बैकुण्ठपुर@भाजपा में गुटबाजी की चरम सीमा पार,कैसे मिलेगी विधानसभा में जीत?

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  • दावेदारो का अपना अलग-अलग गुट,जिलाध्यक्ष स्वयं दे रहे गुटबाजी को हवा
  • धरातल में गायब हुआ संगठन सिर्फ कागज तक सीमित
  • सिर्फ पूर्व मंत्री के गुट को महत्व देने से हो रही जिलाध्यक्ष की किरकिरी
  • रवि सिंह –
    बैकुण्ठपुर 10 अप्रैल 2023 (घटती-घटना)। विधानसभा चुनाव को मात्र 8-9 महीने का समय शेष बच गया है ऐसे में प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा में जबरजस्त गुटबाजी देखी जा रही है,पार्टी की अंदरूनी स्थिति किसी से छिपी नही है,कार्यकर्ता एक दूसरे नेता के समर्थक के रूप में विभाजित नजर आ रहे हैं,विधानसभा चुनाव की तैयारी में मैदान में उतरे नेता भी अपना अलग-अलग गुट बनाकर काम कर रहे हैं,संगठन के मुखिया जिलाध्यक्ष भी स्वयं गुटबाजीक को हवा देते दिखलाई पड़ रहे हैं तो वहीं प्रदेश संगठन द्वारा दिया गया काम भी सिर्फ कागजो तक संचालित हैं, धरातल पर भाजपा भी कांग्रेस की नाकामी के भरोसे है अपना खुद का कोई ऐसा काम नही जिससे जनता भाजपा का साथ दे जिलाध्यक्ष पर आरोप लग रहा है कि वे सिर्फ पूर्व मंत्री के गुट को साथ देते हैं बाकि अन्य गुटों को वे हासिये पर रखकर किसी भी मंच पर नीचा दिखलाने में अभी भी कोई कसर नही छोड़ना चाहते इस स्थिति मे कहा जा सकता है कि आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी को अपने बलबूते जीत हासिल करने में काफी कठिनाई होगी।
    भाजपा में तीन गुट सक्रिय
    आगामी विधानसभा चुनाव के पूर्व भारतीय जनता पार्टी में तीन गुट सक्रिय दिखलाई दे रहे हैं, जो कि आम जन में भी चर्चा का विषय बना हुआ है। पूर्व मंत्री भैयालाल राजवाड़े का अपना एक अलग गुट स्वयं का है,जो कि पूर्व में संगठन से एकदम अलग हुआ करता था,समय के साथ परिस्थिति बदलते ही अब संगठन भी पूर्व मंत्री के साथ खड़ा दिखलाई देता है। इस बार संगठन के अहम पदो पर भी पूर्व मंत्री के खास समर्थको को तवज्जो दी गई है बाकि अन्य गुटो को दरकिनार कर दिया गया है। पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष शैलैष शिवहरे भी इस बार एक दावेदार हैं और वे खुलकर विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहे हैं किसी न किसी आयोजन के बहाने वे जनता तक पहुंच बनाने की कोशिश कर रहे हैं उनका अपना एक अलग गुट है,उनके पास समर्थको की एक फौज है,संगठन ने इस बार शैलू समर्थको को खास तवज्जो नही दी लेकिन वे अपने समर्थको के साथ मैदान में उतरने को तैयार दिखलाई दे रहे हैं। तीसरा गुट सोनहत क्षेत्र से आकर यहां पैर जमाने की कोशिश कर रहे देवेन्द्र तिवारी का है,भाजपा सरकार के कार्यकाल में सोनहत क्षेत्र में उनकी क्या स्थिति रही यह सब भलिभांति परिचित हैं। 