- क्या मनेंद्रगढ़ विधानसभा से ही सूरज महंत अपनी राजनीतिक शुरुआत करेंगे?
- क्या “शक्ति” से राजनीतिक बौद्धिक “शक्ति” लेकर मनेंद्रगढ़ विधानसभा में ही राजनीतिक सूरज चमकेगा?
- राजनीतिक फिजाओं में यह सुगबुगाहट जोरों पर,कयासों का दौर गर्म!
–रवि सिंह –
एमसीबी 14 फरवरी 2023 (घटती-घटना)। प्यासे होठों पर ही होती है मीठी बातें,प्यास बुझ जाए तो फिर लोगों के लहजे ही बदल जाते है, ये लाइनें मनेंद्रगढ़ विधानसभा के प्रत्याशियों के लिए बिल्कुल सटीक बैठती दिख रही है, विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहे है क्षेत्र में नेताओं के आवागमन से जिले में चुनावी सरगर्मियां बढ़ी है आम जनों में कयासों का दौर चल रहा है सभी अपने-अपने स्तर में अपने आंकड़े पान ठेला, चौक-चौराहा,एवं दुकानों में परोस रहे हैं चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है,सोशल मीडिया में भी बाजार गर्म हो चला है इस विधानसभा के फिजाओं में बड़ी राजनीतिक उलटफेर होने की प्रबल संभावना दिख रही है देखना यह है की ऊंट किस करवट बैठता है।
इसी बीच शक्ति विधानसभा के विधायक एवं क्षेत्र के पूर्व सांसद विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत उनकी पत्नी सांसद ज्योत्सना महंत पुत्र सूरज महंत का भी लगातार दौरा उनका मनेंद्रगढ़ विधानसभा के लोगों से मुस्कुरा कर मिलना और हर किसी को अहमियत देना, अपने कार्यकर्ताओं पर किसी तरह का टीका टिप्पणी ना करना उनका सहज सरल होना, कहीं ना कहीं मनेंद्रगढ़ विधानसभा के लिए एक छुपा संदेश देता दिख रहा है,कयासों के बीच यह बात स्वतः स्पष्ट होती दिख रही है कि क्या मनेंद्रगढ़ विधानसभा सीट से ही एक नए सूरज का उदय होगा? क्या सूरज महंत की राजनीतिक शुरुआत इसी विधानसभा क्षेत्र से होगी? महंत जी के चेहरे की मुस्कुराहट और एकाएक उनके व्यवहार में सकारात्मक सोच व परिवर्तन कई सवालों को जन्म दे रहे है यहां की राजनीतिक फिजाओं में अटकलों से बाजार गर्म है, फूट डालो राज करो वाली पद्धति पर चलने वाले क्षेत्र के विधायक इन दिनों सभी कार्यकर्ताओं को एकजुट होने की बात कर रहे हैं जयचंद दोगला एकल बत्ती कनेक्शन नटवर लाल जैसे शब्दों को इजाद कर अपने कर्मठ कार्यकर्ताओं का नया नया नाम करण करने में माहिर माटी पुत्र एकजुट होकर चलो वाली पद्धति की राह पर चल पड़े है वहीं उनके खेमे में भगदड़ का माहौल है विधायक समर्थक अभी हरिराम नाई की तलाश में बेहद परेशान देखे जा रहे हैं विधायक समर्थकों ने ठाना है हरी राम नाई कौन है? उसका पता लगाना है।
क्या पुत्र सूरज महंत के लिए विधानसभा में राजनीतिक उलटफेर होगी?
