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बैकुण्ठपुर@क्या संयुक्त संचालक सरगुजा ने पदोन्नति मामले में स्वयं को पाक-साफ साबित करने दो शिक्षकों पर की निलंबन की कार्यवाही?

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संयुक्त संचालक के निलंबन आदेश में भी दिखी कई खामियां,ऐसा लगा द्वेषपूर्वक की गई कार्यवाही।
पूर्व मुख्यमंत्री के खास हैं संयुक्त संचालक शिक्षा सरगुजा के भाई,क्या इसलिए संयुक्त संचालक शिक्षा कर रहे मनमानी?
वायरल वीडियो में शिकायतकर्ताओं को देख लेने की और कार्यवाही करने की दी थी धमकी
संयुक्त संचालक खुद है वीडियो बनाने वाले से अनभिज्ञ और वीडियो बनाने का दो शिक्षकों पर लगाया आरोप
वीडियो में स्पष्ट दिख रहा कि अभद्रता किसने की,शांतिपूर्वक शिकायत सुनते तो नहीं आता विवाद का नौबत
क्या जिस वीडियो के वायरल होने से सयुक्त संचालक की हुई थी फजीहत और खुली थी पदोन्नति की पोल क्या उस पर पर्दा डालने दो शिक्षकों पर हुई कार्यवाही?
क्या दो शिक्षकों पर कार्यवाही कर अपने आप को पाक साफ बताना चाहते हैं संयुक्त संचालक?
शिक्षक संघों की भूमिका ताली पीटने वाली,साथियों पर हुई गलत कार्यवाही का विरोध करने की बजाए शिक्षक संघ संयुक्त संचालक को पहना रहे फूलमाला

-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 28 अप्रैल 2023 (घटती-घटना)। पदोन्नति मामले में संयुक्त संचालक खुद ही अपने बिछाए जाल में फंसते नजर आ रहे हैं। वे मामले में जो भी करना चाह रहे हैं, उसमें उनकी फजीहत ही होती दिख रही है। पहले पदोन्नति मामले में जब आपत्ती और शिकायत दर्ज कराने गए शिक्षकों की आपत्ती को दर्ज करना था, उनकी बातें सुनना था तो उनसे अभद्रता कर बैठे। जब उनकी फजीहत हुई तब वह कुछ दिन इंतजार करने के बाद दो शिक्षकों पर निलंबन की कार्यवाही करते हुए, उन्हें अनाधिकृत तरीके से आने का आरोप लगाया। पर इस आरोप में भी वह अपनी फजीहत कराते नजर आए। जहां दर्जनभर से ज्यादा शिक्षक अपनी आपत्ती लेकर गए थे, जिसमें शिक्षक संघ के पदाधिकारी भी मौजूद थे पर वहां उन्होंने सिर्फ दो पर कार्यवाही की। ऐसा लगा कि कार्यवाही इसलिए की गई क्योंकि इन्हीं शिक्षकों की वजह से संयुक्त संचालक की फजीहत हुई थी। यही शिक्षक अपनी आपत्तीयों और शिकायतों के द्वारा पदोन्नति प्रक्रिया के काउंसलिंग के ढोल की पोल खोल रहे थे। अब उन्ही कारनामों की पोल खुलने के बाद अपने आप को पाक साफ बताने के लिए क्या ऐसी कार्यवाही कर रहे हैं? यह तमाम तरह के सवाल उठने लगे हैं। वहीं शिक्षक संयुक्त संचालक के खिलाफ न्यायालय जाएंगे, उनके द्वारा की गई कार्यवाही को चुनौती देंगे, इस बात की भी अब आवाज उठने लगी है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि शिक्षक संगठन भी इसमें लामबंद हो सकता है, ऐसी बात भी सामने आ रही है। अब ऐसे में तो संयुक्त संचालक की फजीहत होनी स्वाभाविक है।
किसी प्रक्रिया के त्रुटियों के संबंध में ध्यानाकर्षण और शिकायत उच्चाधिकारियों तक करना अनुशासनहीनता कैसे?
