बैकुण्ठपुर@अवसरवादिता राजनीति में पुरानी बात है लेकिन विचारधारा को लेकर समझौता यदि बड़े राजनीतिक दल करने लगें तो फिर क्या?

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विचारधारा को लेकर समझौता बड़े राजनीतिक दल करने लगें तो समझ लेना चाहिए की बड़ी बड़ी बातें करने वाली पार्टियां आंखो में धूल झोंक रहीं हैं
क्या भाजपा में भी है सूर्यकांत या पैसे के बल पर मिलता है पद?
संजय अग्रवाल की तस्वीर कांग्रेसी व भाजपा नेता के साथ अब सवाल यह की किस पार्टी से है इनकी विचारधारा?
पद भाजपा में और स्वागत कांग्रेस विधायक का आखिर क्या चल रहा है संजय के दिमाग में?
संजय अग्रवाल राजनीति के साथ एक व्यवसाई भी है उनका ऊंट करवट राजनीति के तरफ ले रहा या फिर व्यवसाय की तरफ?
जमीन मामले के बाद संजय अग्रवाल एक बार फिर उभरते नजर आ रहे हैं, सक्रियता भी दिख रही है

रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 22 फरवरी 2023 (घटती-घटना)।
राजनीति में पद और प्रतिष्ठा पाने के लिए क्या अर्थ संपन्न होना ही एकमात्र योग्यता किसी में होनी चाहिए क्या आम और सीमित आय वर्ग से आने वालों को राजनीति में बेहतर पद और सम्मान मिलना मुश्किल है यह बात केवल किसी एक राजनीतिक दल के मामले में नहीं कही जा रही है वरन यह बात दो प्रमुख राष्ट्रीय दलों की कार्यप्रणाली देखकर कही जा रही है जहां पार्टी की विचारधारा एक किनारे रखकर कुछ ऐसे लोगों को भी महत्व व सम्मान दिया जा रहा है जो कब किस तरफ हो जायेंगे यह कह पाना भी मुश्किल है। अवसरवादिता राजनीति में पुरानी बात है लेकिन विचारधारा को लेकर समझौता यदि बड़े राजनीतिक दल करने लगें तो यह समझ लेना चाहिए की बड़ी बड़ी बातें विचारधारा को लेकर करने वाली पार्टियां सभी के आंखो में धूल झोंक रहीं हैं और उनकी मंशा किसी का हित नहीं अपना हित संवर्धन एवम संरक्षण है इसके अलावा कुछ नहीं इसलिए वह जब जब अपनी आवश्यकता और जरूरत आन पड़ेगी अपने हिसाब से शीर्ष पर बैठे नेता अपने लिए एक नई लकीर खींचेंगे भले ही वह लकीर पार्टी की विचारधारा से विपरीत ही क्यों न हो।
ताजा मामला बैकुंठपुर के बिल्डर से जुड़ा हुआ है जिन्हे भाजपा के जिलाध्यक्ष ने अपनी जंबो जिला कार्यकारणी में स्थान दिया है और जबकि जिलाध्यक्ष ने कई पार्टी के लिए समर्पित कार्यकर्ताओं को कार्यकारणी में स्थान नहीं दिया है वहीं बिल्डर को देना उन्होंने सही समझा। बिल्डर भी लगातार भाजपा के कार्यक्रमों में देखे जाने लगे और उन्होंने भी पद को स्वीकार किया और भाजपा की विचारधारा के साथ आगे बढ़ेंगे यह साबित करने में कोई कसर उन्होंने सामने से नहीं छोड़ा। बिल्डर भाजपा के आंदोलनों में सड़क पर भी नजर आए और उन्होंने पार्टी के लिए नारे भी लगाए लेकिन उनकी एक नई तस्वीर सोशल मिडिया पर देखी गई जिसमे वह सत्ताधारी दल के विधायक के स्वागत में नजर आए और अपने खास चेलों के साथ स्वागत करते नजर आए।
बिल्डर का किसी सत्ताधारी दल के विधायक का स्वागत करना समझ के परे
