जिलाध्यक्ष की पार्टी में ऐसी मनमानी की सभी बड़े नेताओं को लगा रहे किनारे
वरिष्ठ कर्मठ कार्यकर्ताओं को लगातार जिलाध्यक्ष करते जा रहे हैं किनारे,अपने चहेतों को दे रहें हैं पद
भाजपा जिला कार्यालय में भी अपने बेटे के लिए बना ली दुकान,क्या संगठन का भवन भी है उन्ही के कब्जे में?
पूर्व जिलाध्यक्षों ने संगठन के भवन में नहीं लिया कोई हिस्सा,वर्तमान जिलाध्यक्ष ने कब्जा जमाया एक कक्ष पर
क्या अपने पुत्र के चाय दुकान के लिए कार्यालय के बरामदे को जिलाध्यक्ष ने करा दिया छोटा?
जिलाध्यक्ष दूसरी बार कमान मिलते ही हो गए हैं मनमानी पर उतारू,कर रहे मनमाने कार्य
स्वयं जिलाध्यक्ष के भाई व भाजपा नेता ने जिलाध्यक्ष पर लगाया है सोशल मीडिया पर मनमानी का आरोप
-रवि सिंह –
बैकुण्ठपुर 06 फरवरी 2023 (घटती-घटना)। कोरिया जिला भाजपा संगठन में सब कुछ अच्छा चल रहा है ऐसा लग नहीं रहा है। पिछले कई सालों से जबसे वर्तमान जिलाध्यक्ष को जिले की कमान मिली है लगातार संगठन कमजोर हुआ है और संगठन में अंदरूनी कलह बढ़ी है जैसा की देखने को और सुनने को मिल रहा है। भाजपा जिलाध्यक्ष पद पर रहते हुए पार्टी के अंदर सामंजस्य स्थापित नहीं कर पा रहे हैं, वह पूरी तरह असफल साबित हो रहें हैं और इसी असफलता के बीच वह अपनी मनमानी भी पार्टी के भीतर चला रहें हैं जिससे पार्टी के अंदर गुटबाजी भी हावी है और नाराजगी भी आपसी देखी जा रही है। जिलाध्यक्ष को भाजपा कोरिया जिले की कमान दूसरी बार मिली है और दूसरी बार वह और अधिक मनमानी पर उतारू देखे जा रहें हैं जो दिख भी रहा है।
क्या जिलाध्यक्ष, भैयालाल, देवेंद्र व शैलेष को ओवरटेक कर विधायक का टिकट लेने की तैयारी में?
सेवानिवृत्त होने के बाद भाजपा जिला अध्यक्ष के तेवर ऐसा बदले की संगठन की टीम अपने तरीके से तैयार कर रहे हैं संगठन की टीम विधानसभा जिताने के हिसाब से नहीं अपने आपको खुद विधायक बनाने के हिसाब से तैयार करने जैसी लग रही है, सूत्रों का मानना है की पूर्व कैबिनेट मंत्री भैयालाल राजवाड़े, पूर्व जिला पंचायत सदस्य देवेंद्र तिवारी व पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष शैलेश शिवहरे को ओवरटेक कर अपनी टिकट विधानसभा के लिए तय करने की जुगत में लगे? जिस प्रकार से उनका हव भव व रणनीति देखी जा रही है उससे अभी तक यही प्रतीत हो रहा है।
भाजपा कार्यालय पर पहले जिलाध्यक्ष जिन्होंने जमाया कब्जा,पूर्व जिलाध्यक्षों ने नहीं किया था कब्जा- कोरिया जिले के भाजपा जिला कार्यालय पर वर्तमान जिलाध्यक्ष ने कब्जा जमाते हुए अपने पुत्र के लिए चाय की दुकान खोली है और ऐसा करके वह भाजपा के पहले जिलाध्यक्ष बन गए हैं जिन्होंने कार्यालय पर कब्जा जमाया है। अपने पुत्र की दुकान के लिए भाजपा जिलाध्यक्ष ने भाजपा कार्यालय के पुराने भवन नक्शे में ही फेरबदल कर दिया है और भाजपा कार्यालय के बरामदे को छोटा कर अपने पुत्र के लिए दुकान की व्यवस्था कर दी है। इसके पूर्व के दो जिलाध्यक्षों ने जिसमें जवाहर लाल गुप्ता व स्व तीरथ गुप्ता ने कार्यालय पर कभी कब्जा नहीं जमाया था और उन्होंने कार्यालय के दुकानों में कभी अपनी हिस्सेदारी तय नहीं की थी। कार्यालय पर कब्जा जमाने वाले यह पहले जिलाध्यक्ष माने जा रहे हैं और यह इनकी मनमानी का उदाहरण है।
भाजपा जिला संगठन में जिलाध्यक्ष की जारी है मनमानी
भाजपा जिला कोरिया संगठन में भी जिलाध्यक्ष की मनमानी बदस्तूर जारी है। अभी हाल ही में पार्टी के जिला इकाई समेत विभिन्न मोर्चा प्रकोष्ठों का गठन इन्होंने किया है, मंडल अध्यक्ष भी इन्होंने मनोनित किए हैं वहीं महिला मोर्चा का भी गठन किया गया है। सभी में ऐसे लोगों को पद इन्होंने प्रदान किया है जो कभी बैठक व पार्टी कार्यक्रम में नजर नहीं आते। जिला मुख्यालय की ही यदि बात की जाए तो इन्होंने कई बड़े भाजपा नेताओं को किनारे लगाने का काम किया है। बैकुंठपुर में जहां एक प्रभावशाली मंडल अध्यक्ष बनाया जाना था वहां भी इन्होंने अपने चहेते को पद प्रदान किया। पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष साथ ही वर्तमान में भी अपने दम पर अपनी धर्मपत्नी को नगरपालिका अध्यक्ष पद पर आसीन करा पाने वाले जबकि भाजपा आंकड़ों में पीछे थी शैलेश शिवहरे के समर्थकों को भी जिलाध्यक्ष ने पार्टी में पद देना उचित नहीं समझा जबकि आज शैलेश शिवहरे का जनाधार जिलाध्यक्ष से कई गुना अधिक है। जिलाध्यक्ष ने शैलेश शिवहरे समर्थकों को पद न देकर उन्हें कमजोर करने का प्रयास किया है वहीं बंचरा पोड़ी में भी कार्यकारणी को लेकर सवाल उठ रहा है। जिला कार्यकारणी की बात हो या मोर्चा प्रकोष्ठों की बात हो दो लोगों ने जिनमे एक जिलाध्यक्ष स्वयं हैं और एक पूर्व मंत्री शामिल हैं जैसा की बताया जा रहा है दोनों ने मिलकर गठन किया है और किसी वरिष्ठ अन्य भाजपा नेता की राय इसमें इन्होंने नहीं ली है। संगठन में अंदर ही अंदर आक्रोश पनप रहा है जिसकी बानगी सोशल मीडिया पर देखी भी जा रही है।
वर्तमान जिलाध्यक्ष के रहते विधानसभा चुनाव में जीत मिल पाना संभव नहीं दिखता?
