लगभग 6 दर्जन पनघर अब महज टीन का डब्बा बनकर रह गये हैं
, प्रशासन ने जिन कंपनियों को मेंटेनेंस का ठेका दिया था वहभी मेंटेनेंस के नाम पर सिर्फ कर रहे खानापूर्ति
-अमन शर्मा-
रायपुर ,05 मार्च 2023 (घटती घटना)। प्रदेश की राजधानी रायपुर में के 70 वार्डो में स्वच्छ भारत अभियान के तहत पनघर का निर्माण किया गया लेकिन यह प्रशासनिक योजना महज कुछ ही दिनों दम तोड़ने लगा है। करोडों की लागत से बनाए गए लगभग 6 दर्जन पनघर अब महज टीन का डब्बा बनकर रह गया है। रखरखाव के अभाव में यह अपन घर मे लगी फिल्टर मशीन जंग खाने लगी है। वही कहीं ऑपरेटर है तो कहीं नहीं ,प्रशासन ने जिन कंपनियों को मेंटेनेंस का ठेका दिया था वह भी मेंटेनेंस के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रहे हैं ।
एक नजरिए से देखा जाए तो यह योजना केंद्र सरकार व राज्य सरकार दोनों के सहभागिता से इस उपक्रम से लगाया गया है । पनघर योजना लगाए जाने का मूल उद्देश्य शहर के नागरिकों को कम दरों पर स्वच्छ पानी उपलब्ध कराया जाना था । पनघर योजना के तहत 2 रुपये में सामान्य स्वच्छ जल 1 लीटर मुहैया करवाना वह 5 रुपये में 20 लीटर स्वच्छ जल मुहैया करवाये जाना है।वहीं गर्मी के मौसम में सभी पन घरों में ठंडा पानी का अलग सेदर तय किया गया है जिसके तहत एक रुपए अधिक लीटर प्रति दिया जाना था कुल मिलाकर 3 रुपये मैं 1 लीटर ठंडा पानी व 10 रुपये में 20 लीटर ठंडा पानी उपलब्ध कराया जाना था लेकिन आलम यह है कि इन घरों में रखरखाव के अभाव ग्रस्त के चलते तालाबंदी हो चुकी है। आम जनता को स्वच्छ जल मुहैया नहीं हो रही है । राजधानी में गर्मी के मौसम आते ही नलों से गंदा पानी निकासी होने के कारण पीलिया ,आंत्रशोथ जैसे बीमारियों का की हालात बन जाते हैं ।सवाल यह उठता है कि करोडों रुपए खर्च कर बनाए गए इन पनघर से आम जनता को कब लाभ मिलेगा? निगम प्रशासन ,जिला प्रशासन की उदासीनता के चलते कहीं यह पनघर यानी स्वच्छ पेयजल योजना कबाड़ में तब्दील न हो जाए।
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