शासकीय विभाग में किसी वैधानिक प्रक्रिया में यदि किसी प्रकार की धांधली नजर आती है, या कोई प्रक्रिया से असंतुष्ट होता है, तो स्वाभाविक तौर पर वह अपनी शिकायत और अपनी समस्या उच्चाधिकारियों तक प्रेषित करता है, या अपनी आवाज उन तक पहुंचाता है। यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। इसमें अनुशासनहीनता कैसी?? परंतु सरगुजा संभाग में प्रधान पाठक पदोन्नति के लिए की जाने वाली काउंसलिंग में जब वरिष्ठ शिक्षकों को अपने आसपास के पद प्रदर्शित नहीं किए गए तो उन्होंने इसकी शिकायत संभागीय संयुक्त संचालक के पास करनी चाही, तब बिना शिक्षकों की बात सुने और बिना उनसे आवेदन लिये शिक्षकों पर ही भड़क जाना, उन्हें देख लेने की धमकी देना, कार्यवाही करने की धमकी देना, कहां तक जायज है? संभागीय संयुक्त संचालक के कार्यालय में शिकायतकर्ता और संयुक्त संचालक के मध्य शिकायत संबंधी वार्तालाप के वीडियो में यह स्पष्ट नजर आ रहा है कि काउंसलिंग प्रक्रिया की शिकायत करने गए शिक्षक केवल अपनी बात उच्चाधिकारी तक रखना चाहते थे, परंतु बगैर उनकी बात सुने, बगैर उनसे आवेदन लिए संचालक महोदय अभद्रता पूर्वक भड़के नजर आ रहे हैं। काफी देर तक जब संचालक महोदय ने शिक्षकों की बात नहीं सुनी और आवेदन नहीं लिया तब मीडिया वालों की उपस्थिति के बाद वे शिकायत पत्र लेने को राजी हुए। परंतु वायरल वीडियो में स्पष्ट नजर आ रहा है कि उन्होंने शिकायत करने गए शिक्षकों को देख लेने की धमकी भी दी थी, जिसका परिणाम निलंबन आदेश के रूप में जारी किया गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री के खास हैं संयुक्त संचालक शिक्षा सरगुजा के भाई,क्या इसलिए संयुक्त संचालक शिक्षा कर रहे मनमानी?
सूत्रों की माने तो संयुक्त संचालक शिक्षा सरगुजा संभाग जो अपनी मनमानी दो शिक्षकों को निलंबित कर जाहिर भी कर चुके हैं और वह भी उन शिक्षकों को जिन्होंने पदोन्नति में होने वाली पदस्थापना में लेनदेन का पोल खोला था के भाई सुमित उपाध्याय पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह के खास हैं, मुख्यमंत्री रहते हुए भी इनके भाई डॉक्टर रमन सिंह के खास थे और अब जबकि सरकार कांग्रेस की है तब भी वह डॉक्टर रमन सिंह के खास हैं। बताया जाता है की अपने भाई के बल पर ही संयुक्त संचालक अपनी मनमानी करते हैं और निडर होकर वह मनमानी जारी रखते हैं। संयुक्त संचालक का मनोबल अपने भाई के पूर्व मुख्यमंत्री के करीब होने के कारण ही बढ़ा हुआ रहता है और इसीलिए वह किसी भी मामले में निडर होकर मनमानी करते हैं। संयुक्त संचालक ने दो शिक्षकों को केवल इसलिए निलंबित कर दिया क्योंकि उन्होंने संयुक्त संचालक की मनमानी की पोल खोल दी जो भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला था।
आदेश पूर्व गड़बड़ी की शिकायत करना दो शिक्षकों को पड़ा भारी
सरगुजा संभाग में हुई शिक्षकों की पदोन्नति पदस्थापना मामले में संयुक्त संचालक की बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार करने की मंशा थी, मंशा उनकी पूरी भी हो रही थी लेकिन कुछ शिक्षकों ने उनकी इस मंशा के बीच अडंगा लगा दिया और उन्होंने सबूत सहित आरोप लगाया, आरोप चुकीं सही थे जिसपर संयुक्त संचालक भड़क भी गए और शिक्षकों को देख लेने की धमकी भी उन्होंने दी और दो शिक्षकों को निलंबित भी उन्होंने किया, मामले में संयुक्त संचालक की कारगुजारी भ्रष्टाचार की चूंकि उजागर हो रही थी जबकि अभी आदेश होना बाकी था उन्होंने आदेश में तो खुद को पाक साफ साबित कर लिया लेकिन शिक्षकों पर कार्यवाही कर यह जरूर साबित कर दिया की उनकी मनमानी नहीं पूरी हो सकी इसलिए उन्होंने गुस्से में यह कार्यवाही की। वैसे जारी पदोन्नति सूची में अभी भी कई शिक्षक ऐसे पदोन्नति प्राप्त कर अपने मनचाहे विद्यालय में पदस्थ हो चुके हैं जो बाकियों से कनिष्ठ हैं वरिष्ठता सूची में। जिसके तहत बैकुंठपुर