- क्या जीता हुआ जनप्रतिनिधि होने मात्र से ही वाहन में नंबर प्लेट हो जाता है वर्जित ?
- नाप अध्यक्ष बनते ही आई लैक टाटा की हेलियर लग्जरी कार और नंबर प्लेट की जगह लिखा है नापा अध्यक्ष और माहौल देना हुआ शुरू
- जनप्रतिनिधि होना है क्या यातायात के नियमों को तोड़ने की देता है अनुमति?
- शिवपुर चरचा नपा अध्यक्ष पति की ऐसी धाक की एसईसीएल में कर्मचारी होने के बावजूद वहां सिर्फ लगती है हाजिरी,बाकी होती है जमकर राजनीति
- अध्यक्ष पति अपने कर्मचारी होने का कर्तव्य छोड़ अपनी पत्नी का अध्यक्ष होने का निभाते हैं दायित्व… कोई कुछ नहीं बोलता
- धाक ऐसी कि एसईसीएल के उच्च अधिकारी भी नहीं कर पाते कोई कार्यवाही
- एसईसीएल के कार्यों का ना.पा. को मिलता है लाभ,साफ-सफाई कराता है एसईसीएल और बिल निकाल लेती है ना.पा. जमकर होता है भ्रष्टाचार
–रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 19 अप्रैल 2023 (घटती-घटना)। यह तो राजनेताओं ने और उनके परिवारजनों ने तय कर दी है की जो भी नियम बनते हैं वह आम आदमी के लिए बनते हैं आम आदमी ही उस नियम का पालन करें बाकी नियम तोड़ने का ठेका तो राजनेताओं जनप्रतिनिधियों ने और उनके परिवारजनों ने ले ही रखा है उनके लिए कोई भी नियम कानून उन पर लागू ही नहीं होता ऐसे तमाम तरह के उदाहरण कई जगहों पर देखने को मिले जहां पर जनप्रतिनिधियों ने उनके परिवारजनों ने नियमों की धज्जियां उड़ाई हैं और शासन प्रशासन मौन साधे बैठा है, अभी ताजा मामले पर गौर करें तो कोरिया जिले में दो नगर पालिका क्षेत्र आते हैं बैकुंठपुर व शिवपुर चरचा, शिवपुर चरचा में स्थानीय विधायक की खास समर्थक को नगर पालिका में अध्यक्ष निर्वाचित किया गया है, निर्वाचित होने के बाद से ही अध्यक्ष के पति की नेतागिरी का तरीका ही बदल गया है अध्यक्ष पति होने का घमंड उनके अंदर घर कर गया है और विधायक के करीबी होने का भी घमंड उनके अंदर आ गया है, अध्यक्ष पद के घमंड में अध्यक्ष पति इतना चूर हो गए हैं की इनके लिए नियम कायदे कानून कोई मायने नहीं रखते यही वजह है कि पत्नी को अध्यक्ष बनाने के बाद टाटा की हैरियर लग्जरी कार ली और उस कार में नंबर प्लेट की जगह अध्यक्ष पद का बोर्ड लगाया और उस गाड़ी से लगातार दौरा कर रहे हैं, अध्यक्ष पति अपनी पार्टी की कई रैलियों सहित हर जगह नंबर प्लेट की जगह नगर पालिका अध्यक्ष का गाड़ी में बोर्ड लगाकर घूमते नजर आते हैं पर किसी में दम नहीं खासकर प्रशासन में दम नहीं है की उनसे उनकी गाड़ी को रुकवा कर कहे कि गाड़ी में बिना नंबर प्लेट के क्यों चल रहे हैं पर वही आम आदमियों की गाड़ी पर तत्काल यातायात पुलिस की नजर पड़ जाती है और चलान भी कट जाता है, सवाल यह है कि आखिर नेताओं की गाडि़यों पर पुलिस या यातायात कर्मचारियों की नजर क्यों नहीं पड़ती?