2018 में भैयालाल राजवाड़े की हार के बाद बैकुंठपुर विधानसभा क्षेत्र में देवेन्द्र तिवारी की सक्रियता काफी बढी है,राजवाड़े समाज के युवाओं को साथ लेकर वे मैदान में दिखलाई पड़ते हैं। खुलक चुनाव लड़ने की बात तो वे नही करते लेकिन उनकी तैयारी देखकर राजनैतिक जानकार इसे विधानसभा चुनाव की तैयारी बतला रहे हैं। पिछले दिनों कोरिया सर्व विकास समिति के बैनर तले जिला मुख्यालय में रामनवमी पर शोभायात्रा निकाली गई थी जिसकी अगुवाई करते हुए देवेन्द्र तिवारी ने खुद को स्थापित करने की कोशिश तो की है लेकिन उनके ऊपर अभी स्थानीय नेता का छाप नही लग सका है। वे अपने एक अलग गुट के साथ काम करते देखे जा सकते हैं।इस प्रकार भाजपा में प्रमुख रूप से तीन गुट खुलकर सामने दिखलाई दे रहा है इन गुटो को एक करने में संगठन की कोई दिलचस्पी नही दिखलाई दे रही है जिससे कि आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
    पूर्व मंत्री के गुट को जिलाध्यक्ष का साथ
    जिलाध्यक्ष संगठन का मुखिया होता है, उसे हर गुटा के साथ समन्यवय के साथ काम करना होता है, सभी में तालमेल बैठाना जिलाध्यक्ष का कर्तव्य है लेकिन कोरिया जिले में भाजपा का संगठन और जिलाध्यक्ष इससे ठीक उल्टा काम कर रहे है। हर सार्वजनिक और राजनैतिक मंच पर जिलाध्यक्ष को पूर्व मंत्री के साथ देखा जा रहा है। लोगो का यह कहना है कि जिलाध्यक्ष पार्टी का मुखिया होता है और किसी भी एक गुट का नही होता हर गुट को समन्वय के साथ एक करना जिलाध्यक्ष का काम है लेकिन इससे उलट जिलाध्यक्ष द्वारा सिर्फ एक गुट विशेष को महत्व देना कहीं न कही पार्टी के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है। पार्टी के असंतुष्ट नेताओं का भी कहना है कि इस बार जो कार्यकारिणी मंडल से लेकर विभिन्न मोर्चा प्रकोष्ठ और जिले में बनाई गई है उसमें सिर्फ उन्हे महत्व दिया गया है जो कि पूर्व मंत्री का चरण वंदन करते फिरते हैं जिसका संबंध जरा भी किसी दूसरे बड़े नेता से दिखलाई दिया है उसे पार्टी संगठन में पद से काफी दूर रखा गया है। ऐसे कार्यकर्ता भी पार्टी में पद से दूर हैं जो कि बूथ स्तर पर वर्षो से काम कर रहे हैं संगठन की मनमानी से आज भाजपा में उपेक्षित और रूष्ठ कार्यकर्ताओं की भरमार है।
    चंद समर्थको ने देवेन्द्र तिवारी को खुद बना दिया लोकप्रिय
    बैकुंठपुर विधानसभा क्षेत्र में देवेन्द्र तिवारी का भी अपना एक अलग गुट सक्रिय है। उनके पास वरिष्ठ नेताओं कार्यकर्ताओं की कोई टीम तो नही लेकिन बहुत ही प्लानिंग के साथ वे विधानसभा की तैयारी में है। उनकी तैयारी देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि यदि पूर्व मंत्री भैयालाल राजवाड़े और शैलेष शिवहरे में से दोनो किसी कारणवश टिकट की दौड़ से बाहर होते हैं तो फिर पार्टी उन्हे मौका दे सकती है। खुले मंच पर देवेन्द्र तिवारी ने चुनाव लड़ने की इच्छा तो व्यक्त नही की लेकिन उनके समर्थक कई जगह पर यह कहते सुने जा सकते हैं कि उनके नेता यानि की देवेन्द्र तिवारी विधानसभा की तैयारी कर रहे हैं। देवेन्द्र तिवारी के पास अपने खुद के चंद कार्यकर्ता हैं जो कि उन्हे स्वयं लोकप्रिय का दर्जा देकर आए दिन सोशल मीडिया में बखान करते देखे जाते हैं,जनता में लोकप्रिय तो नही लेकिन खुद के कार्यकर्ताओं में प्रिय होने के कारण उन्हे लोकप्रिय की उपाधि भी दे दी गई है।
    क्या जिलाध्यक्ष चलवा रहे सोशल मीडिया में खुद के लिए कैंपेन?
