उमेश पाल की पत्नी ने रोते हुए अतीक अहमद को मौत की सजा दिए जाने की उठाई मांग
फांसी की मांग,अशरफ को बताया सजा का हकदार
उमेश पाल अपहरण केस में अतीक समेत 3 आरोपियों को उम्रकैद
इस मामले में अशरफ समेत 7 आरोपियों को कोर्ट ने किया बरी
तीनों दोषियों ने कहा-सजा के खिलाफ जाएंगे हाईकोर्ट
प्रयागराज,28 मार्च 2023 (ए)। उमेश पाल अपहरण मामले में मुख्य अभियुक्त माफिया अतीक अहमद समेत 3 अभियुक्तों को एमपी-एमएलए कोर्ट के जज डॉ दिनेश चंद्र शुक्ल ने दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। जबकि 7 आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया है। उमेश पाल की 24 फरवरी को पहले प्रयागराज में हत्या हो गई थी। उमेश पाल के परिवार ने कोर्ट से माफिया अतीक के खिलाफ मृत्युदंड की मांग की है।
उमेश पाल और उनके सुरक्षा कर्मियों की पिछले महीने 24 फरवरी को प्रयागराज में बदमाशों ने गोली और बम मारकर हत्या कर दी थी। उमेश पाल विधायक राजू पाल की हत्या के मामले में गवाह थे। उनसे गवाही बदलवाने के लिए अतीक ने 17 साल पहले 28 फरवरी 2006 को अतीक और उसके गुर्गों ने उमेश पाल का अपहरण कर लिया था। उन्हें अपने दफ्तर ले जाकर टार्चर किया और फिर जबरदस्ती हलफनामा दिलवाकर गवाही बदलवा दी। आज उमेश के साथ अतीक के गुनाहों का पहला इंसाफ हो गया है। एमपी-एमएलए सेशन कोर्ट ने अतीक समेत कुल 3 आरोपियों को इस मामले में दोषी करार दिया है।
मामले में अतीक का भाई अशरफ सहित कुल 11 आरोपी थे। इनमें से एक की मौत हो चुकी हैै। मामले में अशरफ समेत सात आरोपियों को बरी कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि फैसला सुनाए जाने के वक्त अतीक अपने भाई अशरफ से गले मिलकर रोने लगा। अतीक, पूर्व पार्षद दिनेश पासी और सौलत हनीफ खान एडवोकेट को दोषी करार दिया गया है। 10 में से तीन आरोपी कोर्ट में पेश नहीं हुए थे जिनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है। फैसले के बाद कचहरी परिसर में वकीलों ने ‘फांसी दो, फांसी दो’ के नारे भी लगाए।
सजा पर बहस हो गई है। बताया जा रहा है कि दोषी करार दिए गए अतीक, दिनेश और सौलत को आज ही सजा भी सुनाई जाएगी। थोड़ी ही देर में सजा का ऐलान किया जा सकता है। सजा पर बहस के दौरान अतीक ने खुद अपना पक्ष रखा है।
अतीक अहमद और दिनेश पासी को 364-ए/34, 120 बी, 147, 323/149, 341, 342, 504 के तहत दोषी ठहराया गया है। जबकि सौलत हनीफ खान, जो अतीक के वकील हैं, उन्हें 506(2), 7सीआरएलए, 364 और 120 बी के तहत दोषी करार दिया गया है। इसमें सबसे बड़ी धारा 364-ए/34 अपहरण कर जान से मारने की धमकी की है, जिसमें फांसी अथवा आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है।
उमेश पर ऐसे ढाया गया था जुल्म
दोषी करार दिए गए अतीक के जुल्मों की कहानी कितनी खौफनाक है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2006 में जब उमेश पाल का अपहरण हुआ तो एक साल तक वह अतीक के खिलाफ केस ही दर्ज नहीं करा पाए। अतीक के खिलाफ केस दर्ज हुआ यूपी की सत्ता में बसपा के आने और सुश्री मायावती के मुख्यमंत्री बनने के बाद। उमेश ने 5 जुलाई 2007 को अतीक और उसके गुर्गों के खिलाफ केस दर्ज कराया। उमेश ने इन पर अपहरण कर अपने दफ्तर में ले जाने, बंधक बनाने, जबरन हलफनामा तैयार कराने और गवाही दिलाने का आरोप लगाया था।
पुलिस का मामना है कि अतीक ने उमेश को किडनैप करने के बाद अपने दफ्तर के टार्चर रूम में बंधक बनाया था। वहीं उमेश की बेरहमी से पिटाई की गई थी और जबरन उससे हलफनामा लिया गया कि राजू पाल हत्याकांड में वह मौके पर नहीं था। हलफनामे के साथ अतीक के करीबियों ने उमेश पाल को ले जाकर कोर्ट में पेश किया जहां उसने गवाही दी थी कि हलफनामा वह अपने होशोहवास में लगा रहा है। उमेश ने अतीक के डर से गवाही दे दी थी कि वह राजू पाल हत्याकांड के वक्त मौके पर नहीं था। इसके बाद उमेश को अतीक के गुर्गों ने छोड़ दिया।
अतीक से मिल जाने की फैल गई थी चर्चा
कोर्ट में विधायक राजू पाल हत्याकांड में दी गई गवाही बदलने के बाद उमेश पाल के बारे में प्रयागराज में चर्चा फैल गई थी कि वह अतीक से मिल गए हैं। जबकि सच्चाई यह थी कि उमेश बुरी तरह डरे हुए थे। सूबे की सत्ता बदलने के बाद उनका यह डर कुछ कम हुआ तो उन्होंने अतीक के खिलाफ केस भी दर्ज कराया। अपहरण के एक साल बाद दर्ज हुई एफआईआर को लेकर लम्बी कानूनी लड़ाई चली। इस बीच राजू पाल मर्डर केस की भी कानूनी लड़ाई उमेश लड़ते रहे। इसी बीच 24 फरवरी को गाड़ी से उतरते वक्त बदमाशों ने उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर हत्या कर दी। उमेश के साथ उनके गनर की भी मौत हो गई थी। कुल 44 सेकेंड में अंजाम दिया गया।
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