- गजब है पटना के नायब तहसीलदार,जिस कर्मचारी पर कराया अपराध पंजीबद्ध उसे ही बचा रहे गिरफ्तारी से क्यों?
- नायब तहसीलदार ने अनाधिकृत कर्मचारी को दिया आईडी पासवर्ड,उसी से घटाया बढ़ाया गया धान का रकबा, शिकायत पर हुआ था मामला पंजीबद्ध
- नायब तहसीलदार ने जिस अनधिकृत कर्मचारी के खिलाफ मामला दर्ज कराया उसे ही कार्यालय में बुलाकर से आईडी पासवर्ड दे क्यों करा रहे काम?
- आरोपी तहसीलदार की आईडी से रकबा घटाता बढ़ाता रहा और अनाधिकृत रूप से एक व्यक्ति को लाभ पहुंचाता रहा फिर भी विभाग उसे बचा रहा क्यों?
- एफआईआर के बाद होना था गिरफ्तार,दिनदहाड़े नायब तहसीलदार कार्यालय में कर रहा काम क्या प्रशासन दे रहा अपराधी को संरक्षण?
- क्या रखबा बढ़ाने मामले में प्रशासन के अधिकारी भी हैं शामिल?
- क्या तहसीलदार अधीनस्थ अनाधिकृत कर्मचारी को बचा रहे क्योंकि यदि उसने मुंह खोला तो वो खुद फस जाएंगे?
- जिस तहसीलदार के कहने पर हुआ था मामला पंजीबद्ध वह खुद अनाधिकृत कर्मचारियों को कार्यालय बुला कैसे करवा सकते हैं काम?
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 11 फरवरी 2023 (घटती-घटना)। कोरिया जिले के उप तहसील कार्यालय पटना में पदस्थ नायब तहसीलदार के नयाब कारनामे ने लोगों को हैरत में डाल दिया, कहीं ना कहीं नायब तहसीलदार ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी एक बड़ा सवालिया निशान खड़ा कर दिया, सवाल यह है की नायब तहसीलदार ने जिस अनधिकृत कर्मचारी को अपना आईडी पासवर्ड दिया उसी आईडी पासवर्ड से धान खरीदी में फर्जीवाड़ा करने के लिए जमीन का रकबा घटाया बढ़ाया गया, जिसकी शिकायत हुई और जांच उपरांत तहसीलदार के शिकायत पर ही कुछ लोगों पर अपराध पंजीबद्ध किया गया, जिसमें में कार्यरत कर्मचारी का भी नाम शामिल है अपराध पंजीबद्ध होने के बाद से जहां बाकी आरोपी फरार है वही लगातार अनाधिकृत कर्मचारी मामला पंजीबद्ध होने के बावजूद भी उप तहसील कार्यालय पटना में काम करता रहा, वह भी नायब तहसीलदार की उपस्थिति में, साथ ही नायब तहसीलदार के आईडी का उपयोग भी लगातार उसी अनधिकृत कर्मचारी के द्वारा फिर से किया जा रहा है जैसी स्थिति है उसे देखकर यह संभावना जताई जा रही है कि एक बार फिर बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा हो सकता है या फिर हुए फर्जीवाड़े को समेटने का प्रयास हो रहा है?
कोरिया जिले में ऐसे ऐसे मामले आते हैं जो लोगों को आश्चर्य में डाल देते हैं जब लोगों के सुविधा के लिए काम कर रहा प्रशासन ही लोगों के लिए दिक्कत खड़ी करे तो सवाल तो उठना लाजमी है, कोरिया जिले का एक बहुत चर्चित व दिलचस्प मामला है वह है पटना तहसील कार्यालय का जहां पर कुछ दिन पहले तहसीलदार की आईडी से रकबा को घटा बढ़ाकर भारी मात्रा में धान बेचकर लाभ कमाया गया था, जब मामला उजागर हुआ तो तहसीलदार ने अपना पल्ला झाड़ते हुए अनाधिकृत कर्मचारी पर पूरा दोष मढ़ा दिया और उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई जब तहसीलदार ने जांच कर एफआईआर करने का आदेश दे दिया उसके बाद जिस व्यक्ति को गिरफ्तार कर जेल भेजना था उसे तहसीलदार प्रतिदिन अपने कार्यालय बुलाकर काम करा रहे हैं फिर समझ में यह नहीं आ रहा कि आखिर अनाधिकृत व्यक्ति दोषी था भी या फिर तहसीलदार साहब अपने आप को बचाने के लिए बहुत बड़ी योजना बनाकर काम कर रहे थे? जहां बाकी आरोपी फरार बताए जा रहे हैं वही तहसील का अनाधिकृत कर्मचारी दिनदहाड़े तहसीलदार के साथ ही काम कर रहा है, क्या तहसीलदार ही उसे फसाए हैं और तहसीलदार ही उसे बचाएंगे ऐसा अब लोगों के जेहन में सवाल उठने लगा है? कितना प्रभावशील हैं तहसीलदार इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है जबकि इनकी पत्नी भी इनसे ऊपर एसडीएम पद पर बैठी हैं क्या उन्हीं के इशारे पर सब हो रहा?