एसईसीएल में नौकरी करने के बजाए नगर पालिका में नेतागिरी के साथ निर्माण कार्य में व्यस्त हैं
कोरिया जिले में दो नगर पालिका क्षेत्र आता बैकुंठपुर व शिवपुर चरचा, बैकुंठपुर में जहां अध्यक्ष भाजपा का है तो वही शिवपुर चरचा में अध्यक्ष कांग्रेस का हैं नगर पालिका शिवपुर चरचा में भले ही सत्ताधारी दल कांग्रेस ने निर्वाचित अध्यक्ष बना दिया पर निर्वाचित अध्यक्ष से ज्यादा अध्यक्ष पति की नगर पालिका में चलती है सिर्फ कहने को श्रीमती लालमुनि यादव अध्यक्ष हैं वहीं पूरा देखरेख तो उनके पति करते हैं जो स्वयं एसईसीएल कर्मचारी है पर अपनी ड्यूटी ईमानदारी से नहीं करते फिलहाल अभी तो नगर पालिका अध्यक्ष का दायित्व निभा रहे हैं इस समय वह एसईसीएल में नौकरी करने के बजाए नगर पालिका में नेतागिरी के साथ निर्माण कार्य में व्यस्त हैं।
एसईसीएल के अधिकारी भी अध्यक्ष पति पर कार्रवाई करने से डरते हैं
शिवपुर चरचा नगरपालिका की अध्यक्ष महिला हैं और वह नाममात्र की अध्यक्ष हैं पूरा नगरपालिका उनके पति ही चलाते हैं यह कहना गलत नहीं होगा,उनके पति एसईसीएल कर्मचारी भी हैं लेकिन वह नौकरी कब करते हैं यह कोई नहीं जानता, वह हर समय नगरपालिका के कामों में ही व्यस्त दिखते हैं या सोशल मीडिया पर रील बनाते नजर आते हैं नौकरी कब करते हैं यह बड़ा सवाल है। अध्यक्ष पति होने के कारण एसईसीएल के अधिकारी भी उनसे डरते हैं और बिना काम किए ही वह वेतन उठाते हैं यह कहना गलत नहीं होगा।
कई काम एसईसीएल कराती है पर नगरपालिका में बिल निकल जाता है
एसईसीएल चरचा कई कार्य नगर में स्वयं कराता है और उसका व्यय स्वयं वहन करता है।सूत्रों की माने तो एसईसीएल चरचा कई कार्य जो अपने कर्मचारी कालोनियों में कराती है उसका भुगतान नगरपालिका में भी दिखाया जाता है और भुगतान के नाम पर राशि निकाल ली जाती है। यह एक बड़ा भ्रष्टाचार है यदि सूत्र सही बता रहें हैं और ऐसे में जनसेवा की बात बेमानी है और केवल दिखावा है। शिवपुर चरचा मुख्य रूप से कालरी क्षेत्र है और यहां अधिकांश रहवासी और रहवासियों के भवन कालरी प्रबंधन के ही हैं और सड़कें भी उसी के अनुरूप बनी हैं नालियां भी उन्हीं कालोनियों की सुविधा अनुरूप हैं और इन सभी के लिए कालरी प्रबंधन लगातार व्यय करता रहता है जिससे रहवासियों को असुविधा न हो और वहीं नगरपालिका उन्ही कार्यों का भुगतान दिखा राशि आहरित कर रहा है यह सूत्रों का कहना है।
नौकरी नहीं करने की सुविधा मिलनी है तो सभी को मिलनी चाहिए, केवल राजनीतिक लोगों को ही इसका लाभ मिलना सही नहीं
नगरपालिका अध्यक्ष पति कालरी में नाममात्र के कर्मचारी हैं और केवल तनख्वाह वह कालरी से प्राप्त करते हैं काम नहीं करते हैं यह सूत्रों का कहना है। अब मामले में यह सवाल उठता है की यही सुविधा सभी को दे दी जानी चाहिए और सभी को घर बैठे तनखाह दे दिया जाना चाहिए केवल अध्यक्ष पति के लिए ही यह विशेष सुविधा क्यों। अध्यक्ष यदि पार्टी या राजनीतिक दल के लिए महत्वपूर्ण हैं तो यह भी मानना होगा की सभी कर्मचारी मतदाता हैं और वह भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं इसलिए यह लाभ उन्हे भी मिलना चाहिए।