बैकुण्ठपुर@मिनी रत्न कंपनी के श्रमिक एवं उनके परिवारजन तरस रहे हैं पीने के पानी के लिए

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  • वहीं श्रमिक हितेषी नेता अधिकारियों की जी हजूरी में हैं लगे हुए
  • बैकुंठपुर के नए क्षेत्रीय प्रबंधक व कटकोना सहक्षेत्र प्रबंधक की ऐसी व्यवस्था की उनके श्रमिक पानी के लिए हैं परेशान
  • तीन महीने पहले चोरों ने चोरी कर ली पानी की पाइप,तीन महीने बाद भी श्रमिकों के लिए पानी की उचित व्यवस्था नहीं कर पाया प्रबंधन
  • चोरों के आतंक ने श्रमिकों के सामने खड़ी कर दी पानी की भीषण समस्या
  • एसईसीएल प्रबंधन भी कछुए की चाल में श्रमिकों के लिए पानी की व्यवस्था करने में दिखा रहा तत्परता

रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 28 फरवरी 2023 (घटती-घटना)। एसईसीएल बैकुंठपुर क्षेत्र के अंतर्गत संचालित कोयला खदान क्षेत्र कटकोना के श्रमिक पिछले 3 महीने से पानी की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं और इस समस्या की वजह इस क्षेत्र का प्रबंधन व इस क्षेत्र में सक्रिय चोर गिरोह है एसईसीएल प्रबंधन की लापरवाही यह है की गोबरी जलाशय से पाइप लाइन के जरिए पानी कटकोना लाकर जल शोधक केंद्र में पानी को शोधित कर दैनिक आवासों में भेजा जाता है 3 महीना पहले मोटर जलने की वजह से कुछ दिन गोबरी जलाशय से पानी की सप्लाई बंद रही और इस बीच चोरों ने कई मीटर कास्टिंग आयरन के पाइप को तोड़कर ले गए जिसके बाद से श्रमिक पानी की समस्या से जूझ रहे हैं पर इस क्षेत्र का प्रबंधन ना तो पाइप बिछवा रहा है और ना पानी की उचित व्यवस्था करा रहे हैं, खदान से आने वाला पानी भी उस मात्रा में नहीं है कि श्रमिकों को पर्याप्त मात्रा में दिया जा सके 3-3 दिन के अंतराल में 5 से 10 मिनट आवासों में पानी की सप्लाई की जा रही है जिससे श्रमिको एवम उनके परिजनों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। बता दें की एसईसीएल का कटकोना खदान और कालोनी बहुत पुरानी है और यह खदान एसईसीएल को काफी मुनाफा भी पहुंचा चुकी है।
ज्ञात हो कि कटकोना कालरी में रहने वाले श्रमवीरों के लिए जल शोधक केन्द्र बनाया गया है जहां से उन्हें स्वच्छ पानी मिल सके पर यहां स्थिति कुछ उल्टी ही दिख रही है। श्रमवीरों को पानी आपूर्ती के लिए दो विकल्प बने हुए हैं एक विकल्प फेल होता है तो दूसरे विकल्प के तहत पानी लोगों को मिल सके। इसलिए जलशोधक केन्द्र में दो जगह खदान व गोबरी जलाशय का पानी आता है जिसके लिए अलग अलग टंकी बनाई गई है गोबरी का पानी बरसात के कारण मटमैला हो गया है और खदान का पानी कोयले के कारण काला पानी आता है जिसे फिल्टर प्लांट में शोधकर पीने योग्य बनाकर कालोनियों में सप्लाई की जानी होती है। पर इन दिनों बिना गोबरी से पानी नहीं आ रहा है क्योकि चोरो ने पानी का सैकड़ो मीटर पाईप चुरा लिया जिसे कारण पानी की विशाल समस्या खाड़ी हो गई।

