बैकुण्ठपुर@क्या कमाई का जरिया बना नशा मुक्ति केंद्र?

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  • कोरिया जिले के पटना में संचालित केंद्र से आ रही शिकायत
  • न गाइडलाइन न निगरानी, नतीजा नशा मुक्ति केंद्र बने यातना केंद्र:सूत्र
  • नशा मुक्ति केंद्र के नाम पर वसूले जा रहे पैसे और किया जा रहा है टॉर्चर
  • पटना का नक्शा मुक्ति केंद्र इस समय टॉर्चर को लेकर सुर्खियों में, शिकायत कोरिया कलेक्टर तक
  • नवजीवन फाउंडेशन नशा मुक्ति केन्द्र पटना में अव्यवस्था और मानसिक प्रताड़ना की शिकायत

रवि सिंह –
बैकुण्ठपुर 25 फरवरी 2023 (घटती-घटना)। नशा मुक्ति केंद्र, सुनने पर लगता है कि यहां पहुंचने पर नशे से मुक्ति मिल जाएगी। नशा करने वाले व्यक्ति के परेशान स्वजन भरोसा करके यहां पहुंचते हैं। रुपये भी खर्च करते हैं। मगर, एनजीओ के माध्यम से संचालित ये नशा मुक्ति केंद्र कमाई का जरिया बने हुए हैं। कई बार यहां मारपीट के मामले सामने आ चुके हैं। इसके बाद भी जिम्मेदारों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। नवजीवन फाउंडेशन नशा मुक्ति केन्द्र ग्राम पटना में एक वर्ष पहले खुला था यहां नशा से मुक्ति के लिए भर्ती कराए जाने वाले लोगों के स्वजन से 10 हजार रुपये प्रतिमाह लिए जाते थे दावा नशे से सौ फीसद मुक्ति दिलाने का किया जाता था, लेकिन हकीकत इससे इतर थी। यहां भर्ती कराए जाने वाले लोगों को सुधारने के नाम पर उनका उत्पीड़न किया जाता था। शौचालय साफ कराने से लेकर उनसे मारपीट तक की जाती थी। मामला कलेक्टर कोरिया तक पहुंच गया था। एनजीओ बनाकर किराए की बिल्डिग में यह धंधा चल रहा है। इनमें पांच से दस हजार रुपये तक वसूले जा रहे हैं। इसके बाद भी यहां जिम्मेदार विभाग के अधिकारी निरीक्षण नहीं करते।
पीडि़त का आरोप
मेरा नाम डोली समरानी पति विनीत समरानी निवासी ए-1 602 सफायर ग्रीन एम्पीरिया विधानसभा रोडा आमासीवनी रायपुर (छ.ग.) की हूँ 23.01.2023 को मेरे पति को मेरे कहने पर नवजीवन फाउडेन्सन नशा मुक्ति केन्द्र से सतीश मिश्रा व सिद्धार्थ मिश्रा के द्वारा रायपुर से पटना नशा मुक्ति केन्द्र लाया गया। उक्त संस्था के सम्बन्ध में नशा मुक्ति के जगह मेरे पति के साथ दुर्व्यव्यवहार, मानसिक प्रताड़ना, मारपीट के साथ भोजन की ऐसी व्यवस्था की जेल में इससे अच्छा भोजन मिलने की सूचना मुझे है। जबकि उक्त संस्था के द्वारा बेहतर ऊपचार और सुविधा की बात कही गयी थी जो कि वहां से जाने पर इनकी सारी बाते गलत साबित हुई। चूंकि नशा मुक्ति के नाम पर संचालित संस्था के द्वारा वहां पर आये दिन रात्रि में विवाद की स्थिति निर्मित रहती है। वह संस्था के द्वारा जो नियम व निर्देश पिडित को लाने से पूर्व बताया जाता है ऐसी कोई भी सुविधा वहां नहीं है केवल संस्था का मुख्य उद्देश्य पिडित के परिजनों से धन की ऊगाही करना है। मेरे पति से जो वहां व्यवहार हुआ उससे परिवार टूटने की नौबत आ पड़ी थी अन्य किसी के साथ इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्त न हो इस हेतू उक्त संस्था में जांच कर उचित कार्यवाही की मांग करती हूँ। संस्था में बताये गये सुविधा में छोटे से जगह में लगभग 40 नशा से पिडित लोगों को एक साथ रखा जाता है भोजन के नाम पर सही व्यवस्था नहीं है, मानसिक तौर पर प्रताडि़त किया जाता है। बाथरूम धोना, दूसरे के झूठे बर्तन धुलवाना एक दूसरे की कमी निकालकर उसके साथ सजा बतौर मारपीट करना। पिडित व्यक्ति को लाने से पूर्व बिना पढ़ाये व बताये गलत शर्तों में हस्ताक्षर कराना साथ ही कॉऊसलर के तौर पर चिकित्सक के जगह सिर्फ कागजों में खानापूर्ति किया जा रहा है। वहीं कुछ हो जाने पर इसकी जिम्मेदारी संस्था के द्वारा न लेते हुये उक्त पिडि़त के परिजनों पर थोप दिया जाता है। उक्त संस्था द्वारा नशे में लिप्त पीडि़तों को सही मार्ग में लाने के लिये विधिवत मार्गदर्शन देते हुये संस्था को कार्य करने के निर्देश है पर संस्था में आने वाले पिडि़तों को जमकर मानसिक प्रताडित किया जाता है और संस्था में मुख्यतौर पर एक बात कही जाती है जो संस्था से बाहर निकलकर मेरे पति ने बतायी अच्छे को देखना, लंगड़े से चलना बहरे को सुनना जैसे शदों के साथ पिडितों का ईलाज किया जाता है। चूंकि मेरे पति के साथ जो घटना घटित हुई है वहां अन्य पिडितों के साथ न हो इसके लिये उचित जांच कर संस्था के संचालक पर कठोर से कठोर कार्यवाही करने की आशा रखती हूं। पीडि़त ने कहा की मेरे शिकायत पर जांच कर अन्य पिडितो को न्याय मिल सकता है साथ ही वहां लगे सीसीटीव्ही कैमरे से फुटेज की जांच कर उक्त संस्था के क्रियाकलापों का प्रमाण मिल लिया जा सकता है।
क्या होता है नशा मुक्ति केंद्रों में
तीन से छह माह तक के लिए लोगों को यहां रोका जाता है। प्रतिमाह पांच से दस हजार रुपये खर्च के लिए जाते हैं। नशे के आदी लोग जब नशा नहीं करते हैं तो उन्हें घबराहट, बेचैनी व अन्य समस्या होती हैं। ऐसे में यहां के संचालक खुद ही डाक्टर बनकर दवा देते हैं। सुधार के नाम पर लोगों का उत्पीड़न किया जाता है। मारपीट तक की जाती है। यह होना चाहिए, समाज सेवा के रूप में इन केंद्रों को खोला जाता है। ऐसे में पांच से दस हजार रुपये वसूल करना उचित नहीं। नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती रहने वाले लोगों को सलाह या दवा देने को डाक्टर होना चाहिए। नशे के आदी लोगों को व्यायाम और अन्य एक्टिविटी में व्यस्त रखा जाना चाहिए। इसके लिए विशेषज्ञ होने चाहिए। जिम्मेदार विभागों को समय-समय पर इनका निरीक्षण करना चाहिए।


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