विकासखंड के वे विद्यालय जिन्हें वरिष्ठ शिक्षकों के समक्ष काउंसलिंग के समय विलोपित रखा गया, उनमें अन्य विकासखंड या अन्य जिले के शिक्षकों के लिए पदोन्नति आदेश जारी किया गया है और इन विद्यालयों के लिए जिन शिक्षकों ने पैसों के जरिए सेटिंग की थी उन्हें उन्हीं दूरस्थ विद्यालयों में पदस्थापना दी गई है, जहां के शिक्षक की पदस्थापना बैकुंठपुर विकासखंड में की गई है। ताकि आगामी दिवसों में आपसी सामंजस्य का आवेदन लगवा कर पदोन्नति आदेश में संशोधन कर लेन-देन वाले शिक्षकों को इच्छा अनुसार पदस्थापना दी जा सके। पूरे मामले में संयुक्त संचालक के समक्ष शिकायत करने गए शिक्षक, जिन पर निलंबन की गाज गिरी है, उनकी गलती केवल इतनी है कि उन्होंने पदस्थापना आदेश पूर्व गड़बड़ी की शिकायत करनी चाही। जिस कारण से मामले का भंडाफोड़ होता देख कार्यालय को गड़बड़ी सुधार का मौका मिल गया और व्यवस्था कुछ ऐसी बनाई गई कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे।
प्रधान पाठक पदोन्नति प्रक्रिया में विकलांगों और चिकित्सा आधार पर प्राथमिकता की प्रक्रिया में भारी घालमेल
प्रधान पाठक भर्ती प्रक्रिया में जब काउंसलिंग का निर्देश आया तो स्पष्ट निर्देश था कि विकलांग शिक्षक एवं वे शिक्षक जो चिकित्सीय रूप से गंभीर है या गंभीर बीमारी से ग्रसित है, उन्हें प्राथमिकता दी जाए। इसके लिए मेडिकल बोर्ड के प्रमाण पत्र की आवश्यकता थी, जिसके आधार पर ऐसे शिक्षकों को प्राथमिकता से जगह चयन का मौका दिया जाए। विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस मामले में भारी घोटाला किया गया और बगैर मेडिकल बोर्ड के प्रमाण पत्र के साधारण चिकित्सा परामर्श पर्ची के आधार पर ही लोगों को वरीयता देकर उन्हें मनचाहा पदस्थापना दिया गया। इसके लिए भी लाखों का लेनदेन कर सेटिंग वाले शिक्षकों को निर्देशित किया गया था। मेडिकल आधार पर वरीयता प्राप्त शिक्षकों के यदि दस्तावेजों की जांच की जाए तो सारा मामला आईने की तरह साफ हो जाएगा। पुष्ट खबर यह भी है कि असंतुष्ट शिक्षक आरटीआई के जरिए इस मामले के तह तक जाने का प्रयास करेंगे।
पदोन्नति आदेश जारी करने के 1 दिन पूर्व रात्रि को सेटिंग वाले शिक्षकों से भरवाया गया पुनः विकल्प पत्र
विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी और सेटिंग वाले शिक्षकों के बीच से ही छनकर आ रही खबर के अनुसार काउंसलिंग पूर्व जिन शिक्षकों से लाखों का लेनदेन कर उन्हें इच्छित स्थान पर पदस्थापना देने की कवायद की गई थी और जिन्हें काउंसलिंग प्रक्रिया में अनुपस्थित रहने के बावजूद काउंसलिंग पूर्व तथा पश्चात में व्यक्तिगत रूप से मनचाहे स्थल पर, जिन्हें विलोपित किया गया था, के लिए विकल्प पत्र भरवाया गया था। क्योंकि पूरे मामले का भंडाफोड़ हो गया अतः उन्हें उसी स्थलों पर आदेश जारी करना भ्रष्टाचार पर मुहर लगाने जैसा था। इसलिए सेटिंग वाले समस्त शिक्षकों को जो विभिन्न ब्लॉक से है, उन्हें पदोन्नति आदेश जारी होने के 1 दिन पूर्व गोपनीय तरीके से पुनः विकल्प पत्र इस प्रकार भरवाया गया ताकि संशोधन के जरिए उनकी पदस्थापना स्थल में परिवर्तन किया जा सके। यह कवायद इसलिए की गई कि आरटीआई के जरिए जब जानकारी मांगी जाए तब उन्हें वांछित जानकारी प्रदान की जा सके। पूरे मामले में सबसे बड़ा सवालिया निशान यह है कि जिन शिक्षकों को 11 तारीख की काउंसलिंग में उच्च वरिष्ठता के आधार पर अपने निवास स्थल के करीब ही पदस्थापना स्थल प्राप्त हो गया था, उन्हें आदेश में अन्य जिले या अन्य ब्लॉक में पदस्थापना आदेश जारी क्यों किया गया? तथा उन्ही विद्यालयों में ऐसे मामले क्यों सामने आए जहां जहां की शिकायतें हुई थी, ऐसे प्रकरण अन्य विद्यालयों में क्यों नहीं आए।
संयुक्त संचालक के सामने दर्जनभर से ज्यादा शिक्षक व संघ के अध्यक्ष गए थे शिकायत करने, पर क्या अनाधिकृत तरीके से आए थे सिर्फ दो शिक्षक?
