रायपुर@पीएमएलए को चुनौती देने वाली छत्तीसगढ़ सरकार की याचिका सुप्रीम कोर्ट में स्थगित

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रायपुर ,10 मई 2023 (ए)।
छत्तीसगढ़ में ईडी की ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद राज्य सरकार ने पीएमएलए यानी प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्डि्रंग एक्ट की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एमएन सुंदरेश की पीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए इसे अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया है।
अपनी याचिका में छत्तीसगढ़ सरकार ने ये आरोप लगाया था कि गैर-बीजेपी शासित राज्यों की सरकारों के सामान्य कामकाज को बाधित करने, डराने और परेशान करने के लिए केन्द्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। इस मामले में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू मामले में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की तरफ से पेश हुए।
छत्तीसगढ़ सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत कानून को चुनौती देते हुए मूल वाद दायर किया था। अनुच्छेद 131 किसी राज्य को केंद्र या अन्य किसी राज्य के साथ विवाद के मामलों में सीधे उच्चतम न्यायालय जाने का अधिकार देता है।
पीएमएलए कानून को चुनौती देने वाला छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य
बता दें कि प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्डि्रंग एक्ट और इसके प्रावधानों को चुनौती देने वाला छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है। इससे पहले निजी क्षेत्र के लोगों और पक्षों ने विभिन्न आधार पर कानून को चुनौती दी थी, लेकिन पिछले साल शीर्ष अदालत की तीन न्यायाधीशों की एक पीठ ने इसकी वैधता को कायम रखा था।
मुकुल रोहतगी और समीर सौंढी ने की पैरवी
छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से पीएमएलए कानून के कुछ सेक्शन की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से वकील मुकुल रोहतगी और समीर सौंढी ने सुप्रीम कोर्ट से मामले में जल्द सुनवाई की गुहार भी लगाई थी।
छत्तीसगढ़ के वाद में कहा गया है कि राज्य सरकार को प्रदेश के अधिकारियों और निवासियों की तरफ से अनेक शिकायतें मिल रही हैं कि प्रवर्तन निदेशालय जांच करने की आड़ में उन्हें प्रताडि़त कर रहा है और दुर्व्यवहार कर रहा है। इसमें कहा गया है कि अधिकारों के इस तरह दुरुपयोग के कारण छत्तीसगढ़ को अदालत में आने को मजबूर होना पड़ रहा है।


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