- बचरा पोड़ी से कार्यकारणी में शामिल लोगों ने कहा हम हैं कांग्रेसी, भाजपा में नहीं हैं हम शामिल
- भाजपा जिलाध्यक्ष दूसरी पारी में कर रहे हैं जमकर मनमानी,भाजपाइयों को छोड़कर कांग्रेसियों को बांट रहे पद
- कार्यकारणी विस्तार करते समय कांग्रेसियों को भी दिया भाजपा जिला कार्यकारणी में स्थान
- क्या चुनावी वर्ष में कोरिया भाजपा जिलाध्यक्ष अंदरूनी कलह को दूर करने के बजाए बढ़ा रहे?
- प्रदेश संगठन से सिर्फ मै,मै और मै करते फिरते हैं हम जिलाध्यक्ष के मुंह से निकलता ही नहीं,लगता अकेले संगठन चला रहे?
- आखिर क्यों सक्रिय नेताओ को जिलाध्यक्ष ने लगाया साईड?
- अविभाजित कोरिया में जिलाध्यक्ष की वजह से ही अंदरूनी कलह की चर्चाएं पहुंच चुकी है चौक चौराहो व पान ठेलाओं पर
- अनुशासित माने जाने वाली भाजपा कोरिया में अनुशासनहीन क्यों दिख रही ?
- जिला कार्यसमिति की बैठक में पदाधिकारियों को मंच पर नहीं मिली जगह,यह कैसी व्यवस्था?
- अनुशासन वाली भारतीय जनता पार्टी कोरिया में अनुशासनहीन नजर आ रही है आखिर क्या है वजह?
–रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 16 फरवरी 2023 (घटती-घटना)। कोरिया जिला भाजपा अध्यक्ष पर घर में बैठकर ही जिला कार्यकारणी विस्तार करने का आरोप जिले के भाजपाई लगा रहें हैं और उनका कहना है की जबसे उन्हे दूसरी बार जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली है वह मनमानी पर उतारू हो चुके हैं और वह पुराने साथ ही कर्मठ भाजपाइयों की जगह कांग्रेस पार्टी के सदस्यों को भाजपा कार्यकारणी में शामिल कर रहें हैं जो सामने से आकर कह भी रहें हैं कि वह कांग्रेस पार्टी के सदस्य हैं और उन्हे पता ही नहीं है और न ही उनसे भाजपा में पद देने से पहले पूछा ही गया है। भाजपा जिलाध्यक्ष पर उनकी दूसरी पारी में पुराने भाजपाइयों की साथ ही कर्मठ भाजपाइयों की उपेक्षा का आरोप लगता चला आ रहा है और यह सिलसिला थमने का नाम भी नहीं ले रहा है। उनके अपने ही छोटे भाई पूर्व जनपद उपाध्यक्ष बैकुंठपुर एवम वरिष्ठ भाजपा नेता ने भी जिलाध्यक्ष पर मनमानी का आरोप सोशल मीडिया पर लगाया था और उन्होंने यह भी कहा था की पार्टी को जागीर समझ कर चल रहें हैं जिलाध्यक्ष।
बता दें की भाजपा अनुशासित साथ ही अपने कर्मठ कार्यकर्ताओं के लिए समर्पित पार्टी रही है और भाजपा में निर्णय अकेले लेने की बजाए सभी वरिष्ठ जनों की सहमति से लिया जाता है और तभी निर्णय लागू होता है पार्टी का लेकिन भाजपा जिलाध्यक्ष कोरिया दूसरी पारी में अपनी मनमानी कर रहें हैं और लगातार पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ता उपेक्षित हो रहें हैं और उनके चहेतों को ही पद बांट रहें हैं जिलाध्यक्ष साथ ही जिन्हे पद देना चाहिए उन्हे किनारे लगा रहें हैं जिलाध्यक्ष। जिलाध्यक्ष का पार्टी के अंदर ही अंदर उनके अकेले लिए जाने वाले निर्णय की वजह से विरोध हो रहा है और यह माना जा रहा है की वह पूरी तरह पार्टी को एकजुट कर पाने में असफल साबित हो रहें हैं और जिससे पार्टी