मनेन्द्रगढ़@जल संसाधन विभाग के सात करोड़ वाले स्टॉप डैम में भ्रष्टाचार की दरार

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लाखों के स्टॉप डैम में आई दरार मॉनिटरिंग के अभाव में घटिया निर्माण की खुली पोल

रवि सिंह –
मनेन्द्रगढ़ 01 मई 2023 (घटती-घटना)।
मॉनिटरिंग के अभाव में लाखों रुपये खर्च कर निर्मित स्टॉप डेम में निर्माण के कुछ दिनों में ही दरार आ गई जिससे अधिकारी के निगरानी व मूल्यांकन को लेकर अब जिले में यह सुर्खियों का विषय बना हुआ है क्यो की कुर्सी की लड़ाई में यह कार्यालय हमेशा चर्चित रहा है मामला एमसीबी जिले का का है जहा निर्माणाधीन डौकीझरिया स्टॉप डैम की पोल बारिश से पहले ही खुल गई है। स्टॉप डैम में कई जगह दरारें आ गई हैं। वहीं अफसर अब मेंटनेंस में होने की बात कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं।
मिली जानकारी अनुसार जल संसाधन विभाग की तरफ से लगभग सात करोड़ की लागत से जिले में स्टॉप डैम का निर्माण करवाया गया था। लेकिन इस स्टॉप डैम की गुणवत्ता की पोल नौ महीने में ही खुल गई। यदि इस स्टॉप डैम पर नजरें डालें तो हर जगह भ्रष्टाचार की दरार साफ दिखाई दे रहा। इस स्टॉप डैम का निर्माण ऐसे तो किसानों को पानी देने के लिए किया गया है, लेकिन ये कितना पानी देगा इसका अंदाजा इसकी हालत देखकर लगाया जा सकता है वही नहर का कार्य भी अधूरा है।
करोड़ों के स्टॉप डैम का हाल बेहाल
जल संसाधन विभाग द्वारा भरतपुर सोनहत विधानसभा के विकास खंड जनकपुर के ग्राम चुटकी के डौकीझरिया में जल संसाधन विभाग ने इस डैम का निर्माण किया है। काम अभी पूरा नहीं हुआ है, लेकिन काम के सुरुवात में ही निर्मित स्ट्रेक्चर में दरारें आ गईं। ऐसा नहीं है कि इस डैम को बनाने के लिए राशि की कोई कमी है ।शासन की ओर से सात करोड़ का बजट स्वीकृत होने के बाद ही डैम बनाना शुरु हुआ। शुरुवात में कुर्सी को लेकर अधिकारी में खींचतान चली मॉनिटरिंग का भी अभाव था जिससे ये सात करोड़ रुपए कहां जा रहे हैं ये नहीं दिख रहा।
अन्य निर्माण का भी बुरा हाल
ये सिर्फ एक स्टॉप डैम की बात होती तो कोई बात नहो लेकिन जिले के भरतपुर में जितने भी स्टॉप डैम व जलाशय का निर्माण हुआ है. सभी की कहानी एक जैसी है। डैम का निर्माण ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की किल्लत को मिटाने और लगातार गिर रहे भू-जल स्तर को बढ़ाने के लिए किया गया है। लेकिन जिले के स्टॉप डैम में बारिश के पहले ही दरार आ गया जब कि इसके पूर्व मनेन्द्रगढ़ में निर्मित एक डैम में टूटने से काफी नुकसान हुआ था फिर भी जिम्मेदार मॉनिटरिंग को लेकर गंभीर नही है जिसका ही परिणाम है कि ठेकेदार मनमानी पर है। जिससे नव निर्मित कार्य मे दरार आना भ्रष्टाचार का जीता जागता उदाहरण है।
अफसर अपनी जिम्मेदारी से झाड़ रहे पल्ला
ग्रामीणों ने बताया कि क्षेत्र में बने स्टॉप डैम में मौजूदा समय में पानी नहीं बचा है। जबकि इनका निर्माण पानी को रोकने के लिए किया गया है। वहीं 7 करोड़ की लागत से बनाए गए डैम की जानकारी देते हुए अनुविभागीय अधिकारी जनकपुर एच एस गुप्ता ने बताया कि जो डैम बनाया गया है. उसका 10 साल तक मेंटेनेंस रहता है । उसे अभी सुधरवा दिया गया है. क्योंकि डैम के अगल-बगल मिट्टी ज्यादा मात्रा में होने की वजह से डैम के किनारे पर दरार आ गई थी। अब सवाल यह उठता है कि आखिर इसका जिम्मेदार कौन हैं क्या मेंटेनेंस के नाम पर जुगाड़ का खेल तो नही खेला जाता।
निर्माण के दौरान अनदेखी क्यों?
अफसर हर बार एक ही बात कहकर किसी भी मामले में अपनी पल्ला झाड़ने की कोशिश करते हैं। डैम का मेंटनेंस 10 साल का भले ही हो लेकिन जब इसका निर्माण किया गया तो इस बात का ध्यान क्यों नहीं रखा गया। अब जब पानी भरने से मिट्टी बह रही है, डैम में दरारें आ रहीं है तो मेंटनेंस की बात कहकर अफसर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। हकीकत तो ये है कि यदि निर्माण के समय ही डैम में भ्रष्टाचार ना होता तो यह नौबत नहीं आता किन्तु जिम्मेदार ठेकेदार के साथ मेलमिलाप कर मॉनिटरिंग करना ही भूल जाते है।


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