    धरातल पर संगठन भले ही मजबूत न हो लेकिन इन दिनों सोशल मीडिया में भाजपा और खासकर जिलाध्यक्ष को काफी मजबूत भी देखा जा रहा है। अचानक कुछ कार्यकर्ता सोशल मीडिया में जिलाध्यक्ष की तारिफ करते देखे जा रहे हैं,लोगो को यह समझ नही आ रहा कि आखिर अचानक ऐसा बड़ा काम संगठन स्तर पर क्या हो गया कि कुछ कार्यकर्ता जिलाध्यक्ष की जमकर तारिफ कर रहे हैं। एक कार्यकर्ता ने सोशल मीडिया पर जो पोस्ट किया है उसके अनुसार हमारे यशस्वी जिलाध्यक्ष सम्माननीय कृष्णबिहारी जायसवाल जी के नेतृत्व में निश्चित तौर पर कमल खिलेगा आप के कार्य करने की लगन मेहनत हम युवाओं को प्रेरणा देती है हम सब आपके साथ है आपके मार्गदर्शन में आगे का पार्टी को मजबूत करने की दिशा में कार्य करते रहेंगे। जिलाध्यक्ष के लिए इस प्रकार का सोशल मीडिया पोस्ट आजकल लोगो में चर्चा का विषय बना हुआ है।
    भाजयुमो जिलाध्यक्ष मामले पर भी जिलाध्यक्ष की किरकिरी
    कोरिया जिले में संगठन की स्थिति कैसी है यह समझा जा सकता है कि पूर्व में जमानत पर छूटे बिल्डर से प्रेम दिखलाते हुए जिलाध्यक्ष ने भाजपा जिला कार्यकारणी सदस्य के रूप में शामिल कर लिया था जबकि कई सक्रिय कार्यकर्ता कार्यकारणी तो दूर मोर्चा प्रकोष्ठ में भी पद नही पा सके थे। अब भाजयुमो जिलाध्यक्ष अंचल राजवाड़ै के मामले में भी जिलाध्यक्ष की जमकर किरकिरी हो रही है, गंभीर धाराओं के अपराधी भाजयुमो जिलाध्यक्ष को उच्च न्यायालय से जमानत मिलने के बाद भाजपा कार्यालय में बुलाकर स्वागत सत्कार किया जाता है, जिलाध्यक्ष की मौजूदगी में उन्हे सम्मान दिया जाता है इस प्रकार का वाकया पहले कभी भी नही हुआ। इस मसले पर पार्टी की साख पर भी निश्चित है कि असर पड़ेगा। सूत्रो ने बतलाया कि चुकि भाजयुमो जिलाध्यक्ष पूर्व मंत्री के चहेते हैं उन्होने ही भाजयुमो जिलाध्यक्ष बनवाया था इसी कारण अपराध दर्ज होने के बाद भी पद से नही हटाया गया और तो और जमानत मिलने पर भाजपा कार्यालय में ही स्वागत कर दिया गया।
    शैलू समर्थक संगठन से दूर कर रहे विधानसभा की तैयारी
    गुटो में बंटी भाजपा में एक प्रमुख खेमा पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष व भाजपा के जिलाध्यक्ष शैलेष शिवहरे का भी है,संगठन ने इस बार शैलेष शिवहरे समर्थको को कोई खास तवज्जो नही दी,श्री शिवहरे के पास कार्यकर्ताओं को हूजूम हैं इसलिए भाजपा के कार्यक्रमों में उन्हे सिर्फ भीड़ जुटाने के लिए आमंत्रित किया जाता है। बाकि कई निर्णयों में उन्हे दरकिनार रखा जाता है। संगठन से शैलेष शिवहरे समर्थको की दूरी जगजाहिर है लेकिन इन सबसे दूर वे अब जोर शोर से विधानसभा चुनाव की तैयारी में लगे हुए हैं। श्री शिवहरे टिकट की दौड़ में स्वाभाविक रूप से शामिल हैं,इसलिए पूर्व मंत्री से उनकी दूरी देखी जा रही है,संगठन के मुखिया भी कहीं न कही टिकट की चाह रखते हैं इसलिए शैलेष शिवहरे एवं उनकी टीम को हासिए पर रखा गया है।
