- मरीजों को टॉर्चर करना पड़ा भारी,लामबंद हुए मरीज कर्मचारियों की कर दी पिटाई
- टॉर्चर को लेकर हुई थी शिकायत,कोरिया कलेक्टर तक जाच फाइलों में, नतीजा पहुंचा मारपीट तक
- नवजीवन नशा मुक्ति केंद्र पटना कैसे बिना जिला प्रशासन की अनुमति से संचालित थी?
- शिकायत के बाद जब जांच टीम गई और वहां अनियमितता पाई गई तभी कार्यवाही क्यों नहीं की गई?
- निशुल्क सेवा देने के बजाय क्यों लिया जा रहा था पैसा
- 15 विस्तरीय अनुमति में 24 लोगों को कैसे रख कर चल रहा था नशा मुक्ति केंद्र?
- दैनिक घटती-घटना का खबर पर नजर
–रवि सिंह –
बैकुण्ठपुर 15 अप्रैल 2023 (घटती-घटना)। एनजीओ के नाम पर पैसे कमाने की ऐसी ललक की नवजीवन फाउंडेशन नशा मुक्ति केंद्र पटना में बिना अनुमति के ही संचालित किया जाने लगा, आश्चर्य की बात तो यह है कि जहां निशुल्क सेवा देनी थी वहां मरीजों के परिजनों से पैसे ऐठे जाने लग, 15 विस्तरीय क्षमत वाले अनुमति को नजरंदाज करते हुए नियम की धज्जियां उड़ाते हुए क्षमता से ज्यादा मरीजों को वहां पर रखकर कमाई का जरिया बना लिया गया, जिसकी शिकायत पहले भी हुई थी और शिकायत के बाद जांच दल भी जांच के लिए पहुंची पर इसके बावजूद जांच दल ने रिपोर्ट कलेक्टर के समक्ष पेश भी किया और उसमें कई कमियां पाई गई पर इसके बावजूद कार्यवाही ना होना कहीं ना कहीं बचाने का प्रयास नजर आता है, यदि उसी समय कार्यवाही हो गई होती तो आज यह घटना नहीं घटी होती।
वही विगत गुरुवार की रात्रि हुई मारपीट व तोड़फोड़ के बाद 22 नशेडि़यों के भागने के मामले में दोनों पक्षों ने स्थानीय थाने में शिकायत दर्ज कराई है। जिसके बाद बड़ा खुलासा हुआ जीमे पता चला की छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के पटना चिरगुड़ा स्थित नवजीवन नशा मुक्ति केंद्र बिना जिला प्रशासन के अनुमति के संचालित थी जिसकी जानकारी जिला प्रशासन को न होना किसी चमत्कार से कम नही है, यह संस्था जिला प्रशासन की बगैर अनुमति से बीते 10 माह से यहां अवैध तरीके से संचालित थी। यह खुलासा तब हुआ जब कलेक्टर कोरिया को इसकी शिकायत हुई। इसके पहले यहां जांच में पहुंची टीम को भी खामियां मिली थी, जाच रिपोर्ट भी कलेक्टर कार्यालय में प्रस्तुत कर दिया गया, इसके बावजूद जिला प्रशासन ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की। जिससे कार्यवाही नही होने से यह नशा मुक्ति केंद्र लोगों के लिए कमाई का जरिया बना था।
एक माह पहले हुई थी जांच
सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार इस संस्था के द्वारा पंचायत समाज कल्याण विभाग कार्यालय के कार्यादेश जारी किये बिना ही दिनांक 01.06.2022 से संस्था का संचालन किया जा रहा था। साथ ही इनके द्वारा समाज कल्याण विभाग के ऑनलाइन वेबसाइट में आज दिनांक तक प्रस्ताव आवेदन पत्र प्रस्तुत नही किया गया है। वही नवजीवन फाउण्डेसन नशा मुक्ति केन्द्र पटना शबरी सेवा संस्थान लखनपुर जिला सरगुजा के पंजीयन से संचालित किया जा रहा है। शबरी सेवा संस्थान लखनपुर जिला सरगुजा उप पंजीयक के द्वारा पंजीकृत है। नवजीवन फाउण्डेसन नशामुक्ति केन्द्र पटना में अव्यवस्था एवं मानसिक प्रताड़ना के संबंध में शिकायत मिलने पर दिनांक 01.03.2023 को संस्था का जाँच किया गया जिसमें संस्था के द्वारा अपने बयान में अवगत कराया गया है कि यह संस्था दिनांक 01.06.2022 से संचालित है। छत्तीसगढ़ शासन समाज कल्याण विभाग, मंत्रालय भवन नया रायपुर अटल नगर का पत्र अनुसार जारी दिशा निर्देश के आधार पर उनके संस्था में उपलब्धअभिलेख में पाया गया कि नशा मुक्ति केन्द्र संचालन हेतु दिये गये मापदण्ड अनुसार कार्यरत कर्मचारियों की व्यवस्था नहीं है। कोरिया में छ0ग0 शबरी सेवा संस्थान लखनपुर जिला सरगुजा द्वारा नवजीवन फाउण्डेसन नशा मुक्ति केन्द्र पटना में संचालन हेतु किसी प्रकार की अनुमति नही दी गई है। अतः संस्था वैद्यानिक है तथा विधि सम्मत रूप से इसका संचालन नही हो रहा है।