भाजपा कोरिया के जिलाध्यक्ष के रहते भाजपा बैकुंठपुर विधानसभा चुनाव जीतेगी यह लगता नहीं है। अपने कार्यकाल में पार्टी के अंदर गुटबाजी और नाराजगी को जन्म दे चुके जिलाध्यक्ष के कई निर्णय ऐसे हैं जिनसे पार्टी के लोग ही सहमत नहीं हैं। अपने से ज्यादा जनाधार वालों को किनारे लगाने के चक्कर में जिलाध्यक्ष ने पार्टी को ही आपसी गुटबाजी का अखाड़ा बना दिया है और जिसका असर चुनाव पर निश्चित पड़ेगा ऐसा माना जा रहा है।
निकाय चुनाव में नेतृत्व से जिलाध्यक्ष कर चुके निराश,शैलेश शिवहरे ने भाजपा की बचाई थी लाज
वैसे जिलाध्यक्ष रहते हुए वर्तमान जिलाध्यक्ष के खाते में कोई ऐसी उपलब्धि नहीं जुड़ी है जिससे यह माना जाए की वह पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हुए हैं, वर्तमान में संपन्न हुए जिला पंचायत उप चुनाव में पूर्व मंत्री की पुत्रवधु की जीत जहां पूर्व मंत्री की व्यक्तिगत जीत मानी गई है वहीं पूर्व में संपन्न हुए जिले के निकाय चुनावों में जिलाध्यक्ष के नेतृत्व में पार्टी कोई अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी थी वहीं बैकुंठपुर नगरपालिका पर शैलेश शिवहरे की व्यक्तिगत मेहनत रंग लाई और उन्होंने अध्यक्ष पद पर कब्जा कर भाजपा की लाज बचाई थी।कुल मिलाकर जिलाध्यक्ष भाजपा के लिए बिल्कुल फायदेमंद साबित नहीं हो रहें हैं और पार्टी लगातार गुटबाजी का शिकार होती जा रही है।
भाजपा जिलाध्यक्ष गुट से शैलेश शिवहरे और देवेंद्र तिवारी गुट बाहर
भाजपा जिलाध्यक्ष को जहां विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज करने के लिए जिले भर के भाजपाइयों को एकजुट करने की जिम्मेदारी निभानी थी वहीं वह खुद पार्टी में गुटबाजी के समर्थक दिख रहे हैं। भाजपा जिलाध्यक्ष ने शैलेश शिवहरे समर्थकों सहित देवेंद्र तिवारी के समर्थकों को किनारे कर रखा है जिसका नुकसान पार्टी को उठाना पड़ सकता है।
जिलाध्यक्ष के कार्यप्रणाली पर स्वयं उनके छोटे भाई लगा चुके हैं आरोप
भाजपा जिलाध्यक्ष के कार्यप्रणाली और पार्टी के अंदर उनकी मनमानी पर स्वयं उनके छोटे भाई आरोप लगा चुके हैं। सोशल मीडिया में उनके भाई ने अपने भाई को पार्टी के अंदर मनमानी करने वाला बताया है और उन्होंने अपनी व्यथा सोशल मिडिया पर लिखी है।
नौकरी से सेवानिवृत होते ही जिलाध्यक्ष के बदले तेवर,करने लगे मनमानी
भाजपा जिलाध्यक्ष दिसंबर 2022 तक एसईसीएल के कर्मचारी बतौर अपनी सेवा एसईसीएल को प्रदान कर रहे थे वहीं वह जैसे ही सेवानिवृत्त हुए वह और अधिक मनमानी करने लगे। नौकरी के दौरान जिलाध्यक्ष रहते हुए वह मनमानी कम करते थे लेकिन नौकरी से सेवानिवृत्त होते ही उनकी मनमानी इसलिए बढ़ गई क्योंकि उनको अब नौकरी पर आंच आएगी इस बात का भय समाप्त हो गया है।