- ईट भट्टे से हो रही लाखों की वसूली खनिज विभाग नहीं पुलिस कर रही वसूली:सूत्र
- क्या पटना थाने में पदस्थ एक आरक्षक को वर्दी पहनने की नहीं है बाध्यता
- पटना में पदस्थ एक आरक्षक बिना वर्दी नशे में धुत अक्सर करता है वसूली,आती रहती है शिकायत
- एमसीबी जिले में थानेदार को वर्दी से था परहेज और पटना थाने में एक आरक्षक को है वर्दी से परहेज ऐसा क्यों?
- बिना वर्दी के अपने थानेदार व अपने उच्च अधिकारियों के सामने घूमता है आरक्षक,क्या अधिकारी कि नहीं पड़ती नजर?
- क्या निरीक्षक के बाद अब आरक्षक को भी वर्दी से परहेज?
–रवि सिंह –
बैकुण्ठपुर 25 अप्रैल 2023 (घटती-घटना)। अविभाजित कोरिया जिले में अधिकारियों के लिए एक बड़ा क्षेत्र था जहां से अधिकारियों की ऊपरी कमाई हो जाया करती थी पर अब जिला बंटवारा हो जाने के बाद क्षेत्र छोटा हो गया और कमाई का जरिया भी कम हो गया है, अब कम क्षेत्र वाले जिले में कैसे हो अधिक कमाई इस पर अब ध्यान पड़ने लगा है, यही वजह है कि अब छोटे स्तर पर भी वसूली होने लगी है सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस समय पुलिस का पूरा ध्यान ईट भट्ठों पर केंद्रित है जहां ईट भट्ठों पर खनिज विभाग की नजर होनी थी पर इस समय पुलिस विभाग की नजर है पर कार्यवाही के लिए यह नजर नहीं है कार्यवाही के आड़ में वसूली जमकर हो रही है और ईट भट्ठा संचालक वसूली से परेशान हैं।
विशेष सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पटना थाना के जरिए चिमनी भट्ठों के कुछ संचालकों से बड़ी मात्रा में पैसे की वसूली की गई है और यह पैसा एक आरक्षक के हाथ में दिया गया था यह आरक्षक इस समय पुलिस के लिए सिर्फ वसूली का ही काम कर रहा है, इससे पहले भी एक मामले में एक बड़ी रकम वसूलने की घटना सामने आई थी जिसमें पूर्व कैबिनेट मंत्री के बीच बचाव के बाद पैसा पीडि़त को वापस किया गया था, अब जो जानकारी आ रही है उसके अनुसार बंगला भट्ठा वालों से एकदम तय कर दिया गया है, वही चिमनी भट्ठा वालों से एक बड़ी रकम वसूली जा रही है चिमनी भट्ठा वालों के लिए समस्या हो गई है क्योंकि एक तरफ अनुमति की प्रक्रिया को जटिल कर दिया गया है तो वही अनुमति में विलंब होने की वजह से पुलिस व खनिज को पैसा वसूली का मौका मिल गया है, चिमनी भट्ठा वाले को व्यवसाय में जाने की वजह से अब जन सुनवाई के तहत इन्हें कई पड़ाव से गुजरने की मजबूर आन पड़ी है कई विभाग से अनुमति लेनी होगी जब तक इन्हें अनुमति मिलेगी तब तक उनसे उगाही का जरिया संबंधित विभागों बना रहेगा।
कोयला चोरों से भी वसूली,इंठभट्टों से भी वसूली,क्या पुलिस के बड़े अधिकारियों के पास अब कोयला ही पेट पालने का जरिया?
