नई दिल्ली@मेहुल चोकसी पर से क्यों हटाया गया रेड कॉर्नर नोटिस

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कांग्रेस अब इस मामले को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साध रही है
इससे भारत को क्या नुकसान होगा?
इंटरपोल ने मेहुल चौकसी का रेड कॉर्नर नोटिस क्यों रद्द किया?
चोकसी के लिए इसके क्या मायने?
नई दिल्ली,22 मार्च 2023 (ए)।
पंजाब नेशनल बैंक घोटाला मामले में फरार हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी का नाम इंटरपोल के ‘रेड नोटिस’ से हटा दिया गया है। फ्रांस के लियोन शहर स्थित इंटरपोल के मुख्यालय में चोकसी की ओर से दायर याचिका के आधार पर यह कदम उठाया गया है। अब कांग्रेस अब इस मामले को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साध रही है। पार्टी ने आरोप लगाया कि विपक्षी नेताओं के खिलाफ ईडी और सीबीआई का इस्तेमाल होता है, लेकिन चोकसी को इंटरपोल से रिहाई दिलवाई जा रही है।
मेहुल चौकसी को लेकर हुआ क्या है? इंटरपोल ने मेहुल चौकसी का रेड कॉर्नर नोटिस क्यों रद्द किया? कैसे जारी होता है नोटिस? रद्द कैसे होता है रेड कॉर्नर नोटिस? हटने के बाद भारत को क्या नुकसान? चोकसी के लिए इसके क्या मायने?
मेहुल चोकसी को लेकर हुआ क्या है?
13,000 करोड़ रुपये घोटाले में वांछित और भगोड़े कारोबारी मेहुल चोकसी को इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस की अपनी सूची से हटा दिया है। सूत्रों का कहना है कि यह कदम चोकसी की सूची से अपना नाम हटाने की अपील पर किया गया। मेहुल चोकसी के जनवरी 2018 में देश से फरार होने के करीब 10 महीने बाद इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था। देश छोड़ने के बाद चोकसी ने एंटीगुआ और बारबूडा की नागरिकता हासिल कर ली थी।
इंटरपोल ने मेहुल चौकसी से रेड कॉर्नर नोटिस क्यों हटाया?
जानकारी के मुताबिक, चोकसी ने अपने खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की सीबीआई की याचिका को चुनौती दी थी। उसने अपने मामले को राजनीतिक साजिश करार दिया था। उसने भारत में जेलों की स्थिति, व्यक्तिगत सुरक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों के भी सवाल उठाए थे। यह मामला पांच सदस्यीय इंटरपोल समिति की अदालत में गया जिसने रेड कॉर्नर नोटिस को रद्द कर दिया। वहीं, दूसरी ओर सीबीआई 13,000 करोड़ रुपये के बैंक घोटाले में चोकसी और नीरव मोदी के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल कर चुकी है।
रेड कॉर्नर नोटिस हटने के बाद चोकसी भारत को छोड़कर कहीं भी यात्रा करने के लिए स्वतंत्र है। हालांकि इससे भारत में लंबित उनके आपराधिक मुकदमे पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है। रेड कॉर्नर नोटिस एक प्रयास था कि उसे पकड़ा जा सके और यहां (भारत) लाया जा सके यदि वह कहीं भी यात्रा कर रहा है। ऐसे में अब उसे इस जोखिम से राहत मिल गई है।
सीबीआई ने इस पर क्या कहा?
इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए सीबीआई ने कहा है कि भारत की ओर से किए गए प्रत्यर्पण अनुरोध पर एंटीगुआ और बारमुडा में अधिकारियों के समक्ष सक्रिय रूप से विचार किया जा रहा है। सीबीआई ने यह भी कहा है कि इंटरपोल के रेड कॉर्नर नोटिस के डाटाबेस से उसका नाम हटने का कोई असर नहीं पड़ेगा। केंद्रीय एजेंसी ने कहा कि वह इस त्रुटिपूर्ण निर्णय को सुधारने और नोटिस की बहाली के लिए इंटरपोल के भीतर उपलब्ध विकल्पों का उपयोग करना जारी रखेगी।
क्यों और कैसे जारी होता है रेड कॉर्नर नोटिस?