यदि हम पिछले दो संसदीय चुनाव की बात करें तो महंत जी के पक्ष में अविभाजित कोरिया जिले के मतदाताओं का काफी कम रुझान देखने को मिला है उनके पक्ष में काफी कम मतदान हुए हैं कहीं ना कहीं क्षेत्र की जनता ने उन्हें नकारा है जिसको लेकर वे पिछले दिनों कहीं ना कहीं अपनी हार की टीस अपने समर्थकों के बीच निकालते ही रहे हैं उनके व्यंग्य के बाण उनके दौरे के दौरान चलते ही रहे हैं क्षेत्र से रायपुर जाकर मिलने वाले कार्यकर्ताओं से कभी कहते थे में चिरमिरी नहीं जाऊंगा इसी तरह की बातें मनेंद्रगढ़ के लिए भी उनके द्वारा कही जाती थी,स्थानीय नेताओं को हमेशा तिरछी निगाहें करके कह देते थे की तुमने हमारे साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया है जैसे-जैसे कई टिप्पणियां महंत जी के द्वारा कांग्रेसियों से की जाती रही हैं, इसी बीच एकाएक बड़ा परिवर्तन देखने को मिला छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष महंत जी का दोस्ताना व्यवहार लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने नाम न छापने की शर्त पर जानकारी देते हुए बताया कि कुछ न कुछ तो महंत जी के मन में मनेंद्रगढ़ विधानसभा के लिए चल रहा है, पुत्र सूरज महंत के लिए विधानसभा में राजनीतिक उलटफेर किया जा सकता है।
इन दावेदारों का क्या?
सनद रहे कि इसी विधानसभा से प्रबल दावेदारी विधायक विनय जायसवाल के अलावा महंत जी के कट्टर समर्थक अधिवक्ता रमेश सिंह पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष राजकुमार केसरवानी, सुन्नू श्रीवास्तव, नगर पालिका अध्यक्ष प्रभा पटेल, महापौर कंचन जायसवाल पूर्व महापौर डमरु रेड्डी भी दावेदार दिख रहे हैं और वह अपने अपने स्तर में अपने क्षेत्रों में अपने अपने स्तर में जमकर मेहनत भी कर रहे हैं,यदि इस विधानसभा से सूरज चुनाव लड़ेंगे, तो क्या यह सब सूरज महन्त के पक्ष में काम करेंगे.? मिली जानकारी के अनुसार राजकुमार केशरवानी का युवक कांग्रेस चुनाव के दौरान से महंत जी के बीच दूरियां बढ़ी है महंत जी किसी बहुसंख्यक वर्ग के प्रत्याशी के पक्ष में मतदान की बात कर रहे थे वही राजकुमार केशरवानी और उनके समर्थक अल्पसंख्यक वर्ग के हाफिज मेंमन के पक्ष में प्रचार-प्रसार कर उन्हें जीता भी दिया, राजकुमार केशरवानी का क्षेत्र में कद भी बड़ा है लेकिन महंत जी से थोड़ी दूरियां भी बड़ी थी हालांकि यह दूरियां कम की जाने की बात कही जा रही हैं लेकिन कहते हैं कि कांच में एक बार दरार आ जाने से उसमें लकीरे हमेशा खींची रहती हैं पूर्व महापौर डमरू रेड्डी कभी ऐसे ही कुछ हाल है उन्होंने चरणदास महंत की मंशा के विपरीत जाकर निर्दलीय चुनाव लड़ा था उनके चहेते प्रत्याशी मोहम्मद इमाम काफी बड़े अंतर से चुनाव हार गए थे जिसको लेकर महंत जी और डमरू रेड्डी में भी काफी दिनों तक दूरियां बढ़ी रही,दोनों पक्षों में दूरियां कम करने की कोशिशें की जा रही हैं प्रभा पटेल उनकी कट्टर समर्थक मानी जाती है वहीं सोनू श्रीवास्तव भी में उनके चाहते माने जाते हैं कंचन जायसवाल की राह अलग है महत्वकांक्षी भी है अपने पति विनय जयसवाल के पद चिन्हों पर सदैव चलना चाहती हैं, ये और उनके पति खुद भी कोरबा लोकसभा सीट के दावे करते रहते हैं, यह कब किसका विरोध करेंगे और किसका समर्थन करेंगे समझ से परे हैं बाहर हाल स्थिति जो भी हो चुनावी शंखनाद बज चुका है नेता अपने चहेतों के साथ अपने अपने क्षेत्र के नाराज कार्यकर्ताओं की मनाने की जुगत में भिड़ गए हैं कहीं वे सफल भी हो रहे हैं ज्यादातर मामलों में उन्हें असफलता ही अभी तक हाथ लगी है देखना यह है कि कौन नेता कितना सफल हो पाता है।