द्वारा भरा जाता है जो कि दिन भर विधायक के इर्द गिर्द दिखलाई देता है और इसके इशारे पर ही इस षडयंत्र को अंजाम दिया गया है। मामले की शिकायत समूह द्वारा कलेक्टर व जीवनदीप समिति के अध्यक्ष से की गई है देखने वाली बात होगी कि हर बार की तरह यह मामला भी विधायक के दबाव के बाद शांत हो जाएगा या फिर प्रशासन द्वारा किसी प्रकार की कार्यवाही की जाएगी।
पार्किंग का काम भी विधायक के खास को मिला
सूत्रों ने बतलाया कि जिस प्रकार कैंटीन का काम विधायक के खास एक एल्डरमैन को दिया गया है उसी प्रकार पार्किंग का काम भी विधायक के खास ऐसे व्यक्ति को दिया गया है जो कि इन दिनों विधायक के स्टाफ के रूप में कार्यरत है,हलांकि कागजो में दूसरे का नाम है पर वह सिर्फ दिखावा है। सूत्रो ने बतलाया कि पार्किंग का काम जिसे दिया गया है वह आए दिन अस्पताल में ईलाज के नाम विधायक का गुणगान करते फिरता है, और उसी आड़ में सेटिंग करके पार्किंग का काम लिया गया है। जिला अस्पताल के स्टाफ भी विधायक के इस स्टाफ से परेशान हैं लेकिन विधायक का दबाव होने के कारण कुछ बोलना जरूरी नही समझते।
निविदा प्रकिया की निष्पक्षता पर सवाल
जिला अस्पताल कैंपस में पार्किंग व कैंटीन के लिए जिस प्रकार गुपचुप तरीके से निविदा निकालकर चहेतो को काम दे दिया गया है उससे सवाल उठना भी लाजमी है। सवाल यह उठ रहा है कि क्या सत्तापक्ष और विधायक का करीबी होना ही निविदा प्राप्त करने की योग्यता है। जिस प्रकार से सारे नियम कायदों को ताक पर रखकर विधायक के चहेतो का काम दिया गया है उससे लगता है विधायक के करीबियों को जिला अस्पताल प्रबंधन ने एक तरह से तोहफा प्रदान कर दिया है,और इस वजह से निविदा प्रक्रिया में पारदर्शिता नही अपनाई गई बल्कि सारे नियम कायदों को विधायक के करीबियों के आगे समर्पण कर दिया गया।
चुनाव पूर्व ऐसे कृत्य से कैसे बढेगा जनाधार
जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आता जा रहा है वैसे-वैसे विधायक के आसपास दिखलाई देने वाले कार्यकर्ता कुछ ज्यादा ही अति मचाते हुए नजर आ रहे हैं नगरपालिका परिषद बैकुंठपुर में होने वाले किसी भी काम में जिस प्रकार नगरपालिका उपाध्यक्ष के सहयोग से कांग्रेसी कार्यकर्ता हर काम मे हस्तक्षेप करते हुए दिखलाई देते हैं अब उसी प्रकार जिला अस्पताल को भी कमाई का जरिया बना लिया गया है। जानकारो का कहना है चुनाव के पूर्व इस प्रकार से माहौल तैयार किया जा रहा है जिससे कि जनाधार बढने की बजाए घटेगा ही। सूत्रों ने बतलाया कि इन दिनों शासकीय कार्यालयों मे विधायक समर्थक इस कदर हावी हैं कि कोई भी काम उनकी मर्जी के बिना संभव नही है। छोटे छोटे कार्यो के लिए भी विधायक समर्थक किसी दूसरे फर्म के माध्यम से काम को अंजाम दे रहे हैं,पूर्व में जब कोविड लैब सेंटर का काम चल रहा था उस दौरान भी विधायक के ही करीबी के माध्यम से सारा काम कराया गया था,और उसका भुगतान भी भ्रष्टाचार कर मिलीभगत से तात्कालिक सीएमएचओ के द्वारा करा दिया गया था। कोरोना काल में भी विधायक समर्थकों ने