    केन्द्र की योजनाओं को जन-जन तक नही पहुंचा सकी भाजपा
    प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी विपक्ष की भूमिका में है,कांग्रेस सरकार का विरोध करने के लिए पार्टी के पास मुद्वो की कमी नही है लेकिन जनहित के मुद्वो को लेकर कभी भी जिले में पार्टी को प्रदेश सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करते नही देखा गया। केन्द्र में भाजपा की सरकार है और निश्चित तौर पर केन्द्र स्तर पर अनेक ऐसी योजनाएं हैं जिनसे कि आम जन लाभान्वित हो रहे हैं लेकिन संगठन में सोच का अभाव और फूट का परिणाम है कि यहां पार्टी केन्द्र की योजनाओं का प्रचार करने में भी काफी पीछे है। आज पार्टी में ईमानदार कार्यकर्ताओं की पूछ परख खत्म हो गई है इसलिए केन्द्र की योजनाओं का प्रचार प्रसार नही किया गया। यदि संगठन यहां मोदी सरकार की उपलब्धयों को बखान करती तो निश्चित था कि आगामी चुनाव में उसे लाभ मिलता लेकिन पार्टी इससे कोसो दूर है।
    अपना एजेंडा कुछ नही,कांग्रेस की नाकामी के भरोसे पार्टी
    भाजपा के पास स्थानीय स्तर पर कोई भी एजेंडा नजर नही आता,बीच में पूर्व मंत्री मामले में उनके व्यक्तिगत प्रयास से जरूर एक प्रदर्शन किया गया था लेकिन उसमें पार्टी संगठन की भूमिका भी नगण्य थी,प्रदर्शन में जो भीड़ आई थी वह पूर्व मंत्री के सम्मान मंे आई हुई भीड़ थी जिसमें कि रजवार समाज के लोग ज्यादा शामिल थे। सूत्र बतलाते हैं कि उक्त प्रदर्शन में भी श्रेय लेने में जिलाध्यक्ष नही चुके और उस भीड़ को संगठन द्वारा लाई गई भीड़ बता रहे थे। स्थानीय स्तर पर कांग्रेस में भी भले ही बिखराव हो लेकिन उसके पास संगठन के लिए समर्पित कार्यकर्ता हैं कांग्रेस संगठन में भी असंतुष्ट की संख्या काफी कम है। भाजपा जिसे अभी तक काफी हमलवार होना था लेकिन एजेंडा की कमी के कारण धरातल और आमजन के पहुंच से काफी दूर है,भाजपा को यह उम्मीद है कि वर्तमान विधायक अंबिका सिंहदेव और कांग्रेस सरकार की नाकामी का फायदा उसे मिलेगा,कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि भाजपा दूसरे के कंधे पर बंदूक रखकर चलाने की फिराक में है यदि कांग्रेस वर्तमान विधायक का टिकट काटकर किसी दूसरे को मैदान में उतार देती है तो निश्चित है कि भाजपा को इस बार भी इस सीट से हाथ धोना पड़ेगा। संगठन में भारी कमी, हवा हवाई कागजी खानापूर्ति,कागज मे कार्यकारणी और गुटबाजी का खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ सकता है।

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