को आने वाले चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है जो तय नजर आ रहा है। जब भाजपा को प्रदेश की सत्ता में वापसी के लिए एकजुट होना चाहिए जिलाध्यक्षों को जब सभी वरिष्ठ एवम पुराने कार्यकर्ताओं को एक साथ लेकर चलना चाहिए जिससे प्रदेश में भाजपा की वापसी हो सके ऐसे में कोरिया जिला भाजपा अध्यक्ष की मनमानी साथ ही पार्टी के लिए समर्पित लोगों की उपेक्षा पार्टी के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है।
कांग्रेसी बताकर भाजपा में शामिल करने का आरोप
अब आरोप बचरा पोड़ी से लग रहा है और आरोप साबित भी नजर आ रहा है जिसमे अल्पसंख्यक मोर्चा के गठन में जिन लोगों को क्षेत्र से भाजपा में शामिल बताया गया है उन्होंने सामने से आकर इसका खंडन किया है और खुद को कांग्रेसी बताया है। बचरा पोड़ी से अल्पसंख्यक मोर्चा में शामिल किए गए मो असलम अंसारी व मो जमील खान ने खुद को कांग्रेसी बताकर अपने नाम को भाजपा में शामिल किए जाने पर आपत्ति जताई है।
क्या आऊट ऑफ़ कंट्रोल हो गए है अध्यक्ष? किसी से सीधे मुंह नहीं करते बात और न ही किसी अन्य पदाधिकारी को देते हैं महत्व
कोरिया जिले के भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष कृष्णबिहारी जायसवाल की मनमर्जी, तानाशाही और प्रायवेट लिमिटेड फर्म की तरह चलाने की नीति से पार्टी का बेड़ागर्क होता दिख रहा है न जाने उन्हे पद का आखिर किस प्रकार का घमंड है कि वे आऊट ऑफ़ कंट्रोल होकर काम कर रहे हैं, न किसी से सीधे मुंह बात करना और न ही किसी अन्य पदाधिकारी को महत्व देना उनकी आदत में शुमार है। वास्तव में पद का इतना घमंड तो सत्ता पक्ष के जिलाध्यक्ष में कभी नही देखा गया। बताते हैं कि जिलाध्यक्ष ने अपने कार्यकाल में कई सक्रिय नेताओ को साईड लाईन लगा दिया है, जो जिलाध्यक्ष की मर्जी से चलता है या उनकी हां में हां मिलाता है वहीं उनका खास होता है बाकि को जिलाध्यक्ष द्वारा निशाने पर रखा जाता है। चुंकि यह पार्टी का अंदरूनी मामला नही है और यह बात पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ता चौक चैराहे में भी बोलते फिरते हैं इसलिए इसके प्रकाशन में भी किसी प्रकार का रोक नही होना चाहिए। बतलाया जाता है कि जिलाध्यक्ष प्रदेश संगठन के नेताओ के आगे भी मैं,मैं और मै की वाहवही लूटकर राजनीति करने में माहिर हैं। तो वहीं पार्टी के ऐसे जिलाध्यक्ष जो कि एक विज्ञापन का पैसा तो देते नही यह समझ से परे है कि आखिर उनसे एक पत्रकार कैसे वसूली करेगा। हलांकि खबर प्रकाशन और उनके द्वारा पैसा वसूल किये जाने की शिकायत पर आज पत्रकार को पुलिस के समक्ष उपस्थित हो कर अपना पक्ष रखा चूका है पर यह शिकायत ही अब जिलाध्यक्ष के लिए परेशानी का सबब बन सकता है,पत्रकार पर अब जिलाध्यक्ष दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
आपसी लड़ाई बहुत तेजी से बढ़ रहा
