नई दिल्ली@भारतीयों की निकासी के लिए देवदूत बना सी-17 ग्लोबमास्टर

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सी-17 ग्लोबमास्टर वायु सेना का वही विमान है,जिसने तमाम बाधाओं को पार करते हुए भूकंपग्रस्त तुर्किये को मानवीय सहायता मुहैया कराई
नई दिल्ली,30 अप्रैल2023(ए)।
हिंदुस्तान की आन-बान-शान बन चुके सी-17 ग्लोबमास्टर की कहानियां न सिर्फ गौरवान्वित करती हैं बल्कि विगत परिस्थितियों में भी मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए प्रेरित करती हैं। सूडान में चल रहे खूनी संघर्ष के बीच भारत सरकार ने भारतीयों की वापसी के लिए स्पेशल ऑपरेशन लॉन्च किया, जिसे ऑपरेशन कावेरी का नाम दिया गया।
ऑपरेशन कावेरी का उद्देश्य सूडान में फंसे भारतीयों की सुरक्षित वतन वापसी है। विदेश मंत्रालय , भारतीय वायु सेना और सूडान स्थित भारतीय दूतावास सहित अन्य आला अधिकारियों की एक टीम को भारतीयों की सुरक्षित निकासी का जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसकी निगरानी के लिए सरकार ने विदेश राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन को वहां भेजा है। ऐसे में सूडान के अलग-अलग हिस्सों से भारतीयों को राजधानी खार्तूम लाया जा रहा है, जहां से उनकी सुरक्षित वतन वापसी को सुनिश्चित किया जा रहा है।
इस निकासी अभियान के लिए वायु सेना के सी-17 ग्लोबमास्टर की तैनाती की गई है। सी-17 ग्लोबमास्टर वायु सेना का वही विमान है, जिसने तमाम बाधाओं को पार करते हुए भूकंपग्रस्त तुर्किये को मानवीय सहायता मुहैया कराई। इसके अलावा युद्धग्रस्त यूक्रेन में फंसे भारतीयों की सुरक्षित वतन वापसी कराई। ऐसे ही कई अन्य उदाहरण भी मौजूद हैं, लेकिन आज हम सी-17 ग्लोबमास्टर की खूबियों के बारे में चर्चा करेंगे।
संघर्षरत सूडान की भयावह तस्वीर
सूडान में आर्मी और पैरामिलिट्री समूह के बीच संघर्ष चल रहा है। सूडान के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 15 अप्रैल को पहली बार हिंसा भड़कने के बाद से अबतक 528 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 4,599 लोग घायल हो गए।
इन्हीं तमाम खूबियों की वजह से सी-17 ग्लोबमास्टर का इस्तेमाल विपदाओं में फंसे लोगों की निकासी के लिए किया जाता है। भारत के पास करीब 11 सी-17 ग्लोबमास्टर विमान हैं। साल 2013 में भारत ने अमेरिका के साथ 10 विमानों की खरीद के लिए समझौता किया था। उस वक्त इस विमान की कीमत तकरीबन 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर थी।
ऑपरेशन कावेरी में शामिल हुई महिला पायलट
सी-17 ग्लोबमास्टर को उड़ाने में सक्षम भारतीय वायु सेना की पहली और इकलौती महिला पायलट फ्लाइट लेफ्टिनेंट हर राज कौर बोपराय ने भी संकटग्रस्त सूडान में फंसे भारतीयों को स्वदेश वापस लाने के लिए चलाए गए ऑपरेशन कावेरी में हिस्सा लिया।


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