गोबरी जलाशय से पानी लेने के लिए एसईसीएल है एक बहुत बड़ी रॉयल्टी या कहे तो कर देता है
एसईसीएल पिछले कई 5 दशकों से 12 महीने गोबरी जलाशय से अपने श्रमिक आवासों में पानी आपूर्ति के लिए जल संसाधन विभाग को एक बहुत बड़ी रॉयल्टी देती है जो लाखों में है जानकारी के अनुसार सिर्फ पेयजल पानी के लिए एसईसीएल लगभग 15 से 20 लाख प्रति वर्ष जल संसाधन विभाग को देती है ताकि उनके श्रमिकों को पानी की दिक्कत ना हो पर इस समय उनके श्रमिक ही पानी की बहुत बड़ी दिक्कत से जूझ रहे, जिसमें लापरवाही भी प्रबंधन की है जब भी गोबरी में लगा मोटर खराब होता है तो उसे तत्काल बना लेना चाहिए पर इन्होंने लापरवाही बरते हुए उस मोटर को बनाने में इतने दिन लगा दिए कि चोरों को पाइप चुराने का मौका मिल गया और चोरों ने पाइप की चोरी कर ली, अब एसईसीएल को पाइप चोरी होने का नया बहाना मिल गया है पर समस्या तो श्रमिक आवासों में पानी ना पहुंचने की हो गई है।
टेंडर में भी देरी
3 महीने से अधिक हो चुके हैं और एसईसीएल पानी पाइप बिछाने के लिए नया टेंडर निकाल नहीं पाई है, सिर्फ यह बात आ रही है कि गोबरी से कटकोना तक नया पाइपलाइन बिछा जाएग जो अंडर ग्राउंड होगा पर यह पाइप लाइन कब बिछाई की और पानी की समस्या कब दूर होगी इसका पता नहीं पर बिना गोवरी जलाशय से पानी लिए प्रबंधन को पानी का कर जल संसाधन विभाग को देना होगा फिर भी एसईसीएल विभाग बिल्कुल भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहा कछुए की चाल में इनकी टेंडर प्रक्रिया चल रही है अब इनके टेंडर होते और पाइपलाइन बिछड़े तक कई महीने बीत जाएंगे क्या तब तक श्रमिक पानी की समस्या से जूझते रहेंगे यह एक बड़ा सवाल है?
फिल्टर प्लांट देखने में चकाचक पर वास्तविकता कुछ और
गोबरी जलाशय व खदान से पानी दो अलग-अलग टैंको में आता है फिर वहां से दूसरे टंकी में भेजा जाता है जहां उस पानी में ऐलम व बिलिचिंग पावडर डालकर साफ किया जाता है उसके बाद उस पानी को फिल्टर प्लांट में भेजा जाता है वहां से पानी को फिल्टर कर कालोनियों में भेजा जाता है पर फिल्टर प्लांट के अन्दर पानी को फिल्टर करने के लिए जो बालू व पत्थर डाला जाता है जो काफी पुराना हो चुका है जिसे हर दो साल में बदला जाना चाहिए ताकि पानी अच्छे से फिल्टर हो सके। काफी समय से इसे बदला नहीं गया है जिस वजह से पानी अच्छी तरह शोध नहीं होता और विभाग फिल्टर प्लांट को रंग पेंट कर चमकाकर रखते हैं और मेन्टेनेंस के नाम पर बिल लगाकर पैसे निकाल लेते हैं। वहीं चमकते फिल्टर प्लांट को देखकर लोगों को गुमराह किया जा रहा है।
अधिकारी भी नहीं दे रहे जल समस्या को लेकर ध्यान
कटकोना कालरी क्षेत्र के अधिकारी भी कालोनी में जल की व्यवस्था को लेकर गंभीर नहीं हैं। सह क्षेत्र के अधिकारी साथ ही क्षेत्रीय कार्यालय के अधिकारी जल समस्या से अवगत हैं लेकिन वह समाधान को लेकर कोई प्रयास नहीं कर रहें हैं और कालोनी वासी श्रमिक अब पानी के लिए परेशान हो रहें हैं।