अभी की स्थिति में सत्ता पक्ष से जनता नाराज है और विपक्ष से अच्छे चेहरे की उम्मीद कर रहा है अब सवाल यह है कि भाजपा को सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधियों से नाराजगी जनता की वजह से जीत मिलेगी या फिर यह खुद अपनी उपलब्ध पर जीत दर्ज करा पाएंगे? क्योंकि जिस प्रकार से भाजपा का संगठन इस समय काम कर रहा है यह कहीं ना कहीं एक बार फिर कोरिया जिले को भाजपा मुक्त बनाने की ओर अग्रसर नजर आ रहा है। जिलाध्यक्ष को अपना दायित्व समझ में नहीं आ रहा जिलाध्यक्ष तानाशाह बन गए हैं सिर्फ अपने ही पदाधिकारियों को गाली गलौज वह उन पर लांछन लगाने के अलावा उन्हें संग्रहित या संगठित करने पर बिल्कुल भी जोर नहीं दे रहे, जिस वजह से आपसी लड़ाई बहुत तेजी से बढ़ रही है और चुनाव से पहले ही भाजपा संगठन को धारा साही करने की ओर आगे बढ़ रहा है। कोरिया के जिला अध्यक्ष को वही पसंद है जो वह सुनना वह देखना चाहते हैं उनकी जो तारीफ करें वह पत्रकार अच्छा, उनकी जो तारीफ करें वह उनके पार्टी के लोग अच्छे, इसके अलावा जो इनके खिलाफ कहे उनकी तो सामत आ जाती है या फिर पार्टी से किनारे करने की योजना बन जाती है।
कोरिया भाजपा अनुशासन के रास्ते से भटकी
भारतीय जनता पार्टी को अनुशासित पार्टी माना जाता है क्योंकि यह पार्टी हमेशा ही अनुशासन को महत्व दिया जाता है और इनके पदाधिकारी से लेकर संगठन अनुशासन में ही चलता है पर इस समय जो स्थिति कोरिया जिले की है वहां पर भारतीय जनता पार्टी अपने अनुशासन के रास्ते से भटक कर अनुशासन विहीन हो गई है और वह भी उस समय दिख रही है जब चुनावी वर्ष शुरू हो चुका है और 8 महीने बाद विधानसभा चुनाव होना है अब सवाल यह उठता है कि ऐसे में भारतीय जनता पार्टी अविभाजित कोरिया जिले के तीनों विधानसभा में कैसे अपनी जीत दर्ज करा पाएगी? अभी तक की स्थिति में देखा जाए तो भाजपा का संगठन बिल्कुल ही दिशाहीन हो चुका है और उसका खामियाजा भी हो सके तो चुनाव में भुगतना पड़े और इसकी वजह सिर्फ एमसीबी व कोरिया के अडि़यल जिलाध्यक्ष माने जा रहे हैं, क्योंकि इनकी वजह से संगठन में तनातनी की स्थिति है, अंदरूनी कलह बढ़ी हुई है और अंदरूनी कलह जहां पार्टी फोरम के अंदर होना चाहिए वह अब पार्टी फोरम के बाहर चौक व चौराहों सहित पान ठेला में चर्चा का विषय बना हुआ है, यह बातें बाहर कोई और नहीं पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी जो जिलाध्यक्ष के रंग-ढंग से परेशान है वही कर रहे है, पर जिलाध्यक्ष अंदरूनी कलह पर खबर प्रकाशित होने पर अखबार को लाल आंख दिखाने का प्रयास कर रहे हैं जो इन्हें ही भारी पड़ सकता है यह शायद समझ नहीं रहे।
जिला कार्यसमिति की बैठक में जिला पदाधिकारियों को ही मंच पर नहीं मिली जगह