बिल्डर का किसी सत्ताधारी दल के विधायक का स्वागत करना गलत नहीं कहा जा सकता लेकिन एक राष्ट्रीय दल से जुड़कर जो वर्तमान में विपक्ष में है बिल्डर ने सत्ताधारी दल के विधायक से अपने संबध सार्वजनिक किया यह सही नहीं कहा जा सकता और न ही सार्वजनिक रूप किए गए अपने चेलों के साथ के इस स्वागत को पार्टी की विचारधारा के अनुरूप ही माना जा सकता है। पार्टी का एक सामान्य आम कार्यकर्ता यदि ऐसा करते दिखे शायद पार्टी इसे अनुशासनात्मक कार्यवाही के हिसाब से देखती लेकिन चुकीं एक बड़े बिल्डर भाजपा नेता ने ऐसा किया इसलिए पार्टी को भी फर्क नहीं पड़ा और पार्टी ने भी चुप्पी साधे रखी।
बिल्डर आने वाले चुनाव में भाजपा को कितने फायदेमंद पंहुचा सकते हैं?
बिल्डर आने वाले चुनाव में भाजपा के लिए कितने फायदेमंद हो सकते हैं यह तो भविष्य का विषय है लेकिन कहने वाले इसे पलटूराम नाम की भी संज्ञा देने से परहेज नहीं किया और माना की व्यवसाय करने वाले बिल्डर को केवल अपने लाभ से मतलब है न की पार्टी ने नफा नुकसान से और वह सभी तरफ अपना लाभ देखकर मेलमिलाप बनाए रखेंगे और उसे सार्वजनिक रूप से सामने लाकर लाभ भी लेते रहेंगे। बैकुंठपुर के बिल्डर को फिलहाल सक्रिय देखा जा रहा है राजनीतिक रूप से जबकि कुछ दिनों पहले तक वह शहर में नजर भी नही आया करते थे लेकिन जैसे जैसे चुनाव नजदीक आता जा रहा है वह सक्रियता बढ़ाते जा रहें हैं और दोनों ही दलों में अपनी पैठ जमाते जा रहें हैं।
बिल्डर जब कानूनी अड़चनों में थे फंसे हुए किसी दल ने बिल्डर का नहीं दिया था साथ
बिल्डर फिलहाल पदाधिकारी भाजपा जिला कोरिया में बने हुए हैं वहीं वह सत्ताधारी दल के भी नेताओं से अपनी करीबी का इजहार गाहेबगाहे करते रहते हैं वैसे यह बात भी ध्यान देने वाली है की जब बिल्डर पर प्रकरण दर्ज हुआ था पुलिस में और कानूनी अड़चनों में बिल्डर फंसे हुए थे तब दोनो दलों के नेताओं ने बिल्डर से दूरी बनाए हुई थी और उनके साथ कोई खड़ा नहीं था।
बिल्डर किसके रहेंगे साथ यह भी है बड़ा सवाल
बिल्डर भाजपा में पदाधिकारी जरूर हैं लेकिन उनके रिश्ते सत्ताधारी दल के नेताओं से भी हैं जिसका इजहार उन्होंने किया है,बिल्डर चुनाव के दौरान किसके साथ रहेंगे यह बड़ा सवाल है क्योंकि संबध बनाने में माहिर और अपने संबंधों का सोशल मीडिया पर खुलकर इजहार करने वाले बिल्डर किसका साथ देंगे यह देखने वाली बात होगी।
बड़े बड़े नेताओं के साथ अपनी तस्वीर सोशल मीडिया पर डालने की आदत के शौकीन हैं बिल्डर
बिल्डर बड़े नेताओं के साथ अपनी तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा करने की आदत के शौकीन हैं,भाजपा जब सत्ता में थी बिल्डर भाजपा के नेताओ ने साथ अपनी फोटो सोशल मीडिया पर डाला करते थे अब वह कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ अपनी तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा कर रहें हैं।
खुद का प्रभाव और पहुंच दिखाना तो चाहत नहीं बिल्डर की
बिल्डर लगातार बड़े नेताओं के साथ अपनी तस्वीर सोशल मिडिया पर पोस्ट करते रहे हैं और यह माना जाता है की वह ऐसा इसलिए करते हैं जिससे उनका प्रभाव और उनकी पहुंच लोग सहित नौकरशाह जान सकें और उनकी कद्र करें।


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