श्रमिक नेता भी श्रमिको की समस्याओं पर नहीं दे रहें हैं ध्यान
क्षेत्र के श्रमिक नेता अधिकारियों की जी हुजूरी में लगे हुए हैं और उनकी तरफ से भी पानी की समस्या दूर करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। श्रमिको के अनुसार श्रमिक नेता श्रमिको की समस्याओं से वास्ता ही नहीं रखना चाहते वह केवल अधिकारियों की जी हुजूरी में ही व्यस्त हैं।
चोर भी एसईसीएल कर्मियों के लिए खड़ी कर रहें हैं मुसीबत,कॉस्ट आयरन पाइप भी काट ले जा रहें हैं चोर
एसईसीएल क्षेत्र में कानून व्यवस्था की स्थिति भी दयनीय है, एक तरफ कोयला चोरों से प्रबंधन को लाखो का नुकसान हो रहा है वहीं चोर लोहा भी चोरी कर रहें हैं और कास्ट आयरन पाइप भी काट ले जा रहें हैं और इसीलिए पानी की किल्लत कालोनी में हो रही है। एसईसीएल की अपनी सुरक्षा भी एस ई सी एल नहीं कर पा रहा है और न ही उसको पुलिस का ही सहयोग मिल रहा है।
घटिया प्रकार के ऐलम का उपयोग
फिल्टर प्लांट में पानी को साफ करने के लिए जो ऐलम डाला जाता है वह घटिया स्तर का होता है जिसका कलर देखकर यह अंदाज लगाया जा सकता है कि यह घटिया स्तर है अच्छे प्रकार का ऐलम का कलर पीला होता है पर यहां जो ऐलम आ रहा है व भूरे कलर का है एक ऐलम के चट्टे का भार 25 किलो होता है जो एक सिप्ट में नियम के अनुसार 25-25 किलो का दो चट्टा डाला जाता है जिससे पानी की गंदगी अच्छी तरह से निचे बैठ जाती है पर यहां एक सिप्ट में घटिया स्तर का चार चट्टा ऐलम का डाला जा रहा है इसके बावजूद पानी साफ नहीं हो रहा है और घटिया स्तर के ऐलम को ज्यादा मात्रा में डालने की वजह से लोगों को कई बिमारियों का खतरा बना हुआ है। अधिक मात्रा में ऐलम डालने से त्वचा रोग व बाल झड़ने जैसी बिमारियां सामने आ रही है। यहां के पानी से लोगों के बाल झड़ने की बात काफी पुरानी हो चुकी है क्षेत्र के आबादी के 10 प्रतिषत लोग गंजेपन का षिकार होते देखे जा रहे हैं।

पानी टंकी में नहाते है बंदर
फिल्टर प्लांट के पानी टंकी में आजतक जाली नहीं लग पाई जाली न लगने की वजह से बंदर टंकी में कूदकूद कर नहाते हैं व उसी में ही मल मूत्र कर देते हैं और उसी गंदे पानी को श्रमवीरों के मर्टरों में सप्लाई की जाती है। अधिकारी तो अपने घर में आरो व एमगार्ड लगाकर रखे हैं पर श्रमवीर को गंदा पानी सप्लाई किया जा रहा है।
बिमारी का खतरा बढ़ा
गंदे पानी को पीने से टाई फाइड, पीलीया, दस्त जैसी बिमारियां से लोग परेषान हो रहे हैं। जिसका सबसे बड़ा कारण यह गंदा पानी है डाक्टरों का भी मानना है कि गंदा पानी पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है जबकि हमने कटकोना चिकित्सालय से जब टाई फाइड जैसी बिमारी का आंकड़ा निकाला तो वह आंकड़ा सात महिने में 200 के पार दिखा स्थानीय डॉक्टर टी एक्का भी इस आंकड़े को इस जगह के अनुसार गंभीर मान रहे हैं।


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