बैकुण्ठपुर@क्या तहसीलदार बदलते ही सुधरेगी तहसील कार्यालय की व्यवस्था?

Share

  • क्या नव पदस्थ तहसीलदार के बदलते ही भूमाफियों पर कसेगा शिकंजा या फिर आम आदमी ही होगा परेशान?
  • बैकुंठपुर व पटना तहसील कार्यालय में तहसीलदार बदले पर क्या स्थितियां भी बदलेंगी?

रवि सिंह –
बैकुण्ठपुर 28 अप्रैल 2023 (घटती-घटना)। तहसील कार्यालय जो राजस्व प्रकरणों में न्यायालय की पहली सीढ़ी होती है और जमीन जायदाद के मामलों में इंसान का पहला पाला तहसील कार्यालयों से ही पड़ता है पर पहली सीढ़ी धीरे-धीरे ये भ्रष्टाचार के गढ बनते जा रहे हैं। आम आदमी कागज प्रस्तुत कर न्याय की गुहार लगाते हुए इन कार्यालयों के चक्कर काटते अक्सर देखा जा सकता है। जमीन जायदाद के मुकदमे हो, फौती नामांतरण हो, सामान्य नामांतरण हो, अवैध कब्जों की शिकायत हो, अनाधिकृत निर्माण का मामला हो, राजस्व रिकार्ड में सुधार का मामला हो, लोग सबसे पहले न्याय की आस में तहसील कार्यालय का ही चक्कर लगाते हैं। परंतु व्याप्त भ्रष्टाचार, अफसरशाही और बाबूगिरी का अक्सर शिकार हो जाते हैं। हालात तो यह भी है कि छोटे से छोटे मामलों में वर्षों फैसला पेंडिंग रहता है। लोगों की एडिंया घिस जाती हैं न्यायालय के चक्कर लगाने में और अंततः न्याय व्यवस्था पैसों की चमक के आगे दम तोड़ देती है। राजस्व मामलों में पटवारी कार्यालय के बाद और देश के उच्चतम न्यायालय के पूर्व तहसील न्यायालय की भूमिका सर्वोत्तम मायने रखती है। क्योंकि किसी न्यायालय में पारित आदेश, पंचनामा, गवाही, साक्ष्यों के एकत्रीकरण और निर्मित दस्तावेज के आधार पर राजस्व मामलों के निराकरण की कवायद निम्न से लेकर उच्च स्तर तक चलती है। परंतु आलम यह है कि वर्तमान में तहसील कार्यालय धन उगाही के केंद्र मात्र बनकर रह गए हैं। जो धनबल के जरिए किसी के भी पक्ष में आदेश पारित करने के लिए जाने जा रहे हैं। कारण भी यह है कि यदि इन न्यायालयों से गलत आदेश पारित हो भी गया, जिसे ऊपर चुनौती देने पर गलत पाया भी गया तो भी तहसील कार्यालयों में बैठे अधिकारी और बाबू पर कोई कार्यवाही नहीं होती, इन पर कोई प्रकरण नहीं बनता। यही कारण है कि ये कार्यालय निरंकुशता का पर्याय बनते जा रहे हैं। इन सब में पिसता आम आदमी है। जो मामले आसानी से तहसील कार्यालयों से ही निपटाए जा सकते हैं, वे मामले धीरे-धीरे इतना बृहत रूप ले लेते हैं की पीढि़यां बदल जाती हैं पर मामले वही रहते हैं। तहसील न्यायालय की इन कमजोरियों का फायदा भू माफियाओं को सदा से होता आ रहा है। जो गलत तरीके से गरीबों वंचितों और शोषितों की जमीनों को ओने पौने लेने, हड़पने का कार्य करते हैं। इन कार्यालयों में जब आसन्न अधिकारी का स्थानांतरण होता है, और नए अधिकारी का आगमन होता है, तो लोगों की उम्मीदों की किरण जगमगाने लगती है। लोगों को लगता है कि नये अधिकारी आने से व्यवस्था सुधरेगी, प्रक्रिया आसान होगा और बार-बार होने वाली पेशियों की झंझट से छुटकारा मिलेगा।
नव पदस्थ तहसीलदार से लोगों को उम्मीद, कितना खरे उतरेंगे लोगों के उम्मीद पर तहसीलदार?
तहसील पटना में पदस्थ नए तहसीलदार से लोगों को काफी उम्मीदें हैं। क्योंकि इससे पहले पदस्थ अफसरों की अफसरशाही, अवैध वसूली, भू-माफियाओं को संरक्षण एवं उनकी कार्यप्रणाली से जनता त्राहिमाम कर रही थी। लगातार हो रही शिकायतों के कारण ही उनका तबादला हुआ है। अब तबादले के बाद में आये अधिकारी से लोगों की उम्मीद बढ़ गई हैं, ताकि आम जनता को अवैध लेनदेन और उगाही से, अफसरशाही और बाबूगिरी से, भू माफियाओं के अत्याचार से छुटकारा मिल सके। अब देखने वाली बात यह होगी कि आगंतुक तहसीलदार अवैध कार्यों में संलिप्त लोगों के चंगुल में फंसकर कार्य करते हैं या स्वतंत्र रूप से आम जनता के हित में कार्य करेंगे, यह तो आने वाला वक्त बताएगा, परंतु नये तहसीलदार के आगमन से पीडि़तों के चेहरे पर रोशनी का संचार स्पष्ट दिखाई दे रहा है, कि शायद अब उन्हें यथोचित न्याय मिल सकेगा, भ्रष्टाचार से मुक्ति मिल पाएगी और अवैध लेनदेन तथा उगाही का शिकार नहीं होना पड़ेगा। आम जनता के बीच जो भरोसा तहसील कार्यालयों के अधिकारी और बाबू खो चुके हैं, उस भरोसे को वापस लाने में नए तहसीलदार को भी काफी जद्दोजहद का सामना करना पड़ सकता है।


Share

Check Also

रायपुर,@ निगम-मंडल और स्वशासी संस्थाओं को मिलने वाली अतिरिक्त सुविधाओं पर लगी रोक

Share @ वित्त विभाग ने जारी किया आदेश…रायपुर,26 अक्टूबर 2024 (ए)। वित्त विभाग ने तमाम …

Leave a Reply