एमसीबी@एमसीबी जिले में पुलिस अधीक्षक से बड़ा ओहदा थानेदार का,थानेदार नहीं मानते अपने कप्तान का आदेश

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  • पुलिस अधीक्षक द्वारा जारी तबादला आदेश का नहीं कर रहे थानेदार पालन,कई आरक्षक तबादले के बाद भी नहीं हुए नए थाने रवाना
  • आरक्षकों को थानेदार नहीं कर रहे थानों से रवाना,चहेते आरक्षक जमे हुए हैं पुराने पुलिस थानों में…

-रवि सिंह-
एमसीबी 28 अप्रैल 2023 (घटती-घटना)। नवीन जिले एमसीबी में यह कहना गलत नहीं होगा की इस समय थानेदारों का ओहदा पुलिस अधिक्षक से बड़ा दिख रहा है,ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि ऐसे कई आदेशों का पालन थानेदार नहीं कर पा रहें हैं जो पुलिस अधीक्षक के द्वारा जारी आदेश हैं।
बता दें की पुलिस अधिक्षक एमसीबी ने थोक में पुलिसकर्मियों के तबादले किए थे और जारी तबादला आदेश अनुसार कई आरक्षकों को अलग अलग पुलिस थानों में पदस्थ करने की कोशिश इसलिए की गई थी जिससे पुलिस विभाग में कसावट लाई जा सके और वर्षों से एक ही पुलिस थानों में पदस्थ पुलिसकर्मियों का स्थान बदलकर यह कसावट लाई जा सके लेकिन मौजूदा जो हालात हैं उसके अनुसार जिले के थानेदार आरक्षकों को आदेश अनुसार पदस्थ किए पुलिस थानों के लिए रवानगी नही दे रहें हैं और इसकी वजह क्या है यह भी स्पष्ट उनके द्वारा नहीं किया जा रहा है। थानेदारों की इस मनमानी को देखकर यही कहा जा सकता है की पुलिस अधीक्षक का ओहदा थानेदारों से नीचे का जान पड़ता है इसीलिए वह आरक्षकों को रवानगी नहीं दे रहें हैं और अपने ही वरिष्ठ अधिकारी के आदेश की अवहेलना कर रहें हैं। पुलिस अधीक्षक कार्यालय से आदेश जारी हुए 20 दिन से ज्यादा हो गए और आरक्षकों को थानेदार रवानगी नहीं दे रहें हैं जिस वजह से कुछ आरक्षक भी परेशान हैं। वहीं कुछ पुलिसकर्मी आरक्षक ऐसे भी हैं जिनमे खड़गवां पुलिस थाने में पदस्थ कुछ आरक्षक हैं जिनका तबादला 8 वर्षों में कई बार हुआ लेकिन वह कभी अन्य थानों के लिए रवाना नहीं हुए और एक ही थाने में जमे हुए हैं। ऐसे पुलिसकर्मियों को देखकर यही लगता है की इनका इन्हीं थानों के लिए पट्टा लिखा जा चुका है और इन्हें हटा पाने वाला कोई भी नहीं है।
खड़गवां पुलिस थाने में कई सालों से जमे हुए हैं पांच आरक्षक
जिले के खड़गवां थाने में पांच आरक्षक ऐसे हैं जो कई सालों से एक ही जगह जमे हुए हैं। इन आरक्षकों को आजतक कोई ऐसा अधिकारी नहीं आ सका जो हटा सके। इन आरक्षकों को देखकर यही कहा जा सकता है की यह अपनी मर्जी के हैं और जबतक इनकी मर्जी होगी यह एक ही थाने में रहेंगे और इन्हे कोई अन्यत्र नहीं भेज सकता । जिले के पुलिस विभाग के बड़े अधिकारियों के लिए यह सोचनीय है की ऐसे पुलिसकर्मियों को किस तरह अन्य थानों में भेजा जाए जिससे पुलिस की कार्यप्रणाली में कसावट आ सके।
थानेदार जिन्हे चाहते हैं पुलिस थानों में रखना, उन आरक्षकों को तबादला होने के बाद भी नहीं करते रवाना
जिले में पुलिस विभाग में पुलिस अधीक्षक की जगह थानेदारों का जलवा है,पुलिस अधीक्षक के आदेश को थानेदार लगातार नजर अंदाज कर देते हैं और उन्हे जिस आरक्षक को अपने थाने में रखना होता है उसका तबादला आदेश जारी होने के बाद भी वह उसे रवाना नहीं करते उसे थाने में ही रोक रखते हैं। पुलिस अधीक्षक भी थानेदारों को कुछ कह नहीं पाते शायद इसीलिए उनके ही आदेश की थानेदार अवहेलना करने से बाज नहीं आते। कुल मिलाकर थानेदार खुद को पुलिस अधिक्षक से भी ऊपर मानते हैं और पुलिस अधीक्षक के आदेश को मानना जरूरी वह नहीं समझते।


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