चिरमिरी@घटती-घटना के खबर का हुआ असर,संवेदनशील महाप्रबंधक चिरमिरी ने वर्षों से जमे ओवरशियरो को अंतत: हटाया

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  • स्थानांतरण होने पर ओवरसियर हो रहे परेशान,रुकवाने हेतु श्रमिक संगठनों के पदाधिकारियों के पास लगा रहे हैं दौड़
  • निर्माण के नाम पर लूटपाट मचा रखे ओवरशियर और ठेकेदारों के बीच मची खलबली,अब कैसे बनेंगे फर्जी बिल और कैसे होगा पूर्ण कार्य?
  • डीसेंट हाउसिंग एवं कंप्रिहेंसिव कार्यों के नाम से प्रत्येक श्रमिकों के क्वार्ट मेंटेनेंस के लिए कंपनी खर्च कर रही लाख,ठेकेदार व सिविल विभाग के अधिकारी कर रहे हैं बंदरबांट

-रवि सिंह-
चिरमिरी 17 फरवरी 2023 (घटती-घटना)। एसईसीएल चिरमिरी क्षेत्र में सिविल विभाग में जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है जिसकी खबर बीते दिवस घटती घटना ने प्रमुखता से छापा था खबर का असर हुआ महाप्रबंधक श्रीवास्तव ने मामले को गंभीरता से लिया और वर्षों से एक ही स्थानों पर जमे हुए ओवरशियरो को तत्काल प्रभाव से स्थानांतरित किया गया है सनद रहे कि 1 दशक से अधिक समय से चिरमिरी क्षेत्र में जमे ओवरशियर संजय सिंह एवं ठेकेदार के साठगाठ की लगातार शिकायते हो रही थी, जिसको महाप्रबंधक ने गंभीरता से लिया और शिकायतों में सत्यता को देखते हुए तत्काल प्रभाव से डब्लू सी सी कोरिया एन सी सी वाले इलाके में संजय सिंह को स्थानांतरित कर दिया है इसके अलावा और भी ओवरशियर के हस्तांतरण किए गए हैं पिछले सभी महाप्रबंधको के लिए खीरा से लेकर हीरा तक उनके घर तक पहुंचाने वाले ओवरशियर संजय सिंह अपने स्थानांतरण से काफी विचलित हो गए हैं इन दिनों मारे मारे फिर रहे स्थानीय ट्रेड यूनियन के नेताओं के घरों में जाकर सुबह शाम गिड़गिड़ा रहे हैं वही उनके साथ कार्य करने वाले सहकर्मियों से भी झगड़ा कर रहे है कहते हैं कि आप लोगों ने मेरी झूठी शिकायत महाप्रबंधक से करके मुझे हटवा दिया है, संजय सिंह इस समय पूरी तरह से बिलबिला गए है स्थानांतरण रुकवाने के लिए पूरी कोशिश में जुटे हुए हैं उनका चहेता पाटनर ठेकेदार सुमित सिन्हा भी उनके लिए बिलासपुर स्तर के अधिकारियों के पास पहुंचकर उनके स्थानांतरण रुकवाने के लिए सोर्स सिफारिश कर रहा है।
विदित हो कि जीएम कंपलेक्स इलाके में लगभग डेढ़ से 2 करोड़ का कंप्रेहसिव्ह का कार्य चल रहा है लेकिन अगर हम जमीनी स्तर पर देखें तो 378 कामगारों के लिए बनाए गए मर्टर में लगभग डेढ़ सौ लोग ही निवास करते हैं उन मर्टरों के मेंटेनेंस आदि का कार्य ठेकेदार द्वारा निर्धारित दर से लगभग बिलों में लेकर कर रहे है, इसके द्वारा कार्य नही किया जा रहा है, 378 मर्टर है जिसमें लगभग डेढ़ सौ लोग ही निवास करते हैं यदि हम इन मर्टरों को में डेढ़ करोड़ रुपए बांटे तो एक मर्टर में लगभग एक लाख खर्च होना होना चाहिए लेकिन मौके पर पड़ताल पर पता लगा कि ठेकेदार के आदमी आए थे घर के सामने जो टूटा फूटा था उसमें सीमेंट लगा गए और दरवाजों में प्राइमर लाल मिट्टी पोत कर पहुंचकर पेंट करवा दिया है इसके अतिरिक्त किसी भी तरह के कार्य नहीं किए गए हैं, सूत्रों की मामने तो संजय सिंह के लगातार उसके फर्जी बिल बनाकर पेमेंट की निकासी में उसका सहयोग किया जा रहा है यदि हम विस्तार से उक्त निर्माण और मेंटेनेंस कार्य की जांचा करें तो पता यह चलेगा कि जिस गुणवत्ता और क्षमता के हिसाब से काम करना था, उसके विपरीत कुछ चयनित स्थानों पर बड़े घटिया स्तर की उपयोगी सामग्री लगाए जा रही हैं, दरवाजे की यदि हम बात करें तो वे दरवाजे निर्धारित मापदंडों के अनुरूप नहीं लगाए गए हैं, मरम्मत