अस्पताल के माध्यम से मोटी कमाई की है जिसकी चर्चा समय समय पर सुनने को मिलती है। जिस तरह से विधायक के करीबियों को जिला चिकित्सालय प्रबंधन ने नियमों को ताक पर रखकर कैंटीन और वाहन स्टेंड की जिम्मेदारी सौंपी है उससे एक बात तो साफ हो गई है की इसके लिए प्रबंधन के ऊपर दबाव था, अब क्या इसी तरह चुनाव समीप आते आते विधायक अपने लोगों को नियमो को ताक पर रखकर काम दिलवाएंगी और अपना जनाधार बढ़ाएंगी। वैसे यह पूरा मामला जनाधार बढ़ाने के मामले से जोड़कर माना भी जा रहा है जिससे विधायक से नाराज चल रहे लोगों को कहीं न कहीं काम दिलाया जाए और उन्हे संतुष्ट किया जाय।
विधायक के निज सहायक का अहम रोल
जिला मुख्यालय के शासकीय विभागों के प्रत्येक कार्यों में विधायक समर्थकों का हस्तक्षेप दिखलाई देता है उसमें विधायक के निज सहायक की भूमिका प्रमुख बतलाई जाती है। सूत्रों ने बतलाया कि निज सहायक के हिसाब से ही अब कार्यालयों में भी स्टाफ की पदस्थापना हो रही है। निज सहायक द्वारा विधायक के नाम से अधिकारियों पर दबाव बनाया जाता है। राजस्व विभाग में पटवारियों की पदस्थापना में भी निज सहायक की भूमिका बतलाई जाती है,लोगो का कहना है कि विधायक को निज सहायक द्वारा अपने विश्वास मे ले लिया गया है और ऐसे ऐसे कृत्य किये जा रहे हैं जिसकी भनक विधायक को भी नही होती। एक संगठित गिरोह की तरह सिर्फ और सिर्फ आर्थिक लाभ लेने की दिशा में काम किया जा रहा है,जिला मुख्यालय में जमीन दलालों को भी निज सहायक का समर्थन होने की बात कही जा रही है। बहरहाल पूरे मामले में प्रशासन से लेकर विधायक की भी जमकर किरकिरी हो रही है।
क्या विधायक का करीबी व सत्ता पक्ष का मात्र होने से सारे नियम हो जाते हैं शिथिल?
जिस तरह कैंटीन साथ ही स्टेंड का कार्य नए समूहों को जो की विधायक के करीबियों का समूह है को दिया गया उससे यह सवाल जरूर खड़ा होता है की क्या सत्ता पक्ष का होना साथ ही विधायक का करीबी होना ही किसी कार्य को प्राप्त करने के लिए काफी है। जिस तरह मामले में एकतरफा निर्णय लिया गया उससे तो यही जाहिर हो रहा है की विधायक के करीबियों को जिला चिकित्सालय प्रबंधन ने एक तरह से तोहफा प्रदान कर दिया है और जिसके लिए पारदर्शिता भी नहीं अपनाई गई निविदा में।
मरीजों की सेवा के नाम पर विधायक प्रतिनिधि ने हथियाया जिला चिकित्सालय में कैंटीन का कार्य
मरीजों की सेवा के नाम पर जिस विधायक प्रतिनिधि को विधायक की तरफ से जिला चिकित्सालय में जिम्मेदारी मिली हुई थी वह धीरे धीरे जिला चिकित्सालय में विभिन्न कार्यों को हथियाने में लगा हुआ है यह शायद ही कोई जानता था। सेवा दिखावा मात्र था मुख्य उद्देश्य कैंटीन हथियाना था यह नई निविदा के बाद स्पष्ट हो गया। बताया जा रहा है की मरीजों की मदद के नाम पर विधायक ने जिसे जिला चिकित्सालय में जिम्मेदारी दी हुई थी उसी के करीबियों को कैंटीन का काम मिला है। कुल मिलाकर सेवा दिखावा मात्र था मुख्य उद्देश्य कैंटीन हथियाना था।


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