अच्छी मोटी तनख्वाह मिलने लेने के बावजूद भी यदि क्षेत्र में अवैध कारोबार अपने चरम पर हों और कोयला कबाड़ जैसे अवैध कारोबार पुलिस की ही छत्रछाया में निर्बाध रूप से जारी हों तो समझा जा सकता है की सरकारी तनख्वाह से पेट पालने में दिक्कत हो रही है और इसलिए अवैध कारोबारियों को आगे करके पेट पालने का दूसरा जुगाड पुलिस ने कर लिया है। पहले पुलिस कोयला चोरों से ही मात्र वसूली किया करती थी और उन्हे दिन और रात कोयला चोरी की अनुमति देती रहती थी लेकिन अब केवल इसी मात्र से उनकी आर्थिक भूख समाप्त नहीं हो रही है अब पुलिस के एक बड़े अधिकारी ने इंठभट्ठों पर भी अपनी नजर गड़ाई है और सभी ईंट भट्ठे के संचालकों से अवैध कोयला खपाने के एवज में उन्होंने लंबी उगाही की है। कुलमिलाकर पुलिस की भूमिका जहां समाज से अपराध को समाप्त करना अवैध करोबार को बंद करना था वहीं अब पुलिस अवैध कारोबार के हर चरण पर वसूली करती नजर आ रही है और अवैध कारोबार को बढ़ावा दे रही है। कोयला चोरों के साथ पुलिस की जो भूमिका लगातार समाने आ रही है उसको देखकर भी यही कहा जा सकता है की चोरों को पूरी सुरक्षा पुलिस ही प्रदान करती चली आ रही है और चोरों को कोई दिक्कत न हो इसके लिए पुलिस का हर कर्मचारी तैयार रहता है।
वर्दी के लिए मिलता है पुलिसकर्मियों को भत्ता, वर्दी पहनना है अनिवार्य
पुलिस विभाग के कर्मचारियों को कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी मिली हुई है और उनके लिए अन्य शासकीय विभाग के कर्मचारियों से अलग वर्दी पहनने की अनिवार्यता इसलिए तय की गई है क्योंकि उन्हें अपने कर्तव्य निर्वहन के दौरान पहचान बताने की जरूरत न हो और वह निर्बाध होकर अपना कर्तव्य निर्वहन कर सकें वहीं उन्हें वर्दी के लिए भत्ता भी प्रदान किया जाता है शायद यह जानकारी अनुसार सही भी है और इसलिए पुलिसकर्मियों को अधिकारी हों या आम पुलिसकर्मी सभी को वर्दी पहनना अनिवार्य है। अब ऐसे में महत्वपूर्ण एवम अनिवार्य होते भी वर्दी न पहनना कहीं न कहीं स्वयं को वर्दी से भी ऊपर मानने जैसा है और इसी वजह से पटना थाना के आरक्षक प्रमित सिंह वर्दी नहीं पहनते हैं यह माना जा सकता है।
क्या अधिकारी इस आरक्षक को पैसे वसूलने के लिए करते हैं इस्तेमाल?
जैसा की सूत्रों का कहना है की उक्त आरक्षक का काम केवल पैसा वसूलना है। माना जा रहा है की बड़े अधिकारियों के लिए आरक्षक पैसों की वसूली करता है और केवल यही उसका काम है। अब आरक्षक का बड़े अधिकारी वसूली के लिए इस्तेमाल करते हैं यदि यह बात सही है तो ऐसे में आरक्षक का मनोबल बढ़ा हुआ ही रहेगा इसमें कोई दो राय नहीं है।
अधिकारी व थाना प्रभारी के सामने भी बिना वर्दी के घूमता है आरक्षक पर नहीं होती कार्यवाही
आरक्षक थाना प्रभारी व अपने वरिष्ठ अधिकारियों के सामने भी बिना वर्दी घूमता है, बिना वर्दी घूमने के बावजूद भी आरक्षक के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की जाती है, आरक्षक जिस तरह बिना वर्दी कार्य करता चला आ रहा है उससे स्पष्ट है की आरक्षक को उच्च अधिकारियों की तरफ से पूरी छूट है।
पटना थाना में लंबे समय से जमा है आरक्षक
आरक्षक पटना पुलिस थाने में लंबे समय से जमा हुआ है,अधिकारियों सहित विभाग में उसकी ऐसी पकड़ है की उसका तबादला भी नही किया जा रहा है। एक ही पुलिस थाने में लंबे समय तक जमे रहने के पीछे उसकी ऊंची पकड़ और विभागीय अधिकारियों से अच्छी जान पहचान वजह मानी जा रही है।
अक्सर नशे में धुत घूमते नजर आ जाता है आरक्षक थाने में भी नशे में देखा जाता है
आरक्षक नशे में धुत्त रहता है और वह पुलिस थाने में भी नशे में धुत्त रहता है यह शिकायत सामने आती रहती है। उसके नशे में होने की बात थाने पहुंचने वाले फरियादी भी बताते हैं। पुलिस थाना हो या थाना क्षेत्र आरक्षक नशे में ही रहता है यह बात समाने आती रहती है।
बख्सिश बांटी जाति है पुलिसकर्मियों में
क्या कोयला चोरी में ऊपर से नीचे तक सभी पुलिसकर्मियों की हिस्सेदारी तय है? बक्शीश की तरह पैसा पुलिसकर्मियों में बांटा जाता है। वेतन से ज्यादा कुछ मिल सके इसके लिए प्रतिदिन ईमान का सौदा आम हो चुका है, बड़े अधिकारी हों या छोटे पुलिसकर्मी सभी इस कोयला चोरी के खेल में मस्त हैं और ऊपरी कमाई कर रहें हैं।