के दौरान उपयोगी सामग्री काफी घटिया है पेंट भी ब्रांडेड नहीं लगाए जा रहे हैं पेंट ब्रांडेड डब्बे में बिलासपुर के लोकल कंपनी का पेंट पूरे चिरमिरी क्षेत्र में लगाया जा रहा है पाइपलाइन आदि के कार्य भी काफी घटिया स्तर के किए जा रहे हैं देखने से ही स्पष्ट हो जाएगा कार्य में जमकर बंदरबांट हो रहा है इसी वर्क आर्डर में 52 मर्टरों का डिसेंट हाउसिंग का भी कार्य करना है, इसे ऐड किया गया है ठेकेदार उसे भी कंप्लीट होना बता रहा है जबकि हम मौके का भौतिक सत्यापन करते हैं तो यह स्पष्ट रूप से दिख रहा है कि उन घरों में किसी भी तरह के मेंटेनेंस और निर्माण कार्य किए ही नहीं गए हैं, जल्दी ही स्थानीय प्रबुद्ध जनों द्वारा इसकी शिकायत पीएमओ सीबीसी और सीबीओ सीबीआई अफसरों से करने की बात कही जा रही है।


एसईसीएल कंपनी के भ्रष्ट अधिकारी कर रहे हैं केंद्र सरकार की मंशा के विपरीत कार्य
केंद्र सरकार के द्वारा बार-बार यह कहा जाता है कि अधिक से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान किया जाए और उसके लिए कई बार इन शासकीय अर्ध शासकीय कंपनियों को निर्देश भी मिलते रहे हैं लेकिन उन आदेशों को धता बनाकर एसईसीएल प्रबंधन में बैठे अधिकारी अपने लोगों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से जो कार्य छोटे-छोटे खंडों में हो सकते थे उन्हें एक बड़ा वर्क आर्डर बनाकर अपने चहेते और पार्टनर ठेकेदारों प्रदान करने की क्रमबद्ध योजना पूरे एसईसीएल में चल रही है यही कारण है कि जो ठेकेदार वर्षों से इन कंपनियों में जुड़े हैं वह करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार इन अधिकारियों से सांठगांठ करके कर रहे हैं यदि इन्हीं कार्यों को छोटे-छोटे स्तर में आवंटित किया जाए तो नए लोगों को रोजगार भी मिलेगा और भ्रष्टाचार भी कम होगा लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों ने कंपनी के इन निर्माण कार्यों को अपने हिसाब से बना लिया है और एक ही वर्क आर्डर में कई कई करोड रुपए के कार्य निकालकर अपने चहेते ठेकेदारों से मोटी रकम वसूलते हैं और उन्हें भ्रष्टाचार के लिए उकसा रहे हैं मिलजुल कर पूरा पैसा डकार रहे हैं, एडजस्टमेंट के नाम पर करोड़ों रुपए निकाले जा रहे हैं जहां पूरी कोयला कंपनी के श्रमिक आज भी जर्जर और कंडम भवनों में रहने के लिए मजबूर हैं ऐसा एसईसीएल चिरमिरी में कोई भवन नहीं है जो बरसात में पानी ना टपकता हो सेफ्टी टैंक ना टूटे हो घरों की पीछे की नालियां बज बजा ना रही हो टूटे-फूटे पाइप लाइनों से पानी न गिर रहा हो, अरबों रुपए खर्च होने के बाद भी आज श्रमिक दैनीय जीवन जीने के लिए मजबूर है,वही ट्रेड यूनियन के पदाधिकारी और ठेकेदार अधिकारी मिलकर लूट मचा रखे हैं।
एसईसीएल कंपनी में चल रहे अरबों रुपए के कंप्रेसिव्ह कार्य में हो रहे भ्रष्टाचार को ईडी और सीबीआई से जांच कराने की उठ रही है मांग
यदि भारत सरकार की कोई भी जांच एजेंसी इन निर्माण कार्यों की जांच पड़ताल करें तो स्पष्ट रूप से पता लगेगा कि इनमें कई वर्षों से लिपाई पुताई सहित अन्य किसी भी तरह के निर्माण किए ही नहीं किए गए हैं सिर्फ अपने अपने स्तर पर बैठे अधिकारी अपनी बंदरबांट योजना के लिए करोड़ों रुपए की निकासी कर रहे हैं और आपस में बंदरबांट कर बेचारे श्रमिकों के नाम पर खूब उगाही कर रहे हैं पिछले 10-12 वर्षों में यदि इन मजदूरों के मर्टरों के मेंटेनेंस आदि की बात करें तो एसईसीएल स्तर पर कई अरब रुपए ठेकेदार और अधिकारियों ने मिलकर डकारा है जो जांच का विषय है।
सबसे बड़ा सवाल आधे से कम दाम पर ठेकेदार कैसे कर रहे हैं मेंटेनेंस और निर्माण कार्य ?
