कोरबा,23 मार्च 2023 (घटती-घटना)। शासन किसी योजना अथवा निर्माण के संबंध में उसके प्राक्कलन के अनुसार राशि विभागों को जारी करती है जिसमें काम करने वालों का मेहनताना भी शामिल होता है, परंतु यह विडंबना है कि मजदूरों को उनका मेहनताना देने में अधिकारियों और ठेकेदारों के पसीने छूट जाते है। दूसरी तरफ निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार कर, गुणवाा हीन सामग्रियों का उपयोग कर लाखों रुपए यूं ही बचा लिए जाते हैं। आधे-अधूरे कार्यों का पूरा भुगतान हो जाता है, जो काम हुए ही नहीं उनकी भी राशि निकल जाती है, फर्जी मजदूरों का भुगतान करने में भी कोई हिचकिचाहट नहीं होती, सरकारी राशि निजी खातों में यूं ही डाल दी जाती है लेकिन हाथ नहीं कांपते न कार्यवाही का भय सताता है। ऊपर से फाइल आगे बढ़ाने, कार्य का भुगतान करने के एवज में कमीशनखोरी भी अलग से की जाती है । ऐसे ही अधिकारियों और कर्मचारियों तथा चंद ठेकेदारों के भ्रष्ट कारनामों का खामियाजा मेहनतकश मजदूर भुगत रहे हैं। आदिवासी और जंगल क्षेत्र में रहने वाले मजदूरों का हाल और भी बदहाल है जो अपने शोषण के विरुद्ध आवाज उठाने में संकोच करते हैं / डरते हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है और इसकी शिकायत की गई है जिसमें 01 साल पहले कराए गए कार्य की मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया और वह डल्यूबीएम सड़क भी बह गई। यह कार्य कटघोरा वन मंडल के चैतमा वन क्षेत्र अंतर्गत सपलवा से छिंदपहरी के मध्य 03 किलोमीटर डल्यूबीएम सड़क निर्माण कार्य का है। इस कार्य में लगे मजदूरों के द्वारा इस वर्ष भी रामाकछार से बगदरा छिंदपानी के मध्य डल्यूबीएम सड़क में मजदूरी की जा रही है। पेट की आग बुझाने के लिए काम करना जरूरी है लेकिन इनका पसीना सूख जाने के बाद भी मेहनताना नहीं मिलना शर्मनाक है। मजदूरी भी शासन से निर्धारित दर के अनुसार ना देकर काफी कम दी जा रही है और उस पर भी रकम बकाया रखी जा रही है तो समझा जा सकता है कि वन अधिकारियों की नाक के नीचे किस प्रकार से मजदूरों का शोषण हो रहा है।
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