कोरबा,@वन मंडल कटघोरा में सीमेंट खम्बों की जगह लकड़ी गाड़कर सीमेंट के खंभे का पैसा निकाला गया

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  • राजा मुखर्जी –
    कोरबा,27 मार्च 2023 (घटती-घटना)। शासन की विभिन्न योजनाओं सहित कैंपा मद,नरवा विकास योजना के मद से लेकर विभिन्न मदों के कार्यों में जंगल में घोटाला किया जा रहा है। एक और सनसनीखेज मामला सामने आ रहा है जिसमें लकड़ी गाड़कर सीमेंट के खंभे का पैसा निकाला गया है। लकडि़यों की खरीदी नहीं की गई बल्कि जंगल से ही कटवा कर उपयोग किया गया । एएनआर(प्राकृतिक पुनरूत्पादन) कार्य के अंतर्गत ठूंठ कटाई और लकड़ी खंभे से कांटा तार फेंसिंग कार्य में भारी अनियमितता कर लाखों- करोड़ों रुपये का घोटाला किया गया है। यदि ईमानदारी से जांच हो तो बड़ा घोटाला और विाीय अनियमितता उजागर होने की संभावना है। दरअसल कोरबा जिले के कटघोरा वनमण्डल अंतर्गत चैतमा रेंज के बारी उमराव आरेंज क्षेत्र 541 कूप क्रमांक 08 में 6300 रनिंग मीटर लागत 939000 रुपये के स्थान पर सड़क के दोनों ओर सिर्फ 500 रनिंग मीटर ही लकड़ी खंभे से कांटा तार फेंसिंग का कार्य होना दिख रहा है। जिसमें प्रथम दृष्टया भारी भ्रष्टाचार प्रतीत हो रहा है। एक स्थानीय ग्रामीण मजदूर के अनुसार 20 रुपये प्रति नग में जंगल से काटकर लकड़ी के खंभे का जुगाड बना लिया गया और मानक के विपरीत 14म14 गेज के स्थान पर कम गेज की मोटाई वाला कांटा तार लगाया गया है। विभागीय सूत्रों के बताए अनुसार प्रोजेक्ट के अनुसार 4द्व/द्मद्द के 5 स्टेंड लगाना था तथा 7 रो में कांटा तार लगाए जाने का नियम है जिसमे 2 रो डायगोनल फिक्स किया जाना था। पहला रो जमीन सतह से 9 इंच की ऊंचाई पर दूसरा पहले से 9 इंच के अंतर तथा तीसरा चौथा व पांचवे रो में 12 इंच का अंतर होना चाहिए परंतु यहां खानापूर्ति मात्र किया गया है। लकड़ी खंभा या आरसीसी पोल को 30म30 *45 ष्द्व साइज का गढ्ढा खोदकर 1ः3ः6 के अनुपात में कंक्रीट से फिक्स किए जाने का नियम है,लेकिन यहां नाम मात्र गढ्ढा खोदकर मिट्टी से पाटा गया है। इसके अतिरिक्त इस कार्य में वर्ष 2022-23 के लिए लगभग 780000 रुपये की राशि ठूठ ड्रेसिंग,क्लीनिंग,अग्नि सुरक्षा , जुताई तथा अन्य आकस्मिक व्यय के नाम पर फर्जी निकाल लिया गया है जबकि उपरोक्त कोई भी कार्य नही हुआ है यही नहीं कूप क्रमांक 08 के कक्ष क्रमांक 25 राहा तथा कूप क्रमांक 08 के कक्ष क्रमांक 78 चैतमा में 2-3 सौ आरसीसी पोल दिखाने मात्र के लिए गिराया गया है लेकिन बिल व्हाउचर प्रोजेक्ट के अनुसार पूरे का बनाया गया है। इसमें दोष काम कराने वाले वन कर्मचारियों का नहीं है। क्या करें बेचारे, जितना खंभा और तार सप्लाई में लिया गया उतने का ही काम कराया क्योंकि सप्लाई में ही कांटा मार लिया गया। हालांकि जंगल में लकडि़यों को गाड़ कर भी कंटीले तार का घेरा लगाया जाता रहा है लेकिन इस मामले में लकडि़यों को गाड़ने का ऑर्डर कैंसिल करके सीमेंट के पोल पर तार लगाने संबंधित निर्देश दिया गया था। इस बारे में जानकारी लेने के लिए कटघोरा डीएफओ श्रीमती प्रेमलता यादव को फोन लगाया गया तो कवरेज से बाहर मिला वहीं पाली एसडीओ चंद्रकांत टिकरिया को फोन लगाने पर उन्होंने हर बार की तरह इस बार भी फोन उठाना जरूरी नहीं समझा। गौरतलब हो कि शासन द्वारा बनाया गया कोई भी प्रोजेक्ट गलत नही होता लेकिन सही और गुणवाायुक्त प्रोजेक्ट भ्रष्ट अधिकारियों की धनलिप्सा की भेंट चढ़ जाया करती है। शासन कटघोरा वनमंडल में हो रहे खुला भ्रष्ट्राचार को लेकर अनजान है या आंखों में पट्टी बंध गई है, यह तो शासन स्तर ही जाने, लेकिन इस वनमंडल में हो रहे खुले तौर पर भ्रष्ट्राचार की खबर लगातार प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक्स व सोशल मीडिया में आने के बाद भी भ्रष्ट्रसुरों पर कार्रवाई न होना शासन हीनता को उजागर करता है।

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