रेड कॉर्नर नोटिस उन भगोड़ों के लिए जारी किया जाता है जो या तो मुकदमा चलाने या सजा काटने के लिए वांछित हैं। रेड कॉर्नर नोटिस दुनियाभर की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए एक अनुरोध होता है कि वो प्रत्यर्पण, आत्मसमर्पण या इसी तरह की कानूनी कार्रवाई के लिए विचाराधीन व्यक्ति का पता लगाने और अस्थायी रूप से गिरफ्तार करें।
इंटरपोल ने अपने सभी 195 सदस्य देशों में एक राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो को उस सदस्य और इंटरपोल की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच संपर्क के एकल बिंदु के रूप में नामित किया हुआ है। भारत के राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो के रूप केंद्रीय जांच ब्यूरो (ष्टख्ढ्ढ) इंटरपोल में नामित है। सीबीआई ही इंटरपोल में भगोड़ों/अपराधियों के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस को प्रकाशित करने, मेंटेन करने और अपडेट करने के लिए अधिकृत है।
रेड नोटिस रद्द कब होता है?
नोटिस प्रकाशित होने के बाद जब भी संबंधित व्यक्ति द्वारा नई और प्रासंगिक जानकारी इंटरपोल के महा सचिवालय के ध्यान में लाई जाती है, तो टास्क फोर्स मामले की फिर से जांच करता है। यदि किसी नोटिस का मूल्यांकन किया जाता है कि वह अब इंटरपोल के संविधान और नियमों के मुताबिक नहीं है, तो उसे रद्द कर दिया जाता है। सभी सदस्य देशों को निर्णय के बारे में सूचित किया जाता है और राष्ट्रीय डेटाबेस से सभी जानकारी को हटाने का अनुरोध किया जाता है।
इंटरपोल क्या है?
इंटरपोल, या अंतर्राष्ट्रीय अपराध पुलिस संगठन, 195 सदस्य देशों के साथ एक अंतर-सरकारी संगठन है। इसका मुख्यालय ल्योन, फ्रांस में है और दुनिया भर के कई देशों में इसके कार्यालय हैं। 1923 में स्थापित संस्था अंतर्राष्ट्रीय अपराध से लड़ने के लिए वैश्विक पुलिस सहयोग मुहैया कराती है।
रेड कॉर्नर नोटिस में क्या होता है?
रेड कॉर्नर नोटिस में मुख्य रूप से दो तरह की सूचनाएं होती हैं। पहली- वांछित व्यक्ति की पहचान करने की जानकारी, जैसे उनका नाम, जन्म तिथि, राष्ट्रीयता, फोटोग्राफ आदि। दूसरी- जिस अपराध के लिए वो वांछित हैं, उसके बारे में जानकारी। इंटरपोल के अनुसार इन अपराधों में आमतौर पर हत्या, बलात्कार, बाल शोषण या सशस्त्र डकैती शामिल है।
रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की प्रक्रिया क्या है?
एक स्पेशल टॉस्क फोर्स इंटरपोल के नियमों के मुताबिक, प्रत्येक रेड कॉर्नर नोटिस अनुरोध की समीक्षा करती है। टीम प्रकाशन के समय उपलब्ध जानकारी पर विचार करती है। यदि महा सचिवालय के ध्यान में नई और प्रासंगिक जानकारी लाई जाती है, तो टास्क फोर्स मामले की फिर से जांच करती है।
रेड कॉर्नर नोटिस अहम क्यों है?
रेड कॉर्नर नोटिस अंतरराष्ट्रीय वांछित भगोड़ों के बारे में दुनियाभर की पुलिस को सचेत करने में मदद करता है। इस प्रकार वे प्रत्यर्पण प्रक्रिया में तेजी लाने और न्याय प्रक्रिया में मदद कर सकते हैं। प्रत्येक सदस्य देश यह तय करने के लिए स्वतंत्र है कि वह रेड नोटिस को कितना कानूनी अहमियत देना चाहता है।
रेड के अलावा अन्य इंटरपोल नोटिस होते हैं?
इंटरपोल आठ अलग-अलग प्रकार के अंतर्राष्ट्रीय नोटिस जारी करता है, जिनमें से अधिकांश नाम रंगों पर हैं। इनमें रेड नोटिस, ग्रीन नोटिस, येलो नोटिस, ऑरेंज नोटिस, ब्लू नोटिस, पर्पल नोटिस, ब्लैक नोटिस और एक इंटरपोल-संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद विशेष नोटिस शामिल हैं।
कितने भारतीयों के खिलाफ जारी हो चुका है नोटिस?
पिछले साल जून में गैंगेस्टर गोल्डी बराड़ के खिलाफ इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था। पूर्व में भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उसकी पत्नी एमी मोदी, भगोड़े कारोबारी मेहुल चोकसी, गैंगस्टर रवि पुजारी और छोटा राजन के खिलाफ इस तरह का नोटिस जारी किया जा चुका है।


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