यह था पूरा मामला
ज्ञात हो की कोरिया जिले में एक गजब का मामला सामने आया है यह मामला पटना तहसील व पटना धान खरीदी केंद्र से जुड़ा हुआ है। जहां पर एक किसान धान बेचने के लिए तहसील कार्यालय से जमीन का रकबा बढ़वाता था और फिर धान बेचने के बाद राशि आहरण कर उस रकबा को कम करवा देता था। यह खेल कब से चल रहा है, यह तो जांच का विषय है। परंतु ऐसा करके किसान ने काफी राशि का लाभ अर्जन किया। संदेह होने पर जब मामले की जांच की गई तो जांच में यह पाया गया कि उक्त किसान अन्य व्यक्तियों के रकबे को अपने खाते में शामिल करा कर समिति में धान बेचता था एवं राशि आहरण पश्चात अपने रकबे को मूल रूप से परिवर्तित करा लेता था। चूंकि समिति में पंजीकृत किसानों के रकबे में परिवर्तन तत्संबंधित तहसीलदार की आईडी से ही संभव होता है, अतः कहीं ना कहीं पूरे मामले में संबंधित तहसीलदार एवं वहां कार्यरत कर्मचारियों की भूमिका भी संदेहास्पद है। बगैर मिलीभगत के रकबा में परिवर्तन का यह खेल संभव नहीं है। इस पूरे मामले में सहकारी समिति के कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध है, क्योंकि रकबे के पंजीयन की कार्यवाही वहीं से प्रारंभ होती है।
मामले में जांच उपरांत एफआईआर हुआ था दर्ज
नायब तहसीलदार समीर शर्मा उप तहसील पटना के जांच उपरांत एवं लिखित शिकायत पर इस आशय का प्रतिवेदन पेश करने पर की वर्ष 2021-22 में धान कोचिया अजय कुमार कुशवाहा आ0 कैलाश नाथ निवासी अमहर द्वारा अन्य किसानों प्रताप सिंह, शिवनाथ एवं अनुराधा की जानकारी एवं उनकी सहमति के बिना उनके स्वामित्व की भूमि को अपने खाते में विधि विरुद्ध रूप से अधिक धान की फसल की बिक्री कर 319350 रु अवैध लाभ कराकर पात्रता अर्जित करते हुए संबंधित कृषकों एवं शासन को क्षति पहुंचाया गया है। इसी प्रकार इस वर्ष भी उक्त व्यक्ति द्वारा उपरोक्त कार्य की पुनरावृति की जा रही थी, जिस संबंध में जाँच प्रारंभ होने पर अजय कुमार कुशवाहा द्वारा अपने भाई व सह खातेदार अरविंद कुशवाहा आ. कैलाश नाथ के सहयोग से उप तहसील कार्यालय पटना की आईडी के माध्यम से बिना संबंधित अधिकारी की जानकारी के तहसील कार्यालय पटना में कार्यरत ऑपरेटर संजीव कुमार की सहायता से तथा अरविन्द कुशवाहा की सक्रियता/संलिप्तता से अन्य किसानों के नाम अपने पंजीकृत खाते से हटवा दिया गया। इस प्रकार प्रकरण में प्रथम दृष्टतयाः अजय कुशवाहा, अरविन्द कुशवाहा एवं कम्प्यूटर ऑपरेटर संजीव कुमार दोषी होना पाये जाते है, उपरोक्त कंडिका (1) में उल्लेखित तथ्यों के आधार पर दोषी व्यक्तियों के द्वारा धारा 409, 420, 120 बी, 467, 468, 471, भादवि एवं 66 घ आई.टी.एक्ट का अपराध घटित करना पाए जाने से थाना पटना में अपराध कायम कर विवेचना कार्यवाही में लिया गया।
अनाधिकृत व्यक्ति आज भी आ रहा है तहसील कार्यालय, कर रहा है काम
अनाधिकृत व्यक्ति जिसकी शिकायत स्वयं तहसीलदार ने की है आज भी वह तहसील आ जा रहा है और बकायदा काम कर रहा है जबकि उसके ऊपर प्राथमिकी दर्ज है और उसकी गिरफ्तारी होनी चाहिए। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा की पूरे मामले में तहसीलदार स्वय उक्त अनाधिकृत व्यक्ति को संरक्षण दे रहें हैं और उसे बचाने की कोशिश कर रहें हैं जबकि होना यह था की तहसील कार्यालय में आने पर उक्त व्यक्ति की गिरफ्तारी तहसीलदार स्वयं कराते और मामले में न्याय का साथ देते।
किसान का रकबा घटने बढ़ने मामले में पटना तहसीलदार की भूमिका भी है संदिग्ध
तरगवां धान खरीदी केंद्र में एक किसान का रकबा बढ़ना और घटना और किसान का लगातार धान बेचते रहना मामले में पटना तहसीलदार की भूमिका भी संदिग्ध है। अनाधिकृत व्यक्ति को अपना शासकीय आईडी पासवर्ड देकर जहां तहसीलदार ने शासकीय गोपनीयता भंग की है वहीं तहसीलदार ने मामला सुर्खियों में आने के बाद अनाधिकृत व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई वहीं प्राथमिकी दर्ज कराकर जहां तहसीलदार को अनाधिकृत व्यक्ति की गिरफ्तारी में पुलिस की मदद करनी थी तहसीलदार पुनः अनाधिकृत व्यक्ति से तहसील में काम ले रहें हैं और वह खुलेआम घूम रहा है,ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा की अनाधिकृत व्यक्ति को तहसीलादार का संरक्षण प्राप्त है और उन्हीं की मर्जी से फर्जीवाड़ा हुआ है।
क्या कलेक्टर लेंगे मामले में संज्ञान,क्या होगी दोषियों पर कार्यवाही?
पूरे मामले में अब देखने वाली बात यह है की क्या कलेक्टर कोरिया मामले में संज्ञान लेंगे क्या वह पूरे मामले में कार्यवाही करेंगे वहीं कहीं तहसीलदार को राजस्व का अधिकारी होने के नाते अभयदान तो नहीं मिलेगा।