जिन दो शिक्षकों पर निलंबन की गाज गिरी है, निलंबन आदेश में उल्लेख किया गया है कि ये शिक्षक बगैर किसी सूचना के अपने कार्यालय को छोड़कर उच्च कार्यालय में उपस्थित हुए थे। जिसकी वजह से इन्हें निलंबित किया गया है। गौरतलब बात यह है कि संयुक्त संचालक के पास शिकायत करने दर्जनभर से अधिक शिक्षक पहुंचे थे, जिसमें बैकुंठपुर विकासखंड के शिक्षक संघ के शीर्ष पदाधिकारी भी सम्मिलित थे। यदि इस आधार पर निलंबन होना था, तो शिकायत करने गए सभी शिक्षक और संघ के पदाधिकारियों पर होना चाहिए था। परंतु वायरल वीडियो के कथन अनुसार जिन शिक्षकों ने सामने कतार में रहकर अपनी बात संयुक्त संचालक के समक्ष रखनी चाही और जिन्हें देख लेने की धमकी दी गई थी, निलंबन की कार्यवाही भी केवल उन्ही शिक्षकों के विरुद्ध की गई। स्पष्ट है कि निलंबन की यह कार्यवाही काउंसलिंग प्रक्रिया की धांधली के फजीहत से बचने के लिए वैमनस्यता और द्वेषपूर्वक की गई है।
शिकायतकर्ताओं कि हड़बड़ी से संयुक्त संचालक कार्यालय को गड़बड़ी और भ्रष्टाचार की लीपापोती का मिला अवसर
प्रधान पाठक पदोन्नति की काउंसलिंग की प्रक्रिया जो 11 और 12 अप्रैल को संचालित की गई थी, 11 अप्रैल तक लगभग सब कुछ ठीक चल रहा था। 12 अप्रैल को कोरिया जिले के बैकुंठपुर विकासखंड के वह शिक्षक जो वरिष्ठता क्रम में ऊपर थे, काउंसलिंग की प्रक्रिया के दौरान उन्हें बैकुंठपुर विकासखंड में पद रिक्त ना होने की जानकारी दी गई। जबकि 11 तारीख को शाम तक काउंसलिंग समाप्त होने के पश्चात बैकुंठपुर विकासखंड के बहुत सारे पद रिक्त थे। स्पष्ट है कि 12 तारीख की काउंसलिंग में बैकुंठपुर विकासखंड के वह स्थल जिनकी सेटिंग लेनदेन के जरिए हो चुकी थी, छुपाए गए। मजबूरीवश वरिष्ठ शिक्षकों को पदोन्नति ना लेने का या दूर स्थित विद्यालयों का चयन का विकल्प भरना पड़ा। परंतु शाम होते-होते जब बैकुंठपुर विकासखंड में ही कनिष्ठ शिक्षकों को पदोन्नति स्थल मिलने का बधाई संदेश वायरल हुआ, तो वरिष्ठ शिक्षकों ने आपाधापी में अगले दिन अपनी शिकायत संयुक्त संचालक महोदय के समक्ष प्रस्तुत करनी चाही। जहां संयुक्त संचालक महोदय का तर्क था कि अभी तक आदेश जारी नहीं हुआ तो आपको कैसे पता कि किसे कौन सा स्थल मिला। पूरे मामले में क्योंकि आदेश जारी नहीं हुआ था अतः भंडाफोड़ ना हो इस वजह से जारी पदोन्नति आदेश में छुपाए गए, विद्यालयों के लिए बैकुंठपुर विकासखंड और कोरिया जिले से दूरस्थ शिक्षकों को पदोन्नति आदेश जारी किया गया। ताकि यह तर्क रखा जा सके कि इन सभी विद्यालयों का चयन 11 तारीख की काउंसलिंग में ही हो चुका था। परंतु सोचने वाली बात यह है कि 11 तारीख की काउंसलिंग में लखनपुर, लुंड्रा, भैयाथान इत्यादि के शिक्षकों को स्थानीय पदोन्नति स्थल मिल रहा था तो उन्हें इतनी दूर विकल्प चयन करने की आवश्यकता क्यों पड़ी?
