रायपुर@मौत की भीख मांगती जिंदगी

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अशोक ठाकुर-
रायपुर,15 मार्च 2023 (घटती घटना)।
पिछले दिनों प्रदेश की राजधानी रायपुर के एक सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में आगजनी की घटना में 6 लोग अकाल काल की गाल मे समा गए। यह दुखद घटना ने हर दिल को झकझोर कर रख दिया। वहीं अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के साथ जिला स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर भी प्रश्रवाचक चिन्ह खड़ा कर दिया है। वहीं दूसरी तरफ जिला प्रशासन ने मृतकों के परिजनों को 4 लाख मुआवजे का मरहम लगाया है। जो कि इस जख्म के लिए काफी नहीं है। अब स्वास्थ्य विभाग कई सवालों के घेरे पर घिरता नजर आ रहा है। जिस तरह बताय गया कि जिस भवन में वह अस्पताल था उसमें शार्ट-सर्किट के कारण यह दुर्भाग्य जनक दुर्घटना घटी जानकार लोगों के अनुसार इतने बड़े अस्पताल में फायर सिस्टम नहीं होने का दूसरा कारण गिनाया जा रहा है। अब सवाल पर सवाल यह उठता है कि इस घटना पर पुलिस प्रशासन ने लापरवाही पूर्वक गैर इरादतन हत्या का केस की धारा 304-ए दर्ज कर मामले को लिपापोती करने का प्रयास कर रही है। यह कहावत चरितार्थ होता है कि बदन में कोढ़ और उस पर खाज । यह भी बताया जा रहा है कि इस भवन का निर्माण पहले व्यवसायिक कार्य के लिए किया गय था। जो कि बाद में चलकर किसी निजी अस्पताल संचालकों को सुपरस्पेशलिटी हास्पिटल बनाने के लिए किराए पर दिया गया। बात यहां तक नहीं है। अब सवालों के जाल में पूरा जिला स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह फंस चुका है। नर्सिंग होम एक्ट पर नजर डाले तो नर्सिंग होम एक्ट के तहत किसी भी अस्पताल के लिए लाइसेंस लेने के पूर्व लाइसेंस के लिए अप्लाई करने वाले का विभाग द्वारा स्थल निरीक्षण किया जाना अति आवश्यक होता है। जिसमें आवागमन के लिए खुला मार्ग, फायर सेफटी सिस्टम ऑक्सीजन चेम्बर सहित बिस्तरों की जानकारी ऑपरेशन थियेटर आईसीयू कक्ष, जनरल वार्ड, सहित कई अन्य सुविधाओं का प्रावधान है लेकिन इसी विडंबना कहे या भ्रष्टाचार के चरखे पर रूपयों की कताई कहें। तत्कालीन जिला स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा तमामा नियमों को दरकिनार करते हुए नर्सिंग होम संचालक को लाइसेंस दे दिया। अब सवाल यह उठता है कि प्रदेश में सुपरस्पेशलिटी अस्पताल का बोर्ड लगाकर कितने ऐसे लोग है जो आम जनता की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। क्या सरकार इन पर नकेल कसने की दिशा में कोई ठोस निर्णायक कदम उठाएगी? कब ? कैसे? किस तरह ? बशर्ते हुई इन मौतों का राजनीतिकरण ना हो। कोई भी दल पीडि़तों का पक्षधर होने की आड़ में अपनी राजनीतिक रोटी ना सेंके क्योंकि दुनिया में अब भी मानवता जीवित है। इसका प्रमाण दें ।


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