कोरिया के पटना चिरगुड़ा
में स्थित नवजीवन नशा मुक्ति केंद्र की कमियां
विशेष सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार जाँच के दौरान पटना में स्तिथ संस्था के नीरज कुमार तिवारी (काउंसलर) के द्वारा अवगत कराया गया कि सह संस्था 01 जून 2022 से संचालित है तथा माह फरवरी में 43 नशा पीडि़त लोग प्रवेशित थे, जिसमें से माह फरवरी अंत तक 17 लोग पारिवारिक सहमति से घर जा चुके है। 01.03.2023 को संस्था में कुल 28 नशा पीडि़त व्यक्ति उपस्थित पाये गये संस्था में निवासरत नशा पीडि़तों से प्रति 1 माह का 10 हजार रूपए उनके उपचार, भोजन आदि की व्यवस्था के लिये लिया जाता है। जबकि छत्तीसगढ़ शासन, समाज कल्याण विभाग, मंत्रालय, महानदी भवन, नवा रायपुर, अटल नगर के पत्र के द्वारा नशा पीडि़तों हेतु 15 विस्तरों का एकीकृत पुनर्वास केन्द्र (नशामुक्ति केन्द्र) की स्थापना हेतु दिशा-निर्देश जारी किया गया है, जिसमें 15 नशा पीडि़त व्यक्तियों को ही रखे जाने का प्रावधान हैं। साथ ही इन्हें निःशुल्क रखे जाने का प्रावधान भी है, जबकि इनसे 10 हजार प्रतिमाह शुल्क के रूप में लिया गया है। नशा पीडि़त हितग्राहियों ने अपने बयान में विगत 6 माह से रहना बताया है। इस संस्था में कोई भी विशेषज्ञ चिकित्सक या अंशकालीन चिकित्सक, मनोवैज्ञानिक, अंशकालीन योग थेरापिस्ट, नर्स, वार्ड व्याय नियुक्त नही है।
शिकयात के बाद पहुची थी गठित जांच दल
नशा पीडि़त व्यक्तियों एवं कर्मचारियों के बयान से यह स्पष्ट होता है कि हितग्राहियों से ही बर्तन एवं बाथरूम की साफ-सफाई का कार्य कराया जाता है किन्तु मानसिक प्रताड़ना व मारपीट एवं दुव्यवहार की शिकायत के संबंध में नशा पीडि़तों के द्वारा डर के कारण दिये गये बयान से मारपीट करना सिद्ध नही हुआ था। जहा जाँच शासन द्वारा जारी दिशा-निर्देश अनुसार तहसीलदार, पटवारी तथा संस्था में रहने वाले व्यक्तियों के समक्ष ग्राम पटना नवजीवन नशामुक्ति केन्द्र जिला कोरिया का निरीक्षण किया गया था। शासन के दिशा-निर्देश के निर्धारित मापदण्ड अनुसार नही पाया गया है। संस्था अवैधानिक रूप से संचालित है यह जाच में पाया गया फिर भी जाच रिपोर्ट मिलने के बाद जिला प्रशासन ने अब तक कार्यवाही नही की जिसका ही परिणाम है कि इस नशा मुक्ति केंद्र में इस तरह की घटना हुई। जैसा मरीज वैसी फीस घटना के बाद भर्ती लोगो के परिजनों ने स्थानीय थाने में इसकी शिकायत की है साथ ही बताया कि इस नशा नशा मुक्ति केंद्र में जो मरीज ठीक होने के लिए आता है उसके कपड़ों को देखकर फीस तय की जाती है। गरीब मरीज आया तो उससे 10 हजार रुपए हर माह के लिए जाते हैं। अगर कोई अच्छे कपड़े पहनकर आया तो उससे 20 हजार रुपए तक भी लिए जाते हैं।
भागने वाले मरीज बोले मारपीट की जाती थी
नशा मुक्ति केंद्र से जो 22 मरीज भागे। उनके परिजनों ने नव जीवन नशा मुक्ति केंद्र के संचालक पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि उनसे मारपीट की जाती है। कपड़े धुलवाए जाते हैं। अगर किसी ने खाने के बारे में पूछ लिया तो संचालक बदसलूकी करते हैं। अगर कोई कुछ बोलता है तो उसकी पिटाई निश्चित है। जो लोग ठीक हो गए। उनके परिजनों से कहते हैं कि अभी ठीक नहीं हुए हैं। वह पैसे की वसूली करना चाहते हैं। हमे नही मालूम था कि यह केंद्र बिना अनुमति के संचालित था वरना हम अपने बच्चों को नही भेजते।
इस मामले में संस्था व पीडि़त के परिजनों की और से शिकायत मिला है शिकायत के आधार पर जांच किया जा रहा मामला अभी विवेचना में है।
अनिल साहु थाना प्रभारी पटना