जगदलपुऱ़,09 अप्रैल 2023 (ए)। आबकारी एवं उद्योग मंत्री कवासी लखमा ने प्रदेश में शराबबंदी को लेकर कहा कि छत्तीसगढ़ में शराबबंदी हो सकती है लेकिन उनके जिंदा रहते बस्तर में तो शराबबंदी नहीं होगी। कवासी लखमा ने शराब बस्तर की आदिवासी संस्कृति का अभिन्ना हिस्सा बताते हुए उन्होने कहा कि यहां पांचवी अनुसूची और पेसा कानून लागू है और ग्रामसभा को बड़े निर्णय लेने का अधिकार है। बस्तर में ग्रामसभा की अनुमति के बिना शराबबंदी केंद्र हो या राज्य कोई सरकार नहीं कर सकती। ग्रामसभा जब चाहेगी तभी यहां शराबबंदी हो सकती है लेकिन उनका विश्वास है कि ग्रामसभा और सर्व आदिवासी समाज इसका समर्थन नहीं करेगा।
मंत्री कवासी लखमा 13 अप्रैल को प्रियंका गांधी के बस्तर प्रवास को लेकर यहां लालबाग मैदान में सम्मेलन स्थल में चल रही तैयारियां देखने पहुंचे थे, इसी दौरान कवासी लखमा ने शराबबंदी को लेकर मीडिया से खुलकर चर्चा की। दो दिन पहले शराबबंदी को लेकर दिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बयान का लखमा ने समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने कहा है कि लोग पीना छोड़ दें तो अभी शराबबंदी कर दूंगा, इसमें कुछ भी गलत नहीं है। उन्होने कहा कि छत्तीसगढ़ के शेष हिस्से से बस्तर की स्थितियां अलग है, बस्तर की आदिवासी संस्कृति में धार्मिक अनुष्ठान से लेकर सामाजिक कार्यक्रमों में शराब का उपयोग करने की पंरपरा है। यहां के लोग परिश्रमी हैं और इनमें कई दिन भर मेहनत मजदूरी करने के बाद शराब पीकर थकान मिटाते हैं।
कवासी लखमा ने कहा कि विदेश में सौ प्रतिशत लोग शराब पीते हैं। बस्तर में 90 प्रतिशत लोग शराब पीते हैं, लेकिन शराब पीने का स्टाइल नहीं जान रहे हैं, कम मात्रा में शराब पीने से कोई नहीं मरता। अधिक मात्रा में शराब का सेवन नुकसान दायक है। यहां बस्तर में श्रमिक कठिन परिश्रम करते हैं और इनमें कुछ शराब पीते हैं, दवाई के रूप में इसका सेवन करते हैं। उन्होंने कांग्रेस के घोषणापत्र में शामिल शराबबंदी के मुद्दे पर लेकर पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के बयानों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि डा. रमन सिंह ने कभी बोरा उठाने का काम नहीं किया इसलिए उन्हें मजदूर के परिश्रम की जानकारी नहीं है।
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