बड़ा सवाल यह है कि जो ठेकेदार 54 प्रतिशत बिलो कार्य लेकर आज की बढ़ रही महंगाई में उस काम को कैसे पूर्ण कर सकता है जांच का विषय है, सीमेंट 300 रूपए बैग है यह ठेकेदार 140 रूपए में कहां से खरीद रहे हैं? कोई भी ब्रांडेड प्रिंट 300 रूपए लीटर ही आता है इन्हें डेढ़ सौ रुपए लीटर कौन सी कंपनी दे रही है मेंटेनेंस के लिए रेत 2000 रूपए ट्रैक्टर मिलती है, इन्हें 1000 रूपए में कौन रेत उपलब्ध करा रहा है? वही गिट्टी 4000 रूपए वाली मिलती है इन्हें 2000 में कौन गिट्टी उपलब्ध करा रहा है? रॉयल्टी जीएसटीबी इन्हें आधे दाम पर क्या सरकार दे रही है? यह कैसे संभव है कि यह ठेकेदार बाजार मूल्य से आधे दाम पर सामान खरीद रहे हैं और यदि यह संभव नहीं है तो पूर्णता स्पष्ट हो जाता है कि यह ठेकेदार कार्य नहीं कर रहे हैं सिर्फ अधिकारियों से मिलजुल कर के फर्जी बिल बनाकर कंपनी में कार्यरत मजदूरों को मिलने वाली सुविधा में डाका डाल रहे हैं, इसमें ट्रेड यूनियन के पी पदाधिकारी मिले-जुले हैं जो कभी भी इस भ्रष्टाचार का विरोध नहीं करते उनके द्वारा किसी भी तरह की विज्ञप्ति या शिकायत कंपनी के आला अधिकारियों से नहीं की जाती पिछले प्रत्येक 3 साल में एसईसीएल के भ्रष्ट अधिकारी के द्वारा कंपनी के मर्टरों के मेंटेनेंस के लिए करोड़ों रुपए का बंदरबांट कर रही है पिछले 10 साल की बात करें तो, मेजर रिपेयर, वन थर्ड, डिसेंट, कंप्रेसिव्ह जैसे मैंने नामकरण करके मजदूरों के घरों को मेंटेनेंस के नाम पर अरबों रुपए का डाका कंपनी के भ्रष्ट अधिकारियों और ठेकेदारों के द्वारा डाला जा रहा है जिसमें सुमित सिन्हा संजय सिंह जैसे ठेकेदार और अधिकारी मिलकर के जमकर बंदर बांट कर रहे हैं ऐसा नहीं है कि केवल यह दो लोग ही ऐसा काम कर रहे हैं यदि हम जमीनी स्तर पर पड़ताल करें तो ऐसे कई ठेकेदार और अधिकारी हैं जो कंपनी में निर्माण कार्य एवम मरम्मत के नाम से करोड़ों रुपए का वारा न्यारा कर रहे हैं।
बिलासपुर हेड ऑफिस से निरीक्षण करने आए अधिकारियों ने भी दिया इन्हें क्लीन चिट, निरीक्षण करने वाले अधिकारियों के जांच पर भी संदेह
बिलासपुर हेड ऑफिस से कंपनी स्तर में इन कार्यों के निरीक्षण के लिए कई जांच एजेंसियां बनाकर सभी इलाकों में भेजी जाती हैं जांच एजेंसी के सदस्य सिर्फ ऐसो आराम करने एवं उगाही करने की मंशा लेकर मौके का निरीक्षण किया और तीन-चार दिन तक सभी ऐसो आराम की सुविधाएं रेस्ट हाउस में लेकर वापस चले गए बताया जाता है कि उन्हें भी ठेकेदार ओवरों सियारो के माध्यम से शराब कबाब शबाब आदि की व्यवस्था करके खुश करने का काम करते हैं और उन्हें किया भी गया है इतना करके वे अधिकारी इन्हें गुणवत्ता सहित कार्य होने का प्रमाण पत्र दे जाते हैं और ये सभी ठेकेदार और अधिकारी मजदूरों की मिलने वाली सुविधाओं पर डाका डाल रहे हैं।


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