कोरिया जिले में भारतीय जनता पार्टी अनुशासनहीन नजर आने लगी है यह हम नहीं पार्टी के लोग ही दबी जुबान पर कहने लगे हैं इसकी वजह जो भी हो ताजा मामले पर नजर डाला जाए तो कुछ दिन पूर्व कोरिया जिले में कार्यसमिति की बैठक फॉरेस्ट नर्सरी रामपुर में रखा गया था जहां पर मंच पर जिले के पदाधिकारियों के लिए जगह नहीं थी, जगह से मतलब है कि जितने भी जिलाध्यक्ष अभी तक नियुक्त किए गए हैं हर वर्ग से उन्हें तक मंच पर जगह देना उचित नहीं समझा गया फिर बाकी पदाधिकारियों की तो बात ही अलग है पर जो पार्टी का प्रोटोकाल होता है उसके अनुसार सभी वर्ग के भाजपा में नवनियुक्त जिलाध्यक्ष को कार्य समिति के बैठक के मंच पर जगह मिलनी थी ऐसा भाजपा के लोगों का ही कहना है क्योंकि यही अनुशासन है इस पार्टी का जो इस समय दिख नहीं रहा, सभी को पेड़ों की छांव में बैठना पड़ा ऐसी बात सामने आ रही है अब सवाल यह उठता है कि आखिर अनुशासन में रहने वाली भारतीय जनता पार्टी का कोरिया जिले में अनुशासनहीन होना कहीं ना कहीं पार्टी की छवि पर सवालिया निशान खड़ा करना है।
जिलाध्यक्ष के नेतृत्व में कार्यकर्ता एकजुट नही
जिला भाजपा अध्यक्ष कृष्णबिहारी जायसवाल के नेतृत्व में पार्टी कार्यकर्ता एकजुट नही है यह पार्टी की वर्तमान स्थिति देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। उनके जिलाध्यक्ष बनने के बाद जितने भी चुनाव संपन्न हुए उसमें पार्टी संगठन की भूमिका नगण्य थी। बीते नगरपालिका बैकुंठपुर और शिवपुर चरचा के चुनाव में भी संगठन गायब था, जिसके कारण पार्षद प्रत्याशियो को अकेले ही मेहनत करना पड़ा था, कई पार्षद प्रत्याषी अपने साथ के लिए पार्टी पदाधिकारियो के लिए तरसते देखे गए थे। बीते जिला पंचायत चुनाव में भी पूर्व मंत्री भैयालाल राजवाड़े की बहू को जीत जरूर मिल गई लेकिन संगठन के कार्यकर्ताओ की इसमें कोई भूमिका नही थी, पूर्व मंत्री की टीम ने ही काम कर जीत दिलाई थी यह सर्वविदित है आने वाले विधानसभा चुनाव के पूर्व यदि यही हाल रहा तो पार्टी प्रत्याशी को काफी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। प्रदेश संगठन को इस मामले पर संज्ञान लेकर जिलाध्यक्ष की तानाशाही पर रोक लगाये जाने और उचित हल निकाले जाने की जरूरत है।
अपने कार्यकाल में लोगो को तोड़ने में अहम भूमिका
जिलाध्यक्ष कृष्णबिहारी जायसवाल को पूर्व मंत्री के सहयोग से दूसरी बार पद प्राप्त हुआ है लेकिन पद पाकर उनका पारा सांतवे आसमान पर है। अपने कार्यकाल की खास उपलçध उनके पास कुछ भी नही है, सिवाय भाजपा कार्यालय में कजा कर पुत्र के लिए चाय दुकान खुलवाने के। पार्टी सूत्रो की माने तो उनके द्वारा अपने कार्यकाल में लोगो को जोड़ने का कार्य नही बल्कि तोड़ने का कार्य किया गया है, वरिष्ठ लोगो की उपेक्षा की गई जिससे कि आज कई वरिष्ठ जन पाटी कार्यक्रम से दूरी बनाकर रखते हैं।
जिसे देते थे गाली उसे दे दिया पद
बतलाया जारहा है कि जिलाध्यक्ष कृष्णबिहारी जायसवाल द्वारा इस कार्यकाल में कुछ ऐसे लोगो को कार्यकारणी मे जगह दी गई है जिन्हे पहले जिलाध्यक्ष द्वारा अपने निशाने पर रखकर उनके पीठ पीछे गाली गलौज किया जाता था,यहां तक कि अन्य पदाधिकारियो से भी कहा जाता था कि उस व्यक्ति को पार्टी कार्यक्रम से दूर रखा जाए अब ऐसे लोगो को ही जिलाध्यक्ष द्वारा पद दिया गया है यह समझ से परे है। इनमे से कुछ लोग ऐसे है जो जिलाध्यक्ष के कहे अनुसार कई खर्चों को मैनेज करते हैं।