शिक्षक संघ संयुक्त संचालक की चापलूसी में व्यस्त,अपने ही शिक्षकों पर हुई कार्यवाही पर मौन है शिक्षक संघ
पदोन्नति मामले में और पोस्टिंग में लेनदेन मामले सहित दो शिक्षकों द्वारा लेनदेन का आरोप लगाए जाने पर उनके निलंबन मामले में शिक्षक संघों की भूमिका शिक्षक हितैसी बिल्कुल नजर नहीं आई। शिक्षक संघों ने संयुक्त संचालक की चापलूसी को ही महत्व दिया और शिक्षकों की तरफ से आने। वाली शिकायतों को संघों ने नजर अंदाज किया। शिक्षक संघ संयुक्त संचालक को फूलमाला से जहां लादते नजर आए मिठाई खिलाते जहां नजर आए वहीं अपने ही साथियों पर हुई गलत कार्यवाही का विरोध करने का कोई भी शिक्षक संघ हिम्मत नहीं जुटा पाया जो शिक्षक हितैसी बताने वाले संघों का असली चेहरा उजागर कर गया। दो शिक्षक अब सही होकर भी गलत साबित कर दिए गए और मामले में उन्हे शिक्षक संघों की मदद भी नहीं मिलने वाली क्योंकि संघ सभी चापलूसी में व्यस्त हो ऐसे में पीडि़त शिक्षकों को अब अपने लिए स्वयं न्याय का रास्ता ढूंढना होगा क्योंकि उनके साथ देने संघ भी सामने आने वाले नहीं।
पदोनत्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार की पुष्टि संशोधन के खेल से होगी
पदोन्नति की पूरी प्रक्रिया पूरी तरह भ्रष्टाचार से युक्त रही और करोड़ों का लेनदेन हुआ इसकी पुष्टि अब होनी मात्र बाकी है और यह तब होगी जब संशोधन का खेल पूरा हो सकेगा,संशोधन का पूरा खेल ब्लॉक कार्यालयों को समझा दिया गया है और जिनका भी संशोधन होना है सभी को कार्यभार मुक्त होने और नए कार्यस्थल पर कार्यभार ग्रहण करने की मनाही ब्लॉक कार्यालय दे रहें हैं। कुलमिलाकर जिन्हे भी मनचाही पोस्टिंग की जरूरत है उन्हे संयुक्त संचालक कार्यालय का निर्देश बताया जा रहा है की वह भारमुक्त और कार्यभार ग्रहण न करें उनका संशोधन होगा ही।
कई शिक्षक संशोधन की आस में चले गए अवकाश पर
जिन शिक्षकों को संशोधन की उम्मीद है या जिन्होंने भी मनचाहे पोस्टिंग के लिए पैसा दिया है वह सभी फिलहाल अवकाश पर चले गए हैं और सभी को यह विश्वास दिलाया गया है संयुक्त संचालक कार्यालय से की उन्हे उनकी मनचाही पोस्टिंग ही मिलेगी,ऐसे शिक्षकों की तरफ से लाखों रुपए दिए भी गए हैं और संशोधन होते ही इस बात की पुष्टि भी होनी तय है।
लेनदेन मामले को दबाने सूची में किया गया आंशिक
त्वरित संशोधन

संयुक्त संचालक कार्यालय की करस्तानी जो अब सामने आ रही है उसके अनुसार यह तय नजर आ रहा है की सूची में आंशिक त्वरित संशोधन इस हिसाब से किया गया की जिससे विरोध को दबाया जा सके,कार्यालय द्वारा जिन पदों को बेचा गया उन पदों पर फिलहाल ऐसे लोगों की पोस्टिंग की गई है जिन्हे बाद में उनकी मनचाही जगह पर भेजा जाएगा और जिनसे पैसा लिया गया है उन्हे उनकी मनचाही जगह पर भेजा जाएगा,पूरे मामले में ब्लॉक कार्यालयों को स्पष्ट निर्देश है की जिनका पैसा लिया गया है उन्हे समय दिया जाए कार्यभार ग्रहण करने के लिए और उन्हे संशोधन का मोका मिल सके।


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