सुकमा, 28 फरवरी 2023 (ए)। जिले के घुर नक्सल प्रभावित अंदरूनी इलाकों में खुल रहे नये पुलिस कैंप से नक्सलियों का सप्लाई चेन प्रभावित होने से नक्सली संगठन कमजोर हो रहा है। बाहर से मिलने वाले हथियारों की आपूर्ति नक्सली संगठन को नहीं हो पाने से अब नक्सली स्वयं देसी ग्रेनेड बना रहे हैं, और मुठभेड़ के दौरान इसका उपयोग बड़ी तादाद में कर रहे हैं। नक्सलियों द्वारा देशी बीजीएल में फ्यूज, गैर इलेक्टि्रक डेटोनेटर, स्पि्लंटर्स, जंग लगे लोहे, अमोनियम नाइट्रेट और कॉर्डेक्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। अब नक्सली देशी बीजीएल की मारक क्षमता में वृद्धि भी कर लिया है। बीजीएल की मारक क्षमता किलिंग जोन 15 मीटर और अफेक्टिंग जोन 30 मीटर तक है। जगरगुंडा मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने घटनास्थल से बड़ी मात्रा में जिंदा बीजीएल(बैरल ग्रेनेड लॉन्चर) बरामद होना इसे प्रमाणित करता है।
पुलिसे मिली जानकारी के अनुसार शनिवार 25 फरवरी को जगरगुंडा मुठभेड़ में नक्सलियों ने डेढ़ घंटे तक चली मुठभेड़ में 250 से ज्यादा बीजीएल दागे थे। फायरिंग के बाद बीजीएल के इस्तेमाल से सुरक्षाबलों को संभलने का मौका नहीं मिला। आमतौर पर एंबुश में फंसे जवानों को किसी तरह की मदद न मिले इसके लिए भी नक्सली बीजीएल का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं। मौके पर फटने के बाद कान फोड़ू आवाज के साथ बीजीएल से निकलने वाले स्पि्लंटर्स और जंग लगे लोहे एक साथ कई सुरक्षाबलों को घायल करने में सफल होते हैं।
बस्तर में अब तक के हुए मुठभेड़ों में घटना स्थल से नक्स्लियों द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाला बीजीएल के तीन साइज सामने आये हैं। बीजीएल का वजन 500 ग्राम से डेढ़ किलो तक होता है। जगरगुंडा मुठभेड़ में सुरक्षाबलों पर हुए हमले में नक्स्लियों ने कप के आकार वाले बीजीएल का भी इस्तेमाल किया है। उन्हें बिना किसी सुरक्षा पिन के भी देखा गया है। यह माना जा रहा है कि ये बीजीएल टाइमर आधारित है और एक विशिष्ट समय के